संजीवनी 108 के एंबुलेंसकर्मी 24 घंटे रहते हैं अलर्ट

देवदूत बनकर समय पर पहुंच रहे मरीजों के घर

लगातार काम के कारण 12 घंटे तक बिना खाना-पीना के करते हैं काम

एंबुलेंस का एक-एक मिनट कीमती है लोग इसे समझें : अमित श्रीवास्तव

रायगढ़, 26 मई 2021
कोरोना संक्रमण काल में स्वास्थ्य विभाग व फ्रंटलाइन हेल्थ वर्कर्स द्वारा महत्वपूर्ण भूमिका निभाई जा रही है। इसमें सबसे अहम सेवा एंबुलेंस वाहनों की देखी जा रही है। सुबह हो या शाम 24 घंटे सायरन बजाते यह एंबुलेंस के पायलट अपनी जान पर खेलकर संक्रमितों को समय पर कोविड केयर, अस्पताल पहुंचाकर जान बचा रहे हैं। फ्रंटलाइन हेल्थ वर्कर के रुप में संक्रमण के जोखिम के बावजूद डयूटी पर तैनात रहते हैं।
जिले में संजीवनी एक्सप्रेस के 13 एंबुलेंस है जिसमें 30 पायलेट व 30 ईएमटी एम्बुलेंस कर्मी हैं। कोरोना महामारी के बीच मरीजों को बचाने के लिए एंबुलेंस दौड़ रही है। चालकों के साथ इमरजेंसी मेडिकल टेक्नीशियन (ईएमटी) भी डटे हुए हैं। संजीवनी एक्सप्रेस-108 के जिला प्रभारी अमित श्रीवास्तव का कहना है “कंट्रोल रूम से हमें इवेंट मिलने के बाद यथाशीघ्र मरीज के घर पहुंचना होता है। हमारी कोशिश रहती है कि मरीज को समय पर अस्तपाल पहुंचाया जाए लेकिन ज्यादातर लोग एंबुलेंस की महत्ता को नहीं समझते और कई मौके पर तो वह अपने मरीज को एंबुलेंस तक लाने में 1 से 2 घंटे तक समय ले लेते हैं जिसके कारण दूसरे अन्य मरीजों को समय पर हमारी सेवा नहीं मिल पाती। अस्पताल पहुंचाने के दौरान किसी ट्रीटमेंट्स की जरूरत होती है तो वह भी देते हैं। मरीजों को ले जाने में मास्क, हैंडगल्ब्स, सेनेटाइजर पूरी एहतियात बरतते हैं।“

“जब से इस बार कोरोना कॉल की दूसरी लहर शुरू हुई है, हमारे पूरे स्टाफ ने अथक काम किया है। 1 से 15 मई तक की अवधि में हमने 700 से अधिक संक्रमित मरीजों को एम्बुलेंस की सेवा प्रदान की है| बीते दो महीने में 7 एम्बुलेंसकर्मी (5 ईएमटी 2 पायलट) संक्रमित हुए हैं और रिकवर होकर वापस काम पर भी लौट आए हैं। समय पर एम्बुलेंस की सेवा मिलने से किसी भी मरीज की रास्ते में जान नहीं गई। इमेंरजेंसी सेवा में तैनात कोविड महामारी में जान की परवाह न करते हुए मरीजों की सेवा में लगे हुए हैं।’’ श्री श्रीवस्तव ने बताया ।

कभी गाली तो कभी सुकून : ईएमटी दिनेश
108 संजीवनी एक्सप्रेस में कार्यरत ईएमटी दिनेश पटेल बताते हैं “बीते 8 साल से काम कर रहा हूं। कोरोना से खट्टी-मीठी यादे जुड़ें हैं। शुरुआत में बहुत डर लगा लेकिन अब इस बात को डेढ़ साल हो गए हैं। हम फील्ड पर विरोध भी झेलते हैं और दुआ भी मिलती है। ग्रामीण इलाकों में कोरोना संक्रमण को लेकर ज्यादा जागरूकता नहीं होने की वजह से कई बार हम पर हमले भी हुए हैं पर हमें पता है मरीज को कैसे भी करके अस्पताल ले जाना है। पुलिस का सहयोग हमें बराबर मिलता है। किसी गरीब जिसे अस्पताल की जरूरत है उन्हें वहां पहुंचाकर बहुत सुकून मिलता है। कई बार अपनी जेब से गरीब के प्राथमिक इलाज में पैसा लगाया है और ऐसा करने में अच्छा लगता है। पीपीई किट, फेस शील्ड, ग्लव्स लगाए 12-12 घंटे तक हमें लगातार काम करना होता है, पानी पीने और बाथरूम जाने तक के लिए हमें सोचना पड़ जाता है।“

दिन रात लगे हैं काम में : ईएमटी संतोषी
24 साल की ईएमटी संतोषी साहू बीते साल से काम कर रही हैं वह बताती हैं “वर्तमान में कोविड संक्रमितों की संख्या में कमी आई है लेकिन कुछ दिनों पहले तो एक दिन में 19 मरीजों को मैंने अटेंड किया था बाकी साथियों की भी ऐसी हालत थी। कोविड काल में एंबुलेंसकर्मियों ने अथक परिश्रम किया है हमें समय पर मरीज को अस्पताल पहुंचाना होता है। गंभीर मरीजों को आक्सीजन भी देनी पड़ती है। प्राथमिकता के आधार पर मरीजों की जान बचाना हमारा कर्तव्य है। स्वास्थ्य सेवा के लिए एम्बुलेंस सुविधा कोरोना कॉल में दिन रात दौड रही हैं, 24 घंटें दिन हो या रात किसी भी समय सूचना मिलने पर संक्रमितों को लेने व वापस ले जाने के लिए तैयार रहते हैं जिनमें सबसे ज्यादा चक्कर 108 संजीवनी एक्सप्रेस दौड़ रही है। पायलट और साथी बिना किसी हिचकिचाहट के मरीजों को पीपीई कीट पहन कर दिन रात मरीजों को संविधाएं प्रदान करने में लगे हुए है।

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