जानिए दीपावली पूजा का शुभ मुहूर्त, पूजन मुहूर्त एवं विभिन्न समस्याओं का समाधान

साथ ही सूर्य और शुक्र तुला राशि में रहेंगे। ऐसे में अबकी बार दिवाली पर यह बहुत अच्छा संयोग है। अमावस्या तिथि 24 अक्तूबर को शाम पांच बजकर 28 मिनट से है।

इसी दिन प्रदोष काल है। इसलिए 24 अक्तूबर को ही दीपावली का पूजन गृहस्थजन प्रदोष काल में करेंगे। प्रदोष काल शाम पांच बजकर 43 मिनट से शुरू होगा। इस समय चर चौघड़िया रहेगा जो शाम में सात बजकर 30 मिनट तक रहेगा। उसके बाद रोग चौघड़िया लग जाएगा। शाम को मेष लग्न छह बजकर 53 मिनट तक है। ऐसे में स्थिर लक्ष्मी की प्राप्ति के लिए स्थिर लग्न में शाम छह बजकर 53 मिनट से सात बजकर 30 मिनट से पहले गृहस्थ जनों को देवी लक्ष्मी की पूजा आरंभ कर लेनी चाहिए।

जो लोग प्रदोष काल में लक्ष्मी पूजन नहीं कर पाते हैं या विशेष सिद्धि के लिए लक्ष्मी पूजन करना चाहते हैं, वे दिवाली की रात निशीथ काल में आठ बजकर 19 मिनट से रात 10 बजकर 55 मिनट के बीच पूजा कर सकते हैं।

1 प्रवेश द्वार पर घी और सिंदूर से ओम या स्वास्तिक का चिन्ह बनाएं।
2-सायंकाल खीलें ,बतासे, अखरोट, पांच मिठाई, कोई फल पहले मंदिर में दीपक जला कर चढ़ाएं।
3- दिवाली वाले दिन मिट्टी या चांदी की लक्ष्मी जी की मूर्ति खरीदें। एक नई झाड़ू लेकर रसोई में रखें ।
4-लक्ष्मी पूजन करें।
5- बहियों, खातों, पुस्तकों, पैन, स्टेशनरी, तराजू , कंप्यूटर या वह वस्तु जिसे आप रोजगार के लिए प्रयोग करते हैं, उनकी पूजा करें।

रौली, मौली, सुपारी-5, धूप, पान पत्ते-5, लौंग, इलायची-5, कमल गट्टे-20, कमल का फूल, फूल माला, खुले फूल, 5 फल, 5 मिठाई, दूध आधा किलो, दही-250 ग्राम, शहद, केसर, लक्ष्मी गणेश का चित्र या मूर्ति, आम के पत्ते, कपूर, जनेउ, चंदन, दूब, मिटटी के दीये-12 छोटे एक बड़ा, सरसों का तेल, देसी घी, रुई, ज्योति, पंच मेवा पांच मिठाई, चांदी का सिक्का, अष्ट गंध, माता का शृंगार, चावल सवा किलो, शक्कर 50 ग्राम, खीलें बतासे, मिठाई, मोमबत्ती, गंगाजल, माचिस, शंख, रेशमी वस्त्र, पीली सरसों, सिंदूर, पंचामृत, हवन सामग्री, जौ, तिल, तुलसी की माला, हवन कुंड, आसन, दक्षिणा इत्यादि। पूजन के लिए स्नान करें, थाली में अष्ट दल बनाकर गणेश जी, लक्ष्मी जी व सरस्वती जी की मूर्तियां रखें। चौकी पर लाल वस्त्र बिछा कर थाली रखें। कलश, धूप दीप रखें। दीपक जलाएं। आचमन करें। गुरु का ध्यान करें। अक्षत-पुष्प दाहिने हाथ में लेकर पृथ्वी का ध्यान करें। तिलक लगा के मौली बांधें। हाथ जोड़ के गणपति व अन्य देवी देवताओं को नमस्कार करें।

1.दरिद्रता निवारण:- 21 काले, अभिमंत्रित हकीक जमीन में गाड़ दें-शनिवार
2.आर्थिक उन्नति:- 27 पीले अभिमंत्रित हकीक, घर के मंदिर में पीले कपड़े में बांध के रखें-गुरुवार

  1. विजय, परीक्षा, प्रतियोगिता, कोर्ट केस: 11 हरे हकीक दुर्गा/ माता के मंदिर में रख आएं-मंगलवार या बुधवार
  2. घर क्लेश -दो नीले हकीक घर के किसी कच्चे भाग में दबा दें।
  3. धन वृद्धि -एक लाल हकीक तिजोरी में रखें।
    6.- बच्चे को नजर/डरना- एक नीला हकीक चांदी के लाकेट में बनवा के पहनाएं-शनिवार
    7.संतान की सुख समृद्धि- 19 पीले हकीक उजाड़ जगह फेंक दें ।
    स्नान
    दूध, दही, घी, मधु, शक्कर पंचामृत, चंदन, गंगा जल से प्रतिमा को स्नान करवाएं। वस्त्र, उप वस्त्र, आभूषण, चंदन, सिंदूर, कुमकुम, इत्र ,फूल आदि समर्पित करें। लक्ष्मी जी की प्रतिमा के हर अंग को पुष्प से पूजें। पूर्व दिशा से आरंभ करके आठ दिशाओं में पुष्प फेंकें। धूप ,दीप, नैवेद्य, पान, सुपारी, फल व फूल चढ़ाएं। सुख समृद्धि, रोग निवारण की प्रार्थना करें।
    देहरी पूजन
    प्रवेश द्वार पर सिंदूर से स्वास्तिक बनाएं या ओम गणेशाय नम: या शुभ लाभ लिखें। दीया जलाएं।

स्टेशनरी, कंप्यूटर, कैल्कुलेटर, बही-खाते आदि पर केसर युक्त चंदन से स्वास्तिक बनाएं। मौली लपेटें, सरस्वती जी का ध्यान करें। धूप दीप करें। विद्यार्थी अपनी पुस्तकों, नोट बुक पर भी ऐसा ही करें। जो छात्र प्रतिस्पर्धा में बैठ रहे हैं या परीक्षा दे रहे हों, उन्हें भी कलम पूजन इस अवसर पर कराया जा सकता है।

तिजोरी, कैश बाक्स, लाकर आदि पर स्वास्तिक चिन्ह बना के कुबेर को नमस्कार करें और धन की कामना करें।
तुला, मानक, कंप्यूटर, नोट काउंटिंग मशीन, पूजन- सिंदूर से स्वास्तिक बनाएं, शुभ लाभ लिखें, मौली लपेटें, पूजन करें।

5 या 7 या 11 दीपक प्रज्जवलित करें। लक्ष्मी जी की आरती करें। इन दीपकों को घर के कोने कोने में रखें। एक मंदिर मे जला आएं।

सभी देवताओं को नमस्कार करें। कलश में जल भरें। आम के पत्ते रखें। उस पर नारियल रखें और कलश पर मौली बांधें। इसे सप्त धान्य पर स्थापित करें।

नव ग्रहों की आकृति आटे से बना के शांति की प्रार्थना करें। लक्ष्मी जी की प्रतिमा स्थापित करें। आवाहन करें। अक्षत, पुष्प, अष्टगंध युक्त जल अर्पित करें।

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