जलती चिताओं और बहते शवों पर मूंदीं आंखें, अब मृत्यु प्रमाणपत्र पर क्या कहेगी सरकार

कोरोना काल में जान गंवाने वालों की संख्या में तेजी से इजाफा हो रहा है और सरकार द्वारा जारी आंकड़े और कब्रिस्तान में जलने वालों की संख्या कई तरह के सवाल भी खड़े कर रही है। कई राज्यों की सरकारें ये दावा कर रही हैं कि उन्होंने कोरोना की दूसरी लहर पर काबू पा लिया और अब संक्रमितों की संख्या में लगातार गिरावट आ रही है। पर कोरोना संक्रमण से मरने वालों की संख्या और जारी होने वाले प्रमाण पत्र तो कुछ और ही कहानी बयां कर रहे हैं

आगरा: बीते साल के मुकाबले इस बार अप्रैल में 12 गुना बने मृत्यु प्रमाणपत्र, 2500 से ज्यादा दाह संस्कार
सरकारी आंकड़ों में कोरोना की दूसरी लहर में मृतकों की संख्या भले कम हो, लेकिन आगरा में मृतकों की संख्या बीते साल से 12 गुना है। बीते साल अप्रैल के महीने में केवल 86 मृत्यु प्रमाणपत्र जारी किए गए थे, लेकिन इस बार अप्रैल में 995 मृत्यु प्रमाणपत्र जारी किए गए हैं। नगर निगम स्थित जन्म एवं मृत्यु पंजीकरण कार्यालय पर हर दिन 35 से ज्यादा लोग मृत्यु प्रमाणपत्र बनवाने के लिए पहुंच रहे हैं, जबकि बीते साल अप्रैल में महज 3 से 4 लोग ही पहुंच रहे थे..

सरकारी आंकड़ों में कोरोना की दूसरी लहर में मृतकों की संख्या भले कम हो, लेकिन आगरा में मृतकों की संख्या बीते साल से 12 गुना है। बीते साल अप्रैल के महीने में केवल 86 मृत्यु प्रमाणपत्र जारी किए गए थे, लेकिन इस बार अप्रैल में 995 मृत्यु प्रमाणपत्र जारी किए गए हैं। नगर निगम स्थित जन्म एवं मृत्यु पंजीकरण कार्यालय पर हर दिन 35 से ज्यादा लोग मृत्यु प्रमाणपत्र बनवाने के लिए पहुंच रहे हैं, जबकि बीते साल अप्रैल में महज 3 से 4 लोग ही पहुंच रहे थे। 

आगरा के श्मशान घाटों पर 2500 से ज्यादा दाह संस्कार अप्रैल के माह में हुए हैं, जिनमें से ताजगंज मोक्षधाम पर ही 1700 से ज्यादा हुए हैं। इनमें से 995 मृतकों के मृत्यु प्रमाणपत्र बन चुके हैं। पार्षद रवि बिहारी माथुर के मुताबिक इस बार कोविड मरीजों की मृत्यु के साथ कई परिवार ऐसे हैं, जिनके घरों में परिजन कोरोना संक्रमित हैं। 

इसलिए मृत्यु प्रमाणपत्र का आवेदन भी मई में करेंगे। मसलन, 15 अप्रैल के बाद जिनकी मृत्यु हुई है, उनके परिजन संक्रमण दूर हो जाने के बाद मई के दूसरे पखवाड़े में ही आवेदन कर सकेंगे। हालांकि इस बार मृत्यु प्रमाणपत्र की संख्या बीते साल से 12 गुना ज्यादा है। 

अस्पताल के मृतकों का ब्योरा ऑनलाइन 
कोविड या नॉन कोविड, जिन मरीजों की मृत्यु अस्पताल में भर्ती होने के दौरान हुई है, उनका मृत्यु प्रमाणपत्र का ब्योरा दर्ज करना अस्पताल की जिम्मेदारी है। अस्पतालों के मृतकों का मृत्यु प्रमाणपत्र 15 दिन के बाद वेबसाइट पर अपलोड हो रहा है, जबकि जिन लोगों की मृत्यु घर पर हुई है।

उनका मृत्यु प्रमाणपत्र बनवाने के लिए नगर निगम परिसर में तीसरी मंजिल पर बने रजिस्ट्रार जन्म एवं मृत्यु पंजीकरण कार्यालय में आवेदन करना होगा। नगर आयुक्त निखिल टी फुंडे के मुताबिक लोग ऑन लाइन भी आवेदन कर सकते हैं। मृत्यु प्रमाण पत्रों को 15 दिन के अंदर बनाने के निर्देश दिए गए हैं। 

आवेदन के लिए ये कागजात चाहिए
अगर घर पर किसी की मृत्यु हुई है तो मृत्यु प्रमाणपत्र के आवेदन के साथ दाह संस्कार की रसीद, मृतक का आधार कार्ड, एड्रेस प्रूफ, 2 पड़ोसियों के आधार कार्ड जमा कर सकते हैं। नगर निगम के सेनेटरी इंस्पेक्टर द्वारा जांच के बाद प्रमाणपत्र बन जाएगा। इसका शुल्क केवल 20 रुपये है। हालांकि यह आवेदन एक माह के अंदर होना चाहिए। इससे ज्यादा देरी पर पहले सीएमओ कार्यालय से और एक साल से ज्यादा देरी पर एडीएम कार्यालय से सत्यापन कराना पड़ता है।

ताजगंज में 1700 दाह संस्कार
ताजगंज मोक्षधाम का संचालन करने वाली संस्था श्री क्षेत्र बजाजा कमेटी के संजीव गुप्ता ने बताया कि इस साल अप्रैल के महीने में 1700 शवों का दाह संस्कार कराया है। इनमें से विद्युत शवदाह गृह पर 685 शवों का दाह संस्कार हुआ तो लकड़ी से 1015 शवों का दाह संस्कार किया गया। 

विद्युत शवदाह गृह पर अप्रैल के दूसरे सप्ताह से 30 अप्रैल तक ज्यादातर कोविड मृतकों का अंतिम संस्कार किया गया। ये आंकड़े तो महज ताजगंज मोक्षधाम के हैं, जबकि पोइया घाट, मलका चबूतरा, बल्केश्वर और कैलाश घाट पर मृतकों के अंतिम संस्कार की संख्या इसके अतिरिक्त है। 

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