
चिटफंड निवेशकों को राहत देने उम्मीदों भरी शुरुआत….
चिटफंड में धोखाधड़ी के शिकार निवेशकों की धन वापसी की प्रक्रिया शुरू करने वाला एकमात्र प्रदेश होने का मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का दावा चुनावी वादे के अनुरूप कार्य करने की उनकी प्रतिबद्धता को दिखा रहा है। राजनांदगांव जिले के निवेशकों के खाते में अब तक 9.78 करोड़ रुपये जमा कराए जाने में मिली सफलता उम्मीद जगाती है। राज्य सरकार की सख्ती के बाद चिटफंड कंपनियों के संचालकों पर कार्रवाई में तेजी आती दिख रही है। विधानसभा चुनाव के दौरान बघेल ने वादा किया था कि कांग्रेस सत्ता में आई तो दगाबाज कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
राज्य सरकार की पहल पर चिटफंड कंपनी याल्स्को रियल स्टेट एंड एग्रो फार्मिंग लिमिटेड के राजनांदगांव जिले के 16 हजार 796 निवेश्ाकों के खाते में मंगलवार को पहुंची दो करोड़ 46 लाख रुपये की रकम के बाद राज्य के निवेश्ाकों की उम्मीदें एक बार फिर जाग गई हैं। इसके पहले भी राजनांदगांव जिले के निवेश्ाकों को सात करोड़ 32 लाख 95 हजार रुपये वापस किए गए थे। राज्य के करीब 20 लाख निवेश्ाकों की 60 हजार करोड़ रुपये से अधिक की रकम 150 चिटफंड कंपनियों में फंसी हुई है।
इनमें करीब 40 चिटफंड कंपनियां ऐसी हैं, जो पंजीकृत ही नहीं हैं। लंबे समय तक कार्रवाई में शिथिलता से निवेश्ाकों ने रकम वापसी की उम्मीद खो दी थी। निवेशकों का दबाव बढ़ने के बाद उक्त कंपनियों के प्रतिनिधि ही हाई कोर्ट पहुंच गए तो हलचल बढ़ी थी और यह चुनावी मुद्दा बन गया था। हाल के दिनों में मुख्यमंत्री के निर्देश पर चिटफंड कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई में तेजी आई है।
सरकार ने सभी कलेक्टरों को चिटफंड कंपनियों को सूचीबद्ध कर उनकी संपत्तियों का पता लगाने को कहा, ताकि उनकी कुर्की कर निवेशकों को रकम लौटाई जा सके। प्रदेश के विभिन्न् जिलों में निवेशकों के आवेदन पहुंच चुके हैं, परंतु अभी उनकी छंटनी का काम भी पूरा नहीं हो सका है। इसकी वजह से ठगे गए लोगों की संख्या और राशि के बारे में वास्तविक स्थिति स्पष्ट नहीं है। पूरे प्रदेश के निवेशक बेचैन हैं।
प्रदेश सरकार को वादा याद दिला रहे हैं। इधर मुख्यमंत्री भी सजगता और सतर्कता के साथ मुद्दे की संवेदनशीलता को समझ रहे हैं, तभी पुलिस और प्रशासन को बार-बार निर्देशित किया जा रहा है। डीजीपी डीएम अवस्थी को बदलने में भी इसे बड़ा कारण बताया गया। कांग्रेस सरकार को सत्ता में आए तीन साल पूरे होने वाले हैं। ऐसे समय में अनुमानित निवेश और वापस की गई राशि के अनुपात का अवलोकन करें तो सरकार के सामने बड़ी चुनौती नजर आ रही है। यही वजह है कि सरकार में थोड़ी व्यग्रता भी दिख रही है। इसी आधार पर उम्मीद की जा सकती है कि कम समय में ही और परिण्ााम सकारात्मक आएंगे।