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बेमेतरा =भवानी वाटिका में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा में आचार्य पंडित संजय कृष्ण शास्त्री ने श्रद्धालु भक्तों को संबोधित करते हुए बताया की भागवत ही भगवान कृष्ण का स्वरूप है भगवत कृपा श्रवण ही भगवत प्राप्ति करने का सुगम साधन है अभिमान रहित होकर छल, कपट, ईर्ष्या, द्वेष त्याग कर प्रेम पूर्वक कथा में सम्मिलित होना चाहिए।द्वारिका पुरी में रानियो को अभिमान हो गया बहुत ऐश्वर्य है उनके अहंकार को दूर करने मां राधा रानी जी का दर्शन कराया राधा तत्व का निरूपण करते हुए बौद्धगम्य धार्मिक शैली कथा रसपान कराते हुए कहा राधा ही कृष्ण है कृष्ण ही राधा है। मनसा वाचा कर्मणा हम जो भी कर्म करें भगवत समर्पण की भावना से करने से श्री कृष्ण राधा तत्व का बोध हो सकता है।आत्म तत्व का बोध हो जाना ही मुक्ति है, स्व स्वरूप का बोध हो जाए इसलिए जीवन काल में ही श्रद्धा पूर्वक भागवत कथा श्रवण कर जीवन मुक्त बन सकते हैं या देह त्यागने के बाद कथा के द्वारा मोक्ष प्राप्त कर सकते हैं। राजसूय यज्ञ का विस्तार पूर्वक कथा में निरूपण करते हुए शास्त्री जी ने कहा यज्ञ शास्त्र सम्मत विधि पूर्वक संपन्न हो तो कल्याण की प्राप्ति संभव है विडंबना यह है आज सब मे सब का अधिकार की सोच उचित नहीं है।
आप पुण्य फल की उत्तम प्राप्ति चाहते हैं लेकिन विधि विधान पूर्वक यज्ञ पूजा आराधना नहीं चाहते हैं तो उत्कर्ष संभव नहीं है लीला पुरुषोत्तम भगवान ने यज्ञ में स्वयं विप्र जनों के प्रति सम्मान पाद पक्षालन करना भोजनालय में सेवा प्रदान कर प्रेरित किया ,समाज में सेवा की भावना का अभाव न हो सभी जीवो के प्रति दया, करुणा,मैत्री की भावना रखता परम धर्म है।यज्ञ सात्विक होना चाहिए द्रव्य शुद्धि, क्रिया शुद्धी,भाव शुद्धि के द्वारा भगवान प्रसन्न होते हैं। कथा प्रसंग में शास्त्री जी ने सेवा के नाम तथा कथित वनवासी क्षेत्र में धर्मांतरण की घटना अभिशाप है सनातन धर्म अनादि काल से है, हिंदुओं का धर्म दार्शनिक वैज्ञानिक और व्यावहारिक धरातल पर सभी काल में परम उपयोगी है जिसके पालन से सबका कल्याण संभव है।धर्म तो एक है शेष मजहब, पंथ है। समाज में आज आवश्यक है सनातन परंपरा प्राप्त आदर्श मार्ग में चलकर आप आत्म कल्याण कर सकते हैं। पाश्चात्य संस्कृति का अनुकरण निंदनीय है अपने धर्म, संस्कृति पर हिंदुओं को गौरव होना चाहिए,भारत सनातन धर्म के विज्ञान के कारण ही विश्व गुरु के रूप में प्रतिष्ठित रहा है।दत्तात्रेय के 24 गुरुओं का वर्णन करते हुए कृष्ण उद्धव संवाद का निरूपण किया,दीक्षा गुरु एक-जो साधन का मार्ग बताएं जो मंत्र जप के द्वारा जीवन धन्य होता है लेकिन मंत्र का जप मन में करने का है माइक में वैदिक मंत्र उचित नहीं।शिक्षा गुरु कई हो सकते हैं-जहां से अच्छे विचार मिले गुण ग्रहकता जीवन में होना चाहिए।भगवान कृष्ण 125 वर्षों तक भारतवर्ष की पावन भूमि में लीला की यह पवित्र देश भारत विश्व का हृदय है यहां दिव्यता रहेगी तो पूरे विश्व में भव्यता रहेगी। इसलिए भारत को हिंदू राष्ट्र घोषित करने की आवश्यकता है। पूज्यपद गुरुदेव भगवान पुरी पीठाधीश्वर जगतगुरु शंकराचार्य महाभाग का हिंदू राष्ट्र निर्माण अभियान से जुड़कर आप सभी सहभागी बने इस अवसर पर बड़ी संख्या में प्रदेश पर से श्रद्धालु भक्त भी उपस्थित थे। कल गीता प्रवचन तुलसी वर्षा यज्ञ पूर्णाहुति सहस्त्र धारा स्नान का कार्यक्रम है।
