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छुरा ।। विश्व मधुमक्खी दिवस के अवसर पर देश के विभिन्न शहरों में कई कार्यक्रम आयोजित किये गये इसी कड़ी में आईएसबीएम यूनिवर्सिटी में भी विश्व मधुमक्खी दिवस मनाया गया।
केंद्रीय मधुमक्खी अनुसंधान और प्रशिक्षण संस्थान (सीबीआरटीआई), पुणे की पहल पर पूरे देश में शनिवार को विश्व मधुमक्खी दिवस का आयोजन किया गया। इस अवसर पर एमएसएमई के कैबिनेट मंत्री नारायण राणे देश की राजधानी दिल्ली से तथा एमएसएमई राज्य मंत्री भानु प्रताप सिंह वर्मा और केवीआईसी के अध्यक्ष मनोज कुमार और सीबीआरटीआई पुणे के अन्य वैज्ञानिक और अधिकारी केंद्रीय मधुमक्खी अनुसंधान और प्रशिक्षण संस्थान (सीबीआरटीआई), पुणे से इस कार्यक्रम में आभासीय रूप से अपनी उपस्थिति दर्ज की एवं प्रगतिशील मधुमक्खी पालकों का अभिनंदन करते हुये सफल लाभार्थियों को मधुमक्खी बक्सों और उपकरणों के वितरण कार्य की शुरूआत की साथ ही सभी किसानों और पदाधिकारियों को प्रोत्साहित किया कि वे कृषि के लाभ और मानव के लिए भी मधुमक्खियों द्वारा प्रकृति में निभाई जाने वाली महत्वपूर्ण भूमिका के बारे में समाज में जागरूकता बढ़ाएं।
आईएसबीएम कैंपस में रजिस्ट्रार डॉ बी पी भोल, निदेशक केवीआईसी राजेश कुमार, विश्वविद्यालय में मास्टर ट्रेनर एवं संयुक्त रजिस्ट्रार डॉ रानी झा सहित केवीआईसी रायपुर के कर्मचारी एवं अधिकारीगण इस कार्यक्रम में उपस्थित हुये।
डॉ. रानी झा ने वर्तमान परिवेश में मधुमक्खी पालन और विश्व मधुमक्खी दिवस के महत्व पर एक व्यावहारिक व्याख्यान दिया। खाद्य सुरक्षा और गरीबी, रोजगार और स्वास्थ्य की कमी, दूरदराज के गांवों और समाज के वंचित सदस्यों, विशेष रूप से महिलाओं की बढ़ती चिंताओं को एक स्थायी कम निवेश उच्च रिटर्न आजीविका विकल्प के रूप में वैज्ञानिक मधुमक्खी पालन से निपटा जा सकता है। किसान और बेरोजगार युवा शहद, मधुमक्खी के मोम, पराग, प्रोपोलिस, शाही जेली और मधुमक्खी के जहर को बेचकर कमाई कर सकते हैं, इन सभी का औषधीय महत्व है। उन्होंने उपस्थित सभी लोगों को आईएसबीएम विश्वविद्यालय में आयोजित भविष्य के प्रशिक्षण कार्यक्रमों में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित किया। डॉ. बी.पी. भोल ने भी कार्यक्रम की सफलता पर खुशी जाहिर करते हुए सभी हितग्राहियों को बधाई दी।
निदेशक केवीआईसी ने कहा कि पर्यावरण संतुलन बनाए रखने के लिए मधुमक्खी पालन महत्वपूर्ण है, उपस्थित सभी लोगों को मधुमक्खी पालन की तकनीक सीखने पर जोर दिया ताकि वे आर्थिक रूप से मजबूत हो सकें। उन्होंने इस अवसर पर प्रगतिशील मधुमक्खी पालकों को सम्मानित किया और प्रशिक्षण कार्यक्रम के सभी लाभार्थीयों को प्रमाणपत्र वितरित किये। इस अवसर पर आईएसबीएम विश्वविद्यालय में लीची, जामुन, नीम, तिल, यूकेलिप्टस आदि के पौधे रोपित किये गये.