
नीट पीजी काउंसलिंग में देरी को लेकर डॉक्टरों की हड़ताल मंगलवार को भी जारी रही। बीते 12 दिन से डॉक्टर स्वास्थ्य सेवाएं छोड़ सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं लेकिन मंगलवार को इनकी हड़ताल का सबसे बड़ा असर देखने को मिला। दिन भर रोते बिलखते मरीज कभी एक तो कभी दूसरे अस्पताल के चक्कर लगाते रहे लेकिन ज्यादातर अस्पतालों में उन्हें गेट ही बंद मिले। पूर्वी दिल्ली के चाचा नेहरु अस्पताल में सुबह से ही मरीजों के लिए मुख्य द्वार तक बंद कर दिए गए। जबकि देर रात तक लोकनायक अस्पताल की इमरजेंसी में कोई डॉक्टर नहीं मिला। दिल्ली पुलिस की कार्रवाई के विरोध में राजधानी के लगभग सभी सरकारी अस्पताल एकजुट हो गए। सुबह से ही अलग अलग अस्पतालों में रेजिडेंट डॉक्टर हड़ताल पर जाने लगे और कई अस्पतालों में ओपीडी सेवाएं तक नहीं चलने दी गईं। सफदरजंग अस्पताल, आरएमएल, लोकनायक, जीटीबी, डीडीयू, रोहिणी स्थित बाबा भीमराव आंबेडकर अस्पताल इत्यादि जगहों पर स्वास्थ्य सेवाएं बुरी तरह प्रभावित रहीं।
इस बात से खफा हैं डॉक्टर
बीते सोमवार को रेजिडेंट डॉक्टर मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज परिसर में एकत्रित होने के बाद सुप्रीम कोर्ट तक विरोध मार्च निकाल रहे थे। इसी बीच दिल्ली पुलिस ने आईटीओ स्थित शहीद पार्क के नजदीक उन्हें रोक दिया तो डॉक्टर सुबह साढ़े नौ बजे सड़क पर ही धरना देने लगे। शाम चार बजे तक चले इस धरने की वजह से पूरा इलाका जाम में तब्दील हो गया।
शाम को स्वास्थ्य सेवाओं के महानिदेशक डॉ. सुनील कुमार भी बातचीत करने पहुंचे लेकिन जब कोई समाधान नहीं निकला तो वह वापस चले गए और इसके बाद पुलिस ने डॉक्टरों को उठाना शुरू कर दिया। आरोप है कि दिल्ली पुलिस ने डॉक्टरों के साथ बदसलूकी, मारपीट और गालीगलौच तक की है। महिला डॉक्टरों को पुरुष जवानों ने जबरदस्ती उठाते हुए खींचतान तक की है। हालांकि दिल्ली पुलिस ने इनका खंडन किया है।
हम दर्द समझ सकते हैं…मदद नहीं कर सकते
सफदरजंग अस्पताल पहुंचे उत्तम नगर के शिव विहार निवासी मोहम्मद इरफान एक स्ट्रेचर पर लेटे हुए थे। हाल ही में उनका ऑपरेशन हुआ है लेकिन इसके बाद भी वह अपने पैरों पर खड़े नहीं हो सकते हैं। पैरों में संक्रमण की वजह से सर्जरी हुई थी लेकिन जब फायदा नहीं हुआ तो परिजन भी घबरा गए। आनन फानन उन्हें सफदरजंग अस्पताल लेकर पहुंचे।