एलॅन्स में क्रीडो संगठन द्वारा प्री-प्राइमरी शिक्षकों के लिए कौशल विकास प्रशिक्षण का आयोजन

दिनेश दुबे
आप की आवाज
*एलॅन्स में क्रीडो संगठन द्वारा प्री-प्राइमरी शिक्षकों के लिए कौशल विकास प्रशिक्षण का आयोजन*
बेमेतरा = क्रीडो संगठन द्वारा एलॅन्स पब्लिक स्कूल के प्री-प्राइमरी विभाग  में प्री-प्राइमरी शिक्षकों के लिए प्रशिक्षण का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत डॉ. सत्यजीत होता, प्राचार्य, रिसोर्स पर्सन प्रीति, वरिष्ठ प्रबंधक, क्रीडो बैंगलोर, श्रीमती जान्हवी मुदलियार, (एमपावर), सुश्री निधि (हेक्सामाइंड) और शिक्षकों द्वारा देवी सरस्वती की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित कर माल्यार्पण किया गया। लता मंगेशकर क्लब की छात्राओं द्वारा स्वागत गीत गाया गया तथा नटराज क्लब की छात्राओं द्वारा बावन गजगा नामक नृत्य प्रस्तुत किया गया।
सर्वाधिक उत्साही प्रतिभागी एलॅन्स पब्लिक स्कूल, डीपीएस छिंदवाड़ा, कोलंबिया स्कूल,  रिवरडेल स्कूल महासमुंद,  जेपी इंटरनेशनल स्कूल कांकेर और  एसआरवीएम सूरजपुर स्कूलों के प्रशिक्षकु ने भाग लिया ।
“क्रीडो विधि” प्रारंभिक बचपन और बचपन की शिक्षा के दृष्टिकोण को संदर्भित करती है। यह प्रीस्कूल, किंडरगार्टन और मोंटेसरी के छात्रों के लिए डिज़ाइन किया गया एक पाठ्यक्रम और शिक्षण पद्धति है। क्रीडो पद्धति बाल-केंद्रित दृष्टिकोण पर जोर देती है, जो समग्र विकास, करके सीखने और खेल-आधारित गतिविधियों पर ध्यान केंद्रित करती है। इसका उद्देश्य एक ऐसा वातावरण बनाना है जहाँ बच्चे अपने संज्ञानात्मक, सामाजिक, भावनात्मक और शारीरिक विकास को बढ़ावा देते हुए अपनी गति से खोज व प्रयोग करके सीख सकें।
प्रशिक्षण के पहले दिन शिक्षकों को क्रीडो और प्री-प्राइमरी कक्षा के छात्रों के लिए इसके महत्व के बारे में बताया गया। रिसोर्स पर्सन द्वारा प्रेजेंटेशन थ्योरी, सेंसोरियल थ्योरी और गणित प्रेजेंटेशन को शिक्षकों के सामने उजागर किया गया।
प्रशिक्षण के दूसरे दिन गणित सामग्री की प्रस्तुति, अंग्रेजी शब्दावली विकसित करने के तरीकों पर चर्चा, अंग्रेजी मौखिक उच्चारण गतिविधि की प्रस्तुति और अंग्रेजी सामग्री की प्रस्तुति हुई।
रिसोर्स पर्सन प्रीति ने क्रीडो विधि से शिक्षण के महत्व के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि ये विधियाँ, साक्षरता कौशल (भाषा), संख्यात्मक कौशल (गणित), विषय-वस्तु (ईवीएस), संवेदनशीलता  कौशल और संज्ञानात्मक कौशल पर ध्यान केंद्रित करती हैं और साथ ही बच्चों में सामाजिक-भावनात्मक क्षेत्र को बेहतर बनाने में मदद करती हैं। विकास के ये सभी क्षेत्र हमारी क्रीडो लैब के माध्यम से पाठ्यक्रम में सबसे पहले खेल या गतिविधियों से शुरू होते हैं। क्रीडो 6 महत्वपूर्ण तथ्यो पर आधारित शिक्षा है जिन्हें खिलौने, सिद्धांत, समय सारिणी, शिक्षक, प्रौद्योगिकी और टीमवर्क के रूप में जाना जाता है। उन्होंने कहा कि क्रीडो का पाठ्यक्रम प्री-प्राइमरी स्तर के छात्रों के समग्र विकास के लिए उपयुक्त है।
