क्या होती है एमएसपी , इसे क्यों और कौन तय करता है? देखें इस बार किस फसल की कितनी बढ़ी एमएसपी

सरकार ने किसानों को बड़ी राहत देते हुए वर्ष 2022-23 के खरीफ सीजन की 17 फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में वृद्धि करने की बुधवार को घोषणा की और कहा कि वह किसानों को उनकी उपज की लागत का डेढ़ गुनी कीमत दिलाने के लिए प्रतिबद्ध है। एमएसपी में वृद्धि करने के प्रस्ताव में धान के मूल्य में 100, मूंग में 480, सूरजमुखी में 385 और तिल में 523 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी की गई है।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में यहां हुई मंत्रिमंडल की बैठक में यह फैसला लिया गया। सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग सिंह ठाकुर ने मंत्रिमंडल की बैठक में लिए गए फैसलो की जानकारी देते हुए कहा कि स्वीकृत एमएसपी किसानों को उनकी फसल के लागत मूल्य का कम से कम डेढ़ गुना दाम दिलवाने के सरकार के सैद्धांतिक फैसले के अनुरूप है। उन्होंने कहा, हमने एमएसपी को फसल की लागत से 50 से 85 प्रतिशत तक ऊंचा रखा है।

ठाकुर ने बताया कि धान, ज्वार, रागी, मूंग और कपास सहित आठ फसलों का एमएसपी उनके लागत मूल्य से 50 प्रतिशत ऊंचा रखा गया है। बाजरे का समर्थन मूल्य उसकी लागत का 85 प्रतिशत, तूअर 60 प्रतिशत, उड़द 59 और सूरजमुखी 56 तथा सोयाबीन का एमएसपी लागत से 53 प्रतिशत ऊपर है।

वर्ष 2022-23 की खरीफ फसल के लिए एमएसपी

फसल नया एमएसपी बढ़ोतरी

अरहर 6600   300

मूंग 7755     480

उड़द 6600    300

मूंगफली 5850     300

सूरजमुखी बीज 6400    385

कॉटन (मीडियम रेशा) 6080    354

धान (सामान्य) 2040    100

धान (ग्रेड ए) 2060   100

ज्वार (हाइब्रिड) 2970    232

बाजरा 2350   100

रागी 3578    201

मक्का 1962   92

क्या होती है एमएसपी?

न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी एमएसपी वह न्यूनतम मूल्य है जिस पर सरकार, किसानों से फसल खरीदती है। इसे ऐसे भी समझ सकते हैं कि सरकार, किसान से खरीदी जाने वाली फसल पर उसे जो पैसे चुकाती है वही एमएसपी होता है। इससे नीचे किसानों को उनकी फसलों के लिए भुगतान नहीं किया जाता है।
क्यों तय किया जाता है एमएसपी?

किसी फसल का एमएसपी इसलिए तय किया जाता है ताकि किसानों को किसी भी हालत में उनकी फसल के लिए एक वाजिब न्यूनतम मूल्य मिलता रहे।

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