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अमर शहीद भक्त कंवरराम नगर द्वार एवं मुर्ति का लोकार्पण संत साई के साथ नगर विधायक सांसद पर्यटन मंडल अध्यक्ष बने साक्षी

बिलासपुर –::::—अमर शहीद संत भक्त कंवर राम जी के
138 वे अवतरण”दिवस के अवसर पर भक्त कंवर राम नगर द्वार एवं संत श्री कंवर राम जी की मूर्ति का लोकार्पण गरिमामय समारोह में कार्यक्रम के मुख्य अतिथि संत साईं लालदास अध्यक्षता बिलासपुर महापौर राम शरण यादव एवं विशिष्ट अतिथि बिलासपु सांसद अरुण साव नगर विधायक शैलेंद्र पांडे एवं पर्यटन मंडल अध्यक्ष अटल श्रीवास्तव , निगम सभापति शेख नसरुद्दीन
एल्डरमैन श्याम लालचंदानी बिलासपुर
सिंधी सेंट्रल पंचायत अध्यक्ष पीएन बजाज सिंधी कालोनी पंचायत अध्यक्ष शहरीश भागवानी वार्ड क्रमांक 19 पार्षद भरत कश्यप
वार्ड क्रमांक 20 पार्षद विजय यादव
भक्त कंवर राम सेवा समिति बिलासपुर अध्यक्ष रमेश महेरचंदानी के विशेष आतिथ्य एवं समाज के भारी संख्या में उपस्थित गणमान्य जनों की उपस्थिति में संपन्न हुआ ।
कार्यक्रम की शुरुआत समाज के इष्टदेव भगवान सांई झूलेलाल एवं अमर शहीद साईं कंवरराम के फोटो पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्वलित करके की गई ।
कार्यक्रम के अतिथियों का स्वागत फूलों की माला पहना कर किया गया कार्यक्रम का मंच संचालन राम लालचंदानी के द्वारा किया गया आए हुए सभी अतिथियों ने आज के इस पवित्र दिन और सुंदर गेट निर्माण की सभी लोगों को बहुत-बहुत बधाइयां और शुभकामनाएं दी, कार्यक्रम के अतिथियों ने सिंधी समाज की भूरी भूरी प्रशंसा करते हुए कहा कि सिंधी समाज मेहनतकश एवं पुरुषार्थी, एवं मिलनसार मृदुभाषी समाज है।
कुछ समय पूर्व क्षतिग्रस्त हुए गेट को नगर निगम बिलासपुर के महापौर जी माननीय विधायक जी पार्षद एल्डरमैन नगर निगम के सभी अधिकारियों, समाज के लोगों की मेहनत से शीघ्रता पूर्वक एक सुंदर गेट का निर्माण हुआ और और आज अमर शहीद भक्त साईं कमर राम जी जिनका आज 138 जयंती है उनके अवतरण दिवस पर आज लोकार्पण हुआ इससे ज्यादा बड़ी खुशी की बात और क्या हो सकती
कार्यक्रम के अतिथियों ने कहां की सिंधी समाज के लोग देश के कोने कोने में बसे हुएहै आजादी के बाद हुए बंटवारे में इतने दुख तकलीफ सहने के बाद भी सब कुछ छोड़ने के बाद भी आज अपनी मेहनत लगन के बल पर खड़ा है हमें भी सीखने को मिलता है बहुत ही खुशी का विषय है कि ऐसे समाज के लोग हमारे साथ जुड़े हुए हैं वह हर क्षेत्र में अपना योगदान दे रहे हैं इस अवसर पर परम पूजनीय संत लाल साई जी ने अपनी अमृतवाणी में नगर निगम बिलासपुर का धन्यवाद किया और कहा कि संत के नाम से बना गेट क्षतिग्रस्त हो गया था उसको फिर से इतना सुंदर नवनिर्माण हुआ है जिससे समाज की भावनाएं जुड़ी हुई थी आज यह समाज की मांग पूरी हुई है। अमर शहीद भक्त साईं कमर राम जी हमारे समाज के एक ऐसे दरवेश संत थे वे सदैव
दिन दुखियों की सेवा करते थे उन्होंने अपना बचपन गरीबी में गुजारा कोहर बेचकर गुजारा करते थे एक दिन उनकी आवाज सुनकर साईं सतराम दास जी ने उन्हें अपने पास बुला कर आशीर्वाद दिया और अपना शिष्य बनाया ।
भक्त साईं कमर राम जी नेअपनी भक्ति से कई शक्तियां प्राप्त की पर कभी भी उस शक्ति का दुरुपयोग नहीं किया सदैव दीन दुखियों की सेवा एवं अपनी सत्संग एवं भगत से मिले हुए पैसों को हमेशा दीन दुखियों में बांट देते थे और अपने लिए कुछ भी नहीं रखते थे। दीन दुखियों के मसीहा के रूप में सभी धर्म के लोगों मे उनका एक विशिष्ट स्थान था बड़े सरल स्वभाव के थे वैसे तो कई सारे घटनाएं हैं वह चमककार हैं उनके द्वारा किया गया है
कई घटना घटी हैं पर उनमें से दो एक घटना और चमत्कार आपको बता राह हूं जिसमें एक बार जब वह भगत कर रहे थे तो एक माता ने अपना मृत्य बच्चा उनके झोली में डाल दिया और कहा कि उसे लौली दीजिए जब संत जी ने देखा कि यह बालक तो मृत है तब उन्होंने अपने गुरु सतराम दास जी को याद किया और भजन गाने लगे

