टीकाकरण के उपरांत एइएफआई मामलों के लिए है समुचित प्रबंधन की व्यवस्था 

रायपुर19 जनवरी:  कोरोना टीकाकरण पूरे देश में 16 जनवरी से शुरू किया गया है।टीकाकरण के उपरांत संभावित अड्वर्स इवेंट्स फालोइंग इमुनाइजशन (एइएफआई) मामलों के लिए समुचित प्रबंधन की व्यवस्था सरकार द्वारा की गई है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार टीकाकरण के उपरांत किसी भी प्रकार की चिकित्सीय परेशानी अगर टीका लगवाने वाले को होती है तो उसे एइएफआई यानी “एडवर्स इवेंट्स फोलोइंग  इम्यूनाइजेशन” की संज्ञा दी जाती है।यह स्थिति कई कारणों से उत्पन्न हो सकती है और यह जरुरी नहीं है कि टीकाकरण ही इसकी वजह हो। टीकाकरण को लेकर आशंका, मन में घबराहट का होना एवं टीकाकरण के समय गलत तकनीक का इस्तेमाल आदि इसकी वजह हो सकते हैं। ज्यादातर एइएफआई के लक्षण जैसे जी मितलाना, घबराहट, टीके वाली जगह सूजन एवं सर में दर्द आदि का प्रबंधन आसानी से किया जा सकता है। गंभीर चिकित्सीय जटिलता टीकाकरण के उपरांत कम ही देखने को मिलते हैं ।

दो दिनों के कोविड टीकाकरण के उपरांत देश में एइएफआई के मात्र 447 मामले सामने आये हैं जिनका त्वरित चिकित्सीय प्रबंधन किया गया है। सिर्फ तीन लोगों को अस्पताल में भर्ती करने की जरुरत पड़ी और उनमे से दो लोगों को अस्पताल से छुट्टी मिल चुकी है। एइएफआई के मामलों में सामान्यतः हलके लक्षण जैसे जी मचलाना, टीके वाली जगह सूजन एवं सर में दर्द आदि लक्षण देखने को मिले हैं।

एइएफआई के मामलों के लिए है समुचित प्रबंधन की है व्यवस्था:

कोविड-19 टीकाकरण के उपरांत एइएफआई मामलों के प्रबंधन के लिए हर जिले में समुचित व्यवस्था की गयी है।यह व्यवस्था जिलों के मेडिकल कोलेज एवं अस्पताल में  की गयी है। कोविड-19 को लेकर प्रदेश में 104 नंबर कंट्रोल रूम पर फोन किया जा सकता है या पास के स्वास्थ्य केंद्र में इसकी जानकारी दी जा सकती है। एम्बुलेंस सेवा भी सरकार द्वारा उपलब्ध करवाई जाएगी।

कोविड-19 वैक्सीन सभी के लिए सुरक्षित:

कोविड-19 वैक्सीन सभी प्रमाणिक वैक्सीन प्रक्रिया पूरीकरने के बाद ही स्वीकृत की गयी है और पूर्णतया सुरक्षित है। चरणवार तरीके से इसे सभी को उपलब्ध कराने की सरकार की योजना है । टीकाकरण के पश्चात लाभार्थी को किसी प्रकार की परेशानी के प्रबंध के लिए सत्र स्थल पर एनाफलीसिस किट एवं एईएफआई किट की पर्याप्त संख्या में उपलब्धता सुनिश्चित की गयी है। इसके लिए संबंधित टीकाकर्मी एवं चिकित्सकों को आवश्यक प्रशिक्षण भी दिया गया है।

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