जीत’ पर जुबानी जंग! UP और निकाय चुनाव के बहाने ‘सियासी दांव’! वार-पलटवार के क्या हैं सियासी मायने

रायपुरः प्रदेश में विधानसभा चुनाव में अब दो साल से भी कम का वक्त बचा है लेकिन पक्ष और विपक्ष जानती है कि अगर राज्य की सत्ता पानी है तो हर अभी से पार्टी के लिए माहौल बनाना होगा। लिहाजा आरोप-प्रत्यारोप और दावों का सिलसिला सा चल पड़ा है। इस क्रम में बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदेव साय और कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष मोहन मरकाम आमने-सामने हैं। हालांकि लड़ाई का मुद्दा आगामी विधानसभा चुनाव नहीं बल्कि उत्तरप्रदेश और निकाय चुनाव के परिणाम हैं। कांग्रेस और बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष के बीच वार-पलटवार के क्या हैं सियासी मायने? क्या वाकई उत्तरप्रदेश में कांग्रेस की परफॉर्मेंस का असर छत्तीसगढ़ में भी पड़ेगा। ऐसे तमाम सवाल हैं।

छत्तीसगढ़ की भूपेश सरकार ने बीते 17 दिसंबर को अपने कार्यकाल का 3 साल पूरा किया। इस मौके पर कांग्रेस ने जश्न मनाने के साथ-साथ सबसे ज्यादा छत्तीसगढ़ मॉडल पर जोर दिया। वहीं अब जब मुख्यमंत्री भूपेश बघेल उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए लगातार दौरा कर रहे हैं तो अपने छत्तीसगढ़ मॉडल की उपलब्धियों को गिनाते हुए योगी सरकार को घेर रहे हैं। दरअसल यूपी में अगले साल फरवरी-मार्च में विधानसभा चुनाव होने हैं और कांग्रेस ने भूपेश बघेल को विधानसभा चुनाव का सीनियर ऑब्जर्वर बनाया गया है। हालांकि भूपेश बघेल समेत कांग्रेस पदाधिकारियों के यूपी दौरे को लेकर छत्तीसगढ़ बीजेपी लगातार निशाना साध रही है। इस बार प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदेव साय ने कहा कि कांग्रेस यूपी में 15 सीटें भी जीत नहीं पाएंगी। साय ने चुनौती भी दी कि अगर उत्तरप्रदेश में कांग्रेस 15 सीटों पर सिमटती है तो भूपेश बघेल को अपनी कुर्सी छोड़ देनी चाहिए। बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष ने छत्तीसगढ़ मॉडल पर भी सवाल खड़ा किये।

बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष ने मुख्यमंत्री को चुनौती दी तो कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष मोहन मरकाम ने करारा पलटवार किया। मरकाम ने कहा कि कांग्रेस को 15 सीट जीतने की चुनौती देने वाले विष्णुदेव साय क्या छत्तीसगढ़ में 15 नगरीय निकाय में से पांच निकाय जीतने का दावा करेंगे। 15 नगरीय में से पांच निकाय भी बीजेपी नहीं जीत पाएगी तो क्या विष्णुदेव साय बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष भी कुर्सी छोड़ेंगे।

जाहिर तौर पर बीजेपी और कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष के बीच जुबानी जंग इस बात के संकेत हैं कि प्रदेश में मिशन 2023 के लिए मोर्चाबंदी अभी से शुरू हो गई है। चुनावी अखाड़ा में उतरने के लिए दोलों दलों ने कमर कस ली है। यूपी चुनाव और निकाय चुनाव के नतीजों के बहाने एक दूसरे पर निशाना साधना इसी रणनीति का एक हिस्सा है। खास तौर 15 साल तक सत्ता से बाहर होने वाली बीजेपी ये अच्छे से जानती है कि पिछले कुछ सालों में भूपेश बघेल की पहचान न सिर्फ छत्तीसगढ़ बल्कि देशभर की राजनीतिक अखाड़े में बड़े और मजबूत कांग्रेस नेता के तौर पर ऊभरी है। सीएम के छत्तीसगढ़िया अस्मिता के रक्षक की छवि को भी तोड़ पाना फिलहाल विपक्ष के लिए चुनौतीपूर्ण साबित हो रहा है। यही वजह है कि बीजेपी ने उत्तरप्रदेश में कांग्रेस के परफॉर्मेंस के बहाने सीएम भूपेश बघेल को घेरने बड़ा सियासी दांव खेला है। जिसपर कांग्रेस ने भी काउंटर अटैक किया है।

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