
कांग्रेस का मंथन…निकलेगा अमृत! उदयपुर में 3 दिन के मंथन के बाद ‘कांग्रेस’ का नया उदय होगा?
रायपुर: बात होगी देश के सबसे पुराने दल कांग्रेस की, जो राजस्थान के उदयपुर में 3 दिनों के चिंतिन शिविर में पार्टी की मौजूदा स्थिति पर मंथन कर रही है। पार्टी ये स्वीकार कर रही है कि वो सियासी इतिहास में अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रही है। 2014 के बाद एक-एक करके पार्टी को मिली हार का भार पार्टी को कई मोर्चों पर सवालों के घेरे में ला चुका है। पार्टी, भाजपा समेत अपने लोगों के भी निशाने पर है। ऐसे में पार्टी के लिए रिवाइवल की जरूरत भी है और जरूरी भी। पार्टी को आने वाले सालों में मध्यप्रदेश-छत्तीसगढ़ समेत विधानसभाओं से लेकर लोकसभा चुनाव में उतरना है। ऐसे में क्या कांग्रेस के लिए इस चिंतन शिविर से पार्टी के भीतर सुधार की कड़वी औषधि निकलेगी? क्या पार्टी को इस मथन से जीत का अमृत मिलेगा?
देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस का राजस्थान के उदयपुर में चिंतन शिविर चल रहा है। काफी ताम-झाम है, देशभर से 400 से ज्यादा नेता शिविर में मौजूद हैं, लेकिन क्या इस शिविर से सच में कोई समाधान निकलेगा? उदयपुर में 3 दिन के मंथन के बाद कांग्रेस का नया उदय होगा? जाहिर तौर पर यहां कांग्रेस उन तमाम सवालों का हल तलाशेगी, जिसे लेकर पार्टी में लगातार सवाल उठ रहे हैं। यही वजह है कि चिंतन शिविर के पहले दिन ही सोनिया गांधी ने कार्यकर्ताओं को पिछले चुनाव में मिली नाकामियों को भुलाकर नई उर्जा से काम करने की बात कही। साथ ही RSS और बीजेपी पर भी जमकर निशाना साधा।
दरअसल कांग्रेस के सामने सबसे बड़ी चुनौती पार्टी की आंतरिक गुटबाजी को खत्म करने और असंतुष्ट नेताओं को मनाने की है। वहीं पार्टी एक ऐसे मजबूत नेतृत्व की तलाश कर रही है जो अपने नेताओं और कार्यकर्ताओं में जान फूंक सके। उदयपुर चिंतन शिविर मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के लिहाज से काफी महत्वपूर्ण है, क्योंकि अगले साल यहां विधानसभा चुनाव हैं। ये चुनाव कांग्रेस के लिए बड़ी चुनौती है। खास तौर पर मध्यप्रदेश में किस रणनीति से पार्टी मैदान में उतरे और किन मुद्दों से बीजेपी सरकार को घेरे, उस पर चिंतन शिविर में मंथन होगा। मध्यप्रदेश से पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ समेत एमपी कांग्रेस के कई बड़े नेता उदयपुर पहुंचे हैं।
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल रायपुर से दिल्ली के लिए रवाना हो गए हैं, जिसे लेकर उन्होंने ट्वीट किया कि नव चिंतन के वास्ते..उदयपुर के रास्ते..। सीएम के अलावा छग के कई नेता शामिल हुए हैं। उदयपुर रवाना होने से पहले सीएम भूपेश ने पार्टी को एक परिवार-एक टिकट के फॉर्मूले पर विचार करने को कहा।
छत्तीसगढ़ और राजस्थान ही अब दो ऐसे राज्य हैं जहां कांग्रेस के मुख्यमंत्री है। 2018 के विधानसभा चुनाव के बाद हुए हर चुनाव में हाईकमान ने भूपेश बघेल को स्टार प्रचारक के तौर पर मैदान में उतारा, तो वहीं कई राज्यों में चुनावी प्रबंधन करने की जिम्मेदारी भी दी। राहुल गांधी दूसरे राज्यों में अक्सर छत्तीसगढ़ मॉडल की प्रशंसा करते रहे हैं। जाहिर तौर पर उदयपुर में भूपेश बघेल सरकार के सफल फार्मूले पर भी चर्चा होगी। कांग्रेस नेतृत्व ये जानने का प्रयास करेगा कि पूरे देश में कांग्रेस की रणनीति असफल होने का असर छत्तीसगढ़ में क्यों नहीं है। हालांकि बीजेपी कांग्रेस की चिंतन शिविर पर तंज कस रही है।
कुल मिलाकर कांग्रेस के चिंतन शिविर को लेकर राजनीतिक हलचल तेज है। अगले तीन दिन तक कांग्रेस अपने भविष्य की रणनीति तय करेगी, अब देखना ये होगा कि कई सवालों से घिरी पार्टी चिंतन शिविर में किन मुद्दों को अहमियत देती है। सवाल ये भी कि मंथन से जीत का अमृत निकलेगा?