सड़क दुर्घटनाओं के 41 प्रतिशत आंकड़े आइआरएडी में नहीं होते दर्ज, इन विभागों के बीच नहीं है तालमेल

सड़क दुर्घटना को रोकने के लिए सबसे जरूरी तथ्य यह है कि दुर्घटना के सही आंकड़े संबंधित विभाग तक पहुंचें। छत्‍तीसगढ़ में अब तक ऐसी कोई ठोस व्यवस्था नहीं हो पाई है कि एक-एक सड़क दुर्घटना का रिकार्ड दर्ज किया जाए।

रायपुर।। सड़क दुर्घटना को रोकने के लिए सबसे जरूरी तथ्य यह है कि दुर्घटना के सही आंकड़े संबंधित विभाग तक पहुंचें। छत्‍तीसगढ़ में अब तक ऐसी कोई ठोस व्यवस्था नहीं हो पाई है कि एक-एक सड़क दुर्घटना का रिकार्ड दर्ज किया जाए। प्रदेश में सड़क दुर्घटना के 41 प्रतिशत मामलों का रिकार्ड दर्ज नहीं होता। वर्ष 2022 में जनवरी से अगस्त तक 8,202 सड़क दुर्घटनाएं हुईं, लेकिन इंट्रीग्रेटेड रोड एक्सीडेंट डाटा (आइआरएडी) बेस में 4,808 ही दर्ज हुईं, जो वास्तविक दुर्घटना से 41.38 प्रतिशत कम हैं। इसके कारण सड़क दुर्घटना के लिए एक साथ काम कर रहे विभाग कोई सुधार नहीं कर पा रहे हैं।

सड़क सुरक्षा को लेकर प्रदेश में चार विभाग पुलिस, स्वास्थ्य, परिवहन और पीडब्ल्यूडी एक साथ काम कर रहे हैं। सड़क दुर्घटना के कारणों की जांच के बाद सड़क को सुधारने का जिम्मा पीडब्ल्यूडी का है, लेकिन प्रदेश में सड़कों की इंजीनियरिंग को दुरुस्त करने की कोई व्यवस्था नहीं है। दुर्घटना में घायलों को ट्रामा सेंटर तक पहुंचाने का जिम्मा स्वास्थ्य विभाग का है। राजधानी रायपुर से ओडिशा के संबलपुर तक नेशनल हाईवे पर होने वाली दुर्घटनाओं में घायलों को कम से कम 100 किलोमीटर की दूरी तय कर राजधानी पहुंचना होता है। यही हाल रायपुर-बस्तर नेशनल हाईवे पर है। यहां ट्रामा सेंटर तक पहुंचने के लिए कम से कम 40 किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ती है। परिवहन विभाग भारी वाहनों के फिटनेस टेस्ट को पूरा नहीं कर पा रहा है, जिसके कारण कंडम वाहन सड़कों पर दौड़ रहे हैं। इन वाहनों के कारण ही सबसे ज्यादा सड़क दुर्घटनाएं हो रही हैं।

सही दिशा में जांच नहीं होने से कमियां हैं बरकरार
कानूनी विशेषज्ञों की मानें तो सड़क हादसों की गंभीरता और तकनीकी पहलुओं को देखते हुए पुलिस जांच करे तो बदलाव संभव है। कई बार दो गाड़ियां आमने-सामने से टकराती हैं, तो उसकी जांच का तरीका अलग होना चाहिए। कई बाद रोड डिवाइडर से गाड़ी टकराती है। पुलिस को अपनी जांच में बताना चाहिए कि डिवाइडर से गाड़ी टकराई है। उसके बाद सड़क निर्माण करने वाले विभाग को रोड इंजीनियरिंग के पहलू से जांच करनी चाहिए कि वहां क्या खामियां हैं। अभी पुलिस इस दिशा में कोई काम नहीं कर रही है। विशेषज्ञों की मानें तो शहर में कुछ स्थान ऐसे हैं, जहां सबसे ज्यादा दुर्घटनाएं होती है। उसका डाटाबेस तैयार करके पीडब्ल्यूडी विभाग से सुधार करवाने की दिशा में पहल करनी चाहिए।

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