
छुरा गरियाबंद भूपेंद्र गोस्वामी आपकी आवाज संपर्क सूत्र=8815207296
छुरा, छुरा ब्लॉक के अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के युवाओं के लिए वैज्ञानिक मधुमक्खी पालन पर दस दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का समापन आईएसबीएम विश्वविद्यालय परिसर में हुआ। इस अवसर पर प्रशिक्षण ले रहे युवाओं को मधुमक्खी पालन हेतु बाक्सों का वितरण भी किया गया।
खादी ग्रामोद्योग निगम (केवीआईसी) द्वारा आईएसबीएम विश्वविद्यालय के सहयोग से आयोजित इस कार्यक्रम में छुरा ब्लॉक के युवाओं ने प्रशिक्षण प्राप्त किया। उन्हें मधुमक्खी के छत्ते और उनके विभिन्न उत्पादों के प्रबंधन में प्रशिक्षण दिया गया था, और मधुमक्खी पालन और शहद, प्रोपोलिस, शाही जेली, मोम और मधुमक्खी के जहर का उपयोग करने वाले एपेथेरेपी जैसे उत्पादों का मूल्यांकन किया गया था।
डॉ. रानी झा, संयुक्त कुलसचिव, आईएसबीएम विश्वविद्यालय और कार्यक्रम प्रबंधक ने लाभार्थियों को मधुमक्खी के बक्से वितरित किए और पूरे भारत में शुद्ध शहद के मूल्य और मांग के बारे में बताया और लाभार्थियों को बड़ी मात्रा में मधुमक्खी उत्पादों का उत्पादन करने के लिए प्रोत्साहित किया। मधुमक्खी पालन में अपने परिवार और समुदायों के सदस्यों को प्रशिक्षित करें, ताकि सभी को इसका लाभ मिल सके।
समापन कार्यक्रम में यूनिवर्सिटी के चांसलर डॉ. विनय अग्रवाल ने कहा, आईएसबीएम यूनिवर्सिटी ने हमेशा सभी के लिए शिक्षा को संभव बनाने की दिशा में काम किया है। छत्तीसगढ़ राज्य के इस क्षेत्र की आदिवासी आबादी को लाभान्वित करने के लिए विश्वविद्यालय में कौशल प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया जाता है। वैज्ञानिक मधुमक्खी पालन से स्थानीय आदिवासी अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति समुदाय को मधुमक्खी पालन के साथ परागण द्वारा अपनी फसल उत्पादकता में वृद्धि करते हुए स्थायी आजीविका अर्जित करने में मदद मिलेगी। आईएसबीएम विश्वविद्यालय निकट भविष्य में इस तरह के कई और कौशल प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करेगा और इच्छुक लाभार्थियों को अधिक जानकारी के लिए डॉ. रानी झा, संयुक्त रजिस्ट्रार, से संपर्क करने के हेतु प्रोत्साहित किया।
