छत्तीसगढ़ के महुआ की महक अब विदेशों तक पहुंची, यूके में 750 क्विंटल हुए निर्यात, जानिए खासियत

छत्तीसगढ़ में महुआ के फूल से वनवासी देशी शराब बनाते है. लेकिन अब यही महुआ का फूल विदेशों तक सप्लाई किया जा रहा है. सात समुंदर पार यूके में 750 क्विंटल महुआ का निर्यात किया गया है. इससे वनवासी को लाखों रुपए की कमाई हो रही है. चलिए जानते है महुआ फूल के कलेक्शन से लेकर महुआ फूल को खाद्य योग्य प्रॉडक्ट कैसे बनाया जा रहा है.

हर साल बनते हैं 5 लाख क्विंटल फूल

दरअसल छत्तीसगढ़ में हर साल लगभग 5 लाख क्विंटल महुआ फूल का संग्रहण होता है.लेकिन अब इस महुआ फूल को खाद्य प्रॉडक्ट बनाया जा रहा है. राज्य लघु वनोपज संघ द्वारा महुआ फूल को फूड ग्रेड बनाने के लिए प्रक्रिया विकसित की गई है और महुआ लड्डू, जूस, कुकीज, चॉकलेट, आचार, जैम आदि बनाए जा रहे है. इसके अलावा राज्य में बेहतर क्वालिटी के महुआ फूल कलेक्शन कर विदेशो तक इसकी सप्लाई की जा रही है. यूके के एक निजी संस्थान ने 750 क्विंटल महुआ फूल खरीदा है. इससे कंपनी महुआ फूल से कई प्रोडक्ट बनाएगी.

इतने रूपये प्रति किलो से हो रही खरीदी

प्रधान मुख्य वन संरक्षक राकेश चतुर्वेदी ने बताया कि राज्य सरकार द्वारा महुआ फूल संग्राहकों को लाभ देने के लिए इस वर्ष 33 रूपए प्रति किलोग्राम न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित किया गया है, जो पिछले वर्ष से 3 रूपए प्रति किलोग्राम अधिक है. राज्य में आगे फूड ग्रेड महुआ संग्रहण में वृद्धि होने से संग्राहक ग्रामीणों को इसका अधिक से अधिक लाभ मिलेगा.राज्य में संघ द्वारा स्थापित महुआ आधारित प्रसंस्करण केन्द्र जशपुर में महुआ सेनेटाईजर का निर्माण किया जा रहा है, इसी तरह महुआ प्रसंस्करण केन्द्र राजनांदगांव में महुआ लड्डू, जूस, कुकीज, चॉकलेट, आचार, जैम आदि तैयार कर ‘छत्तीसगढ़ हर्बल्स‘ के नाम पर बिक्री किया जा रहा है.

नई तकनीक के फूलों से मिलेगा ज्यादा फायदा

दरअसल अब महुआ फूल कलेक्शन के लिए नई तकनीक अपनाई जाएगी. पहले महुए के पेड़ से महुआ फूल जमीन में गिर जाते थे. तो महुआ फूल मिट्टी के कण मिल जाते थे, लेकिन अब पेड़ के चारों ओर नेट लगाया जाता है. जिससे साफ महुआ फूल का कलेक्शन होता है. लघु वनोपज संघ द्वारा विकसित उन्नत तकनीकी से संग्रहित महुआ फूल के लिए ग्रामीणों को 33 रूपए प्रति किलोग्राम के स्थान पर 50 रूपए प्रति किलोग्राम के हिसाब दिया जाएगा.

पेड़ के चारों तरफ नेट बिछाया गया

राज्य लघु वनोपज संघ प्रबंध संचालक संजय शुक्ला ने बताया कि महुआ फूल खाद्य योग्य बनाने के लिए राज्य लघु वनोपज संघ द्वारा प्रक्रिया विकसित की गई है. इसके तहत महुआ वृक्ष के चारों ओर संग्रहण नेट बांधकर महुआ फूल संग्रहण की गई है. इस प्रकार संग्रहित साफ ताजा महुआ फूल को वनधन केन्द्र के पास सोलाट टनल में सुखाया जाएगा.

महुआ पर सीएफटीआरआई मैसूर ने किया शोध

गौरतलब है कि वनवासी क्षेत्र में महुआ फूल का उपयोग देशी शराब बनाने के लिए किए जाते है. अब वनोपज प्रसंस्करण को अधिक महत्व दिए जाने के कारण इस पर राज्य लघु वनोपज संघ के माध्यम से शोध प्रारंभ कराया गया है. सीएफटीआरआई मैसूर की सहायता से महुआ एनर्जी बार, महुआ गुड़, आदि उत्पाद बनाने के तकनीक विकसित की गई है, इसके लिए पाटन क्षेत्र में केन्द्रीय प्रसंस्करण इकाई में उससे संबंधित उद्योग स्थापित किए जाएंगे.

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