छत्तीसगढ़ सरकार का फैसला, राज्य में होगा टी-कॉफी बोर्ड का गठन, किसानों को बड़ी सौगात

रायपुर. छत्तीसगढ़ के कई जिलों की जलवायु चाय और काफी के लिए अब तक उपयुक्त माना गया है. इस लिहाज से और राज्य के कृषकों  को प्रोत्साहन देने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने एक बड़ा निर्णय लेते हुए टी-काफी बोर्ड गठन करने का निर्णय लिया है. कृषि मंत्री की अध्यक्षता में बोर्ड का गठन किया जाएगा.
यह निर्णय किसनों के लिए काफी महत्वपूर्ण है. कृषि मंत्री रविन्द्र चौबे की अध्यक्षता में बोर्ड का गठन होगा.

 

इस महत्वपूर्ण योजना को धरातल पर उतारने की जिम्मेदारी जवाबदारी सीएम बघेल ने कृषि मंत्री को सौपी है. चाय और काफी की खेती को बढ़ावा देने के लिए कृषि मंत्री की अध्यक्षता में छत्तीसगढ़ टी-काफी बोर्ड का गठन किये जाने का निर्णय लिया है. उद्योग मंत्री छत्तीसगढ़ बोर्ड के उपाध्यक्ष होंगे. बोर्ड में अतिरिक्त मुख्य सचिव, मुख्यमंत्री सचिवालय, कृषि उत्पादन आयुक्त, प्रबंध संचालक सीएसआईडीसी, कृषि/उद्यानिकी एवं वन विभाग के एक-एक अधिकारी सहित दो विशेष सदस्य भी शामिल किये जायेंगे.

 

बघेल ने कहा कि स्थानीय कृषकों एवं प्रोसेसिंग से जुड़े लोगों को अधिकतम लाभ सुनिश्चित करने के लिये और राज्य में चाय-कॉफी की खेती को बढ़ावा देने के लिए बोर्ड का गठन किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि आगामी 3 वर्षों में कम से कम दस-दस हजार एकड़ में चाय एवं काफी की खेती करने का लक्ष्य अर्जित किया जायेगा. चाय एवं काफी की खेती करने वाले किसानों को राजीव गांधी किसान न्याय योजना एवं कृषि विभाग की अन्य सुविधाएं दी जायेगी.

इन जिलो में है बेहतर उत्पादन की संभावनाएं
प्रदेश के उत्तरी भाग, विशेषकर जशपुर जिले में चाय तथा दक्षिणी भाग, विशेषकर बस्तर जिले में कॉफी की खेती एवं उनके प्रसंस्करण की व्यापक संभावनाये है. इसमें उद्यानिकी एवं उद्योग विभाग की महत्वपूर्ण भूमिका होगी. इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए राष्ट्रीय स्तर के प्रतिष्ठित संस्थानों से तकनीकी मार्ग दर्शन लेने के साथ ही निजी क्षेत्र के विशेषज्ञों, निवेशकों एवं कन्सल्टेंट्स की सहायता सरकार लेगी.

 

80 एकड़ में हो रही चाय की खेती
जशपुर जिले के पठारी क्षेत्र की जलवायु  चाय की खेती के लिए अनुकूल है. मध्य भारत में जशपुर जिला ही ऐसा है जहां पर चाय की सफल खेती की जा रही है. शासन के जिला खनिज न्यास मद योजना, वन विभाग के सयुक्त वन प्रबंधन सुदृढ़ीकरण, डेयरी विकास योजना एवं मनरेगा योजना से चाय खेती को प्रोत्साहित किया जा रहा है. शासन के सहयोग से लगभग 50 कृषकों के 80 एकड़ कृषि भूमि पर चाय की खेती का कार्य प्रगति पर है. चाय बगान लगने के 5 साल के बाद ही चाय का उत्पादन पूरी क्षमता से होता है. पूरी क्षमता से उत्पादन होने की स्थिति में प्रति एकड़ 2 लाख रुपये प्रतिवर्ष का लाभ होने की संभावना है.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button