जनता के सक्ती जिला बनने की आश बनी नेता जी के गले की फांस … नेता जी अब अपनी कर्मभूमि बदलने की तैयारी पर …

सक्ती। जिले बनने की आस अब नेताजी के गले की फांस बनती जा रही है। रियासत काल से सक्ती नगर काफी सुर्खियां बटोरता रहा है।
जहां पांच दसक तक लोकतंत्र में राज परिवार का दबदबा रहा वहीं अब राष्ट्रीय नेता की कर्मभूमि बन गया है। नेता जी ने सक्ती को जिला बनाने की घोषणा से ही अपने चुनाव का प्रचार प्रारंभ किए, और जनता ने इसी उम्मीद में वोट भी खुल कर दिया। खैर जनता जिला बनाने के साथ साथ अपने क्षेत्र के नेता को मुख्यमंत्री के पद पर भी देखना चाहती थी मगर राजनीतिक उठापटक के कारण यह संभव नहीं हो सका। खैर नेता जी को इससे भी बड़े पद से को नवाजा गया, बावजूद इसके सरकार के दो साल पूरे होने के बाद भी क्षेत्र के लोग सक्ती को पूर्ण जिला कहलवाने के लिए इंतजार करते मायूस नजर आ रहे है। राजनीतिक विश्लेषक मानते है कि नेता जी की मानसिकता बनी हुई है कि लास्ट बॉल तक खेलना है और छक्का मारकर जीतना है। लेकिन यहां लोगों का मानना है कि जिला कभी भी बने तो खुशी होगी, लेकिन उस समय राजनीति से प्रेरित फैसला होगा। जानकर वोटर राजनीति से प्रेरित फैसले पर नहीं जाएंगे। जिस तरह से वर्तमान में स्थिति बनी हुई है उससे तो नेता जी पूरी तरह से राजनीतिक नेता की सोंच लेकर चलते दिख रहे हैं। अभी की परिस्थितियों पर लोगों में चर्चा भी यही चल रही है कि नेता जी पहले जैसे बेबाक और निर्णयकर्ता दिखाई नहीं दे रहे है, नेता जी सक्ती को जिले के रूप में देखना और जिला बनाने के पक्ष में तो हैं लेकिन राजनीतिक फैसलों के अनुसार चाहते हैं। जानकर कहते है कि नेता जी अब सक्ती क्षेत्र से दुबारा चुनाव में नहीं उतरेंगे शायद इसलिए भी वे लगातार क्षेत्र से यह सोंचते हुए सौतेला व्यवहार कर रहें हैं कि पांच साल के लिए जो होना है वो हो गया।
वहीं शुरुवाती दौर में जब सक्ती को जिला बनाने की मांग लेकर मैदान में उतरे थे वे लोग भी अब ठंडे पड़ चुके हैं। बस इंतेजार चल रहा है कि कब नेता जी अपने चुनावी वादे को पूरा करते हैं, या फिर चुनाव से पहले पूरा कर चुनाव प्रचार में उपयोग करते हैं। वहीं जानकर यह भी कहते हैं कि नेताजी अब अपनी कर्मभूमि बदलने की तैयारी पर है और नेता जी शायद चाहते हैं कि सक्ती विधानसभा से कांग्रेस का वर्चस्व खत्म हो जाए ताकि कोई कांग्रेस का कार्यकर्ता यहां से बड़ा नेता ना बन सके, खैर यह सिर्फ एक आकलन है। लेकिन फिर भी तीन विधानसभा की जनता चाहती है कि सक्ती जल्द ही जिला बने।