*प्राचार्य डॉ. सत्यजीत होता ने कहा कि एलॅन्स का दृष्टिकोण प्रारंभिक शिक्षा के लिए वास्तविक मानक है। प्रारंभिक शिक्षा गुणवत्ता सुनिश्चित करने का अवसर देती है। एलॅन्स स्कूल सीबीएसई का जिला प्रशिक्षण केंद्र होने के नाते, हमारे पास भविष्य के प्रशिक्षण समाधानों के लिए प्रगतिशील विकास योजनाएँ हैं। इसलिए, हमें विलासिता की नहीं बल्कि गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की आवश्यकता है। प्रारंभिक बचपन की शिक्षा को खुले हाथों से संचालित किया जाना चाहिए और उन्हें अपने नवाचार और रचनात्मकता के लिए वातावरण प्रदान करना चाहिए। क्रीडो प्रशिक्षण कार्यक्रम अनुभवात्मक शिक्षा पर केंद्रित है, जहाँ  छात्र व्यावहारिक गतिविधियों और परस्पर अनुभवों के माध्यम से अवधारणाओं का पता लगाते हैं। यह विधि रचनात्मकता, आलोचनात्मक सोच और समस्या-समाधान कौशल को प्रोत्साहित करती है। छात्रों को अपनी गति से सीखने और सीखने के आनंद की खोज करने की अनुमति देकर,  मैं ज्ञान के प्रति आजीवन प्रेम पैदा करने की आशा करता हूँ। प्रशिक्षण का आयोजन हमारे स्कूल की यात्रा में एक महत्वपूर्ण क्षण का प्रतीक है क्योंकि हम क्रीडो प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू कर रहे हैं। क्रीडो, जिसका संस्कृत में अनुवाद “खेलना” है, जो दर्शन का प्रतीक है कि सीखना सबसे प्रभावी तब होता है जब यह आकर्षक और आनंददायक हो। जैसे ही हम इस नवीन दृष्टिकोण को अपने पाठ्यक्रम में एकीकृत करते हैं, हम युवा दिमागों के पोषण का एक नया तरीका अपना रहे हैं। हमारे समर्पित शिक्षकों ने इस परिवर्तन को सुविधाजनक बनाने के लिए विशेष प्रशिक्षण लिया है, और मुझे पूर्व-प्राथमिक श्रेणी के सभी युवा शिक्षार्थियों को मार्गदर्शन और प्रेरित करने की उनकी क्षमता पर पूरा भरोसा है। उनके अनुसार शिक्षा एक सहयोगात्मक प्रयास है; छात्र, शिक्षक और माता-पिता विकास के लिए सबसे अनुकूल वातावरण बनाने के लिए मिलकर काम करते हैं। उन्होंने शिक्षकों से कहा कि जिज्ञासा के मूल्य, अन्वेषण की शक्ति और खेल के माध्यम से सीखने के जादू का जश्न मनाने के लिए खुले दिमाग रखें और आने वाले परिवर्तनों को अपनाएँ। उन्होंने शिक्षकों को बहुमूल्य प्रशिक्षण देने के लिए प्रशिक्षकों को धन्यवाद दिया।
इस प्रशिक्षण कार्यक्रम को यादगार बनाने के लिए प्राचार्य डॉ. सत्यजीत होता द्वारा रिसोर्स पर्सन को शॉल एवं श्रीफल भेंट कर सम्मानित किया।
कार्यक्रम का संचालन समन्वयक श्रीमती खुशबू ने किया और एंकरिंग सुश्री गुरवी नायडू ने की।
कमलजीत अरोरा-अध्यक्ष,  पुष्कल अरोरा-निदेशक, सुनील शर्मा-निदेशक और भाग लेने वाले स्कूलों के अन्य प्रशिक्षुओं ने भविष्य में भी इस तरह के प्रशिक्षण की इच्छा जताई और प्रशिक्षको को भी धन्यवाद दिया ।

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