सघन कुष्ठ खोज अभियान 15 जून से 10 जुलाई तक….

जशपुरनगर 17 जून 2023/सघन कुष्ठ खोज अभियान जिले में 15 जून 2023 से प्रारंभ हो गया है जो कि 10 जुलाई 2023 तक चलाया जाएगा । अभियान के दौरान मितानिन के द्वारा अपने कार्य क्षेत्र में 15 जून 2023 से 10 जुलाई 2023 तक घर-घर भ्रमण कर कुष्ठ रोग के लक्षण के आधार पर संभावित मरीजों की पहचान की जावेगी। ऐसे क्षेत्र जहां मितानीन नहीं हैं निकट के पारा की मितानिन या कुष्ठ मित्र या स्वयंसेवी व्यक्तियों की मद्द ली जा रही है। कुष्ठ एक बहुत पुरानी एवं धीरे से फैलने वाली बीमारी है। जिस व्यक्ति के शरीर में दाग-धब्बे, शरीर के रंग से हटकर तेलिया – तमिया चमक है, जिसमें संवेदना नहीं है, अथवा सुन्नपन है, कुष्ठ संदेह किया जा सकता है। उसे तुरंत स्वास्थ्य विभाग से सम्पर्क करना चाहिए। देर से संपर्क करने व विलम्ब से उपचार लेने से विकृति की संभावना बढ़ जाती है। यह बीमारी एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक नहीं फैलता। यह किसी पाप का फल नहीं है। यह अविश्वसनीय फैलाया गया है। यदि मरीज पूर्ण उपचार लेता है तो पूर्ण रूप से उपचारित (कुष्ठ मुक्त) हो जाता है। इस बीमारी के साथ जुड़ी भय एवं भ्रांति को दूर करने एवं संभावित व्यक्ति शीघ्र उपचार एवं निदान स्वास्थ्य विभाग से प्राप्त करें, पीड़ित होने पर सभी स्वास्थ्य संस्थाओं में प्राप्त होने वाली मुफ्त बहु औषधि उपचार प्राप्त करें।
डॉ. आर.एस. पैंकरा नोडल अधिकारी द्वारा कुष्ठ रोग के निम्नानुसार लक्षण बताये गये है, चमड़ी पर तेलिया-तामिया चमक हों, चमड़ी पर दाग, चकत्ते जिसमें सुन्न्पन हो, तंत्रिकाओं में मोटापन- सूजन हो, दबाने से दर्द होता हो, हाथ पैरों में झुनझुनी व सुन्नपन हो, चमड़ी पर, खासकर चेहरे पर भौंहों के उपर, ठुड़ी पर या कानों में गठानें, सूजन या मोटापन हो, हाथ पैर में बार-बार फफोले आते हों। पैरों में घाव हो और भर नहीं रहा हो।
संक्रमित व्यक्ति में 01 या 01 से अधिक लक्षण दिखाई पड़ सकते है। जिले में अभियान के सफल संचालन के लिए स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं एवं मितानीनों का प्रशिक्षण कर लिया गया है। अभियान के लिए जशपुर जिले में कुल 3571 टीम (मितानीन) है जो अपने अपने क्षेत्र में भ्रमण करेंगी। सुपरविजन एवं मॉनिटरिंग हेतु 417 टीम गठित किया गया है प्रत्येक टीम द्वारा 2500 जनसंख्या को कवर किया जायेगा।

 ग्रामीण एवं शहरी दोनों क्षेत्रों में सर्वे का कार्य किया जायेगा। अभियान की मॉनिटरिंग के लिए विकासखंड स्तर पर खण्ड चिकित्सा अधिकारी को नोडल बनाया गया है तथा प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र, सेक्टर स्तर पर प्रभारी चिकित्सा अधिकारी एवं सेक्टर पर्यवेक्षक को मॉनिटरिंग एवं रिपोर्टिंग की जिम्मेदारी दी गई है।प्रत्येक मितानीन अपने क्षेत्र के भ्रमण पश्चात प्रतिवेदन मितानिन प्रेरक के पास जमा करेंगे।प्रत्येक मितानिन प्रेरक, ग्रामीण स्वास्थ्य संयोजक द्वारा अपने कार्यक्षेत्र की सभी मितानीन से उपरोक्त चिन्हांकित संभावित रोगों की सूची निर्धारित प्रपत्र में प्रा. स्वास्थ्य केंद्र में जमा करेंगे। प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र के डाटा कर्मचारी द्वारा (पीडीए) द्वारा विकासखंड डाटा प्रबंधक को एवं वहां से जिला डाटा प्रबंधक के पास अंतरिम रिपोर्टिंग भेजेगे।

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