रायगढ़ विधानसभा की जनता का नये चहरे पर बढ़ रहा विश्वास

रायगढ़ – प्रदेश में चुनावी हलचल तेज हो रहा है, हर जगह चुनावी चर्चा शुरू हो गई है। तमाम राजनीतिक पार्टी अपने अपने विचारधारा को लेकर जनता के समक्ष पहुंच रहे है।

प्रदेश में विधानसभा चुनाव को लेकर क्षेत्र में दावेदारों की लंबी कतारें लगी हुई है। राजनीतिक दल के नेता अपनी – अपनी पार्टी को मजबूत बता रहे हैं।
चुनाव की नजदीकियों को देख राष्ट्रीय नेता प्रदेश में नज़र डाले हुए हैं प्रदेश की हर सीट में राष्ट्रीय नेताओं का आना जाना भी शुरू भी हो गया है।

बता दें कि प्रदेश में अभी कांग्रेस की सरकार है। वहीं भाजपा यहां मजबूत विपक्ष के रोल में है।
ज्ञात हो कि यहां विधानसभा की कार्यवाही भी समाप्त हो चुकी है, साढ़े चार वर्षा में भाजपा ने विधानसभा में कांग्रेस सरकार के खिलाफ कई मामले उठाए हैं।

प्रदेश में भले ही भाजपा के विधायक कम है, लेकिन यहां भाजपा कमजोर नहीं है प्रदेश के एक-एक विधानसभा में भाजपा के कार्यकता पूरी ऊर्जा के साथ अपने अपने क्षेत्र में कार्य कर रहे हैं। प्रदेश के 90 सीटों में खरसिया विधानसभा और रायगढ़ विधानसभा एक ऐसी सीट है जहां राष्ट्रीय नेताओं की सीधी नजर रहती है। रायगढ़ जिला में पहले सारंगढ़ विधानसभा को मिला कर पांच सीट आती थी। पर सारंगढ़ जिला बनने के बाद रायगढ़ जिला में अब कुल चार सीट ही शेष रह गई है। जिसमें खरसिया, धरमजयगढ़, लैलूंगा, और रायगढ़ विधानसभा क्षेत्र आते है।

जिले की इन चारों सीटों की समीक्षा की जाए तो 2018 के विधानसभा चुनाव में खरसिया विधानसभा क्षेत्र से भाजपा ने पूर्व कलेक्टर
ओमप्रकाश चौधरी को चुनाव मैदान में उतारा था, धरमजयगढ़ विधानसभा में भाजपा ने ओम प्रकाश राठिया को चुनाव में उतारा था, लैलूंगा से सत्यानंद राठिया चुनाव मैदान में रहे हैं तो वहीं रायगढ़ विधानसभा में भाजपा ने रोशन लाल अग्रवाल को प्रत्यासी बनाया था।

इन चारों सीटों में रायगढ़ की सीट बेहद महत्वपूर्ण मानी जाती है रायगढ़ विधानसभा को लेकर 2018 के विधानसभा चुनाव की बात की जाए तो कांग्रेस से प्रकाश नायक और भाजपा से रोशन लाल अग्रवाल के बीच जबरदस्त मुकाबला देखा गया था। तो वहीं भाजपा में ही रहकर राजनीति करने वाले क्षेत्र के नामचीन नेता ने 2018 के विधानसभा चुनाव में पार्टी से हटकर निर्दलीय चुनाव लडा था। जिसके बाद भाजपा यहां जीतते जीतते हार गई। चुनाव के बाद लोगो का यह भी कहना रहा है कि भाजपा में तीन गुट होने के कारण ही यह सीट भाजपा हार गई।

कई वर्षा के चुनावी नतीजों पर गौर किया जाए तो रायगढ़ विधानसभा चुनावों में भाजपा का अच्छा खासा वजन देखा जाता है, पीछले विधानसभा चुनाव में अपने नेताओं के कारण ही रायगढ़ की सीट भाजपा ने गवाई।

प्रदेश में कुछ ही माह के अंदर 2023 के विधानसभा चुनाव होने हैं ऐसे में कांग्रेस के साथ- साथ भाजपा भी पूरी ताकत के साथ खड़ी हुई है। प्रदेश के चुनाव में रायगढ़ जिला भी अहम माना जाता है इस जिले में भाजपा के एक भी विधायक नही है। इसलिए भाजपा के शीर्ष नेताओं का ध्यान यहां पर अधिक देखा जा रहा है।

प्रदेश की राजनीति में भाजपा भले एकजुट है पर रायगढ़ भाजपा की राजनीति में गुटबाजी को झुठलाया नहीं जा सकता है यहां पर भाजपा के नेता बाहर से एक ही दिखाई पड़ते हैं पर अंदुरूनी बात कुछ और बयां करती है। पीछले विधानसभा चुनाव में रायगढ़ में भाजपा के हार का मुख्य कारण गुटबाजी ही रही है रायगढ़ विधानसभा में भाजपा में तीन गुट देखे जाते हैं

लोगों का मानना है पीछले विधानसभा चुनाव में भाजपा रायगढ़ सीट पर बड़े ही आसानी के साथ चुनाव जीत जाती पर यहां भाजपा नेताओं की आपसी गुटबाजी ने पूरा खेल खराब कर दिया। यहां पिछले चुनाव में कई नेताओं ने भाजपा प्रत्यासी के साथ भीतरघात किया था

रायगढ़ में जनता मांगे नया चहरा

रायगढ़ सहित पूरे जिले में इसबार लोगो के दिमाक में नया चहरा को लेकर उत्साह देखा जा रहा है भाजपा के जमीनी कार्यकर्ता भी पूराने चहरों से अपना ध्यान हटा चुके हैं। प्रदेश भाजपा की राजनीति कुछ कहे पर रायगढ़ विधानसभा क्षेत्र में नए चहरा की मांग बढ़ गई है। लोग भी कह रहे हैं रायगढ़ की राजनीति में इसबार भाजपा को नया उम्मीदवार लाना चाहिए।

रायगढ़ की राजनीति में वैसे तो कई नेता हैं पर रायगढ़ की राजनीति में जमीनी पकड़ रखने वाले भाजपा नेता सुनील रामदास अग्रवाल भाजपा के लिए बेहतर हो सकते हैं। रायगढ़ विधानसभा की राजनीति में यह एक ऐसा नाम है जिनके सामने आते ही गुटबाजी समाप्त हो सकती है। जिस हिसाब से रायगढ़ विधानसभा में नए चहरा की मांग हो रही उसमें सुनील रामदास अग्रवाल का नाम परफेक्ट बैठ रहा है लोगो की माने तो कुछ लोग यह भी कह रहें कि सुनील रामदास अग्रवाल गुटबाजी का हिस्सा नहीं है शायद इसी कारण भाजपा के एक- एक कार्यकर्ताओ के जुबान पर यह नाम है।

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