नाले अलख जे बेड़ो तार मोहनजो

जब यह भजन समाप्त हुआ तब वह मृत बालक जीवित उठा और रोने लगा यह चमत्कार देखकर लोग संत की जय जयकार करने लगे और दूसरी घटना थी 1 नवंबर 1939 का दिन था ट्रेन के माध्यम से कहीं जा रहे थे तब कुछ लोग उनके पास पहुंचे वह आशीर्वाद लिया और कहा कि आज हम जो कार्य करने आए वह कार्य पूरा हो आशीर्वाद दीजिए संत जी समझ गए थे कि यह लोग मुझे ही मारने आए हैं उसके बाद भी उन्होंने उन लोगों को आशीर्वाद दिया कि जाओ तुम्हारा कार्य सफल होगा और उन आदमियों ने उन पापियों ने सिंध की आत्मा हमारे सच्चे संत भक्त कंवर राम जी को गोली मारकर उनकी निर्मम हत्या कर दी
हमारे संत सर्वधर्म के प्रतीक थे
साईं लाल दास जी ने आगे कहा सिंधी समाज को शरणार्थी कहा जाता है वह शरणार्थी नहीं है वह पुरुषार्थी है बंटवारे के बाद हम एक घर छोड़कर दूसरे घर में आए थे तो हम शरणार्थी कैसे हुए बंटवारे का दुख दर्द तकलीफ अगर सबसे ज्यादा पीड़ा सही है तो सिंधी समाज ने सही है जब वह बंटवारे के बाद भारत आए तो उस समय अगस्त का महीना चल रहा था उस समय बहुत बारिश ज्यादा हुआ थी । यहां ना रहने को घर था न सर ढकने को छत थी न खाने को रोटी थी ऐसी अवस्था में हमारे पूर्वज अपने बच्चों को लेकर भारत पहुंचे थे और उस उस दर्द को उस तकलीफ को सहन किया लेकिन किसी को आगे हाथ नहीं फैलाया बल्कि अपनी मेहनत से लगन से दिन रात काम करके आज पुरुषार्थी समाज में गिनती होती है
वैसे आज सिंधी समाज व्यापार जगत में अपनी एक अलग पहचान बना कर रखा है हजारों लोगों को रोजगार देता है अर्थव्यवस्था में भी सिंधी समाज का योगदान सबसे ज्यादा है करोनाकाल में भी सभी समाजों के साथ सिंधी समाज ने भी बढ़ चढ़कर लोगों की सेवा की दीन दुखियों की सेवा की सेवा भावना हमारे खून में है हम जिस देवता का अंश हैं वह जल के देवता के जल शीतल रहता है शांत रहता है और सभी के लिए होता है उसी तरह सिंधी समाज भी शांत व शीतल है व सभी के साथ घुल मिलकर रहता है व सेवा कार्य काम करता है किसी भी समाज की पहचान उसके इष्ट देव उनकी बोली उसकी भाषा और संस्कृति उसके तीज त्यौहार होते हैं उसकी ताकत भी वही होते हैं कार्यक्रम के अंत में समिति के द्वारा आए हुए सभी अतिथियों को शाल पहनाकर व स्मृति चिन्ह देकर सम्मान किया गया
इस आयोजन में बड़ी संख्या में समाज के लोग व गणमान्य नागरिक उपस्थित थे
जिनमें प्रमुख हैं अर्जुन भोजवानी रूपचंद डोडवानी ,धनराज आहूजा, रमेश लालवानी, परमानंद गिडवानी, सुरेश सिदारा , खुशाल वाधवानी, हुंदराज जेसवानी,महेश पमनानी, जगदीश जज्ञासी, आनंद देशर , अमर रुपानी, बृजलाल नागदेव, प्रीततदास नागदेव नंदलाल बजाज, श्रीचंद दयालानी, नानक पंजवानी, डॉ प्रकाश नत्थानी,हूंदराज जैसवानी,गोपाल , नरेश मूलचंदानी,सिधवानी,हरिकिशन गंगवानी, दिलीप बहरानी, महेद्र हिंदूजा, अजय टहल्यानी, मोती थावरानी, प्रताप आईलानी,तोलाराम रेलवानी ,विजय दुसेजा अभिषेक विधानी विनोद लालचंदानी, अजय भीमनानी,प्रकाश जाज्ञासी, दिलीप दया लानी,दिलीप जगवानी, रमेश टेकचंदानी, रवि रूपवानी ,अनिल पंजवानी ,नवीन जाधवानी , आदि के साथ भारी संख्या में समाज के गणमान्य लोग उपस्थित रहे

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