कुम्हारों ने हजारों रुपए कर्ज लेकर तैयार किए मटका अब बिक्री नहीं होने से बढ़ रही परेशानी

रायगढ़. । जिले में अब गर्मी पूरे शबाब पर आ गया है। ऐसे में लोंगो को शीतल पेय जल की आवश्यकता काफी होती है, लेकिन कोरोना संक्रमण का खतरा अधिक होने के कारण लोग फिलहाल ठंडे पानी से बचते नजर आ रहे हैं इस कारण कुम्हारों द्वारा तैयार किए गए देशी फ्रीज या मटका की बिक्री ना के बराबर हो गई है इस संबंध में कुम्हारपारा निवासी कुम्हार ने बताया कि इनका पुस्तैनी धंधा मिट्टी का बर्तन बनाकर बेचना है इस कारण वे मौसम व त्यौहार को देखते हुए मिट्टी के बर्तन तैयार करते हैं। जिसको बेचकर जो पैसा आता है उसी से अपना घर परिवार का पालन पोशण करता है। लेकिन विगत साल से कोरोना संक्रमण के चलते लाकडाउन लगने से इनकी धंधा पूरी तरह से चौपट हो गया है। इस दौरान नवंबर-दिसंबर से लाकडाउन खुलने के बाद इसने अपना कार्य तेज कर दिया था लेकिन कोरोना संक्रमण के चलते बिगत साल भी न तो दुर्गा पूजा में बिक्री हुई और न ही दीपावली में इस कारण इनकी हालत और खराब हो गई। ऐसे में अब गर्मी का मौसम को देखते हुए जिले के कुम्हारों ने बड़ी मात्रा में मटका का निर्माण किया है, लेकिन लाकडाउन के चलते इनकी मेहनत पर पानी फिर गया है।
इस संबंध में श्याम प्यारे कुम्हार ने बताया कि इस साल वे बड़ी मात्रा में मटका तैयार किया है इसके लिए हजारों कर्ज लेना पड़ा था साथ ही उसका कहना था कि इस महंगाई के समय में एक हजार रुपए ट्रेक्टर मिट्टी व 5 से 6 रुपए किलो लकड़ी हो गया है। इस कारण अब मिट्टी का बर्तन भी काफी कीमती हो गया है इसके साथ ही इस दौरान लाकडाउन होने के कारण इनका धंधा पूरी तरह से चौपट हो गया है। पहले घूम-घूम कर तो कोई बाजार-बाजार में मटका बेचते थे, जिससे इनका आय अच्छा होता था, लेकिन अब बाजार भी बंद होने से बिक्री लगभग खत्म हो गया है।
इस संबंध में कुम्हारों ने बताया कि पिछले साल भी कोरोना के चलते पूरा साल खराब हो गया था। लेकिन इस बार बाजार खुलने से अंदाजा ऐसा लग रहा था कि अब स्थिति में सुधार हो जाएगी, लेकिन फिर से कोरोना संक्रमण के चलते लोगों की परेशानी बढ़ गई है। वहीं श्याम प्यारे ने बताया कि इस साल उसने ५०-६० हजार रुपए खर्च कर बड़ी मात्रा में मटका, मिट्टी का बोतल, मिट्टी का कढाई सहित अन्य सामान तैयार किया है, लेकिन बिक्री नहीं होने से पैसा फंस गया है।

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