
तीन माह बाद भी उपार्जन केन्द्रो से नहीं हो रहा धान का उठाव
बेमौसम बारिश से केन्द्र प्रभारियों की बढ़ी परेशानी
बलौदाबाजार,
फागुलाल रात्रे,लवन।
धान की खरीदी को बंद हुए तीन माह से अधिक समय बीत गए लेकिन अभी तक समितियों के द्वारा खरीदे गए धान का परिवहन नहीं हो सका है। अभी समितियों में खुले आसमान के नीचे करोड़ों रूपए का धान पड़ा है। मौसम इसी तरह बना रहा तो संग्रहित धान को भारी नुकसान होने की संभावना है। समितियों के द्वारा किसानों से खरीदा गया लाखों क्विंटल धान अभी भी खुले आसमान के नीचे पड़ा है।
विदित हो कि उपार्जन केन्द्रों से धान का परिवहन ना होने से खरीदी प्रभारी के माथे पर चिंता की लकीरें उभरती जा रही है। बचे हुए धान की रखवाली करना समिति प्रभारी के लिए एक बड़ी चुनौती बनी हुई है। करदा के फड़ प्रभारी रामकुमार साहू का कहना है कि स्टाॅक में रखे धान को त्रिपाल और पाॅलीथीन से ढका हुआ है। वही गर्म हवा और पानी की वजह से पाॅलीथीन फटने लगा है। पिछले दो दिनों से हुई बारिश से काफी मात्रा में धान भीग गए। इससे बहुत सारा धान खराब होने की आशंका भी है। प्लास्टिक के बारदाने तेज धूप की वजह से खराब होकर फटने लगे है। साथ ही बारदानों को चूहे कुतर कर नुकसान पहुंचा रहे है। अधिकतर बोरी फट गये है, जिससे धान गिर रहा है। इतना अधिक धान का नुकसान हो रहा है जिसकी भरपाई आखिर कहां से और कैसे होगा यह समझ से परे है। फड़ प्रभारियों को अपना सभी कामकाज को छोड़कर अपने उपार्जन केन्द्र में दिनभर रखवाली करते हुए मेहनत करना पड़ रहा है। लवन धान खरीदी केन्द्र के अन्तर्गत उपार्जन केन्द्रो की शेष धान की स्थिति डोंगरीडीह उपार्जन केन्द्र में 15851.21 क्विंटल धान का उठाव नहीं हो सका है। इसी तरह कोरदा 9372.80 क्विंटल, करदा 217.37 क्विंटल, बरदा 33007.45 क्विंटल, खैरा 2775.74 क्विंटल, सिरियाडीह 10150.08 क्विंटल, मरदा 7080.79 क्विंटल, कोयदा 5486.76 क्विंटल, कोहरौद 31769 क्विंटल, सरखोर 14242.49 क्विंटल, अहिल्दा 19204.17 क्विंटल, लवन 16935.24 क्विंटल, मुण्डा 15590.8 क्विंटल, भालूकोना 14267 कुल 195952 क्विंटल धान का उठाव खरीदी बंद होने के तीन माह बीत जाने के बाद भी परिवहन नहीं हो सका है। जिसकी वजह से समितियों में अभी भी खुले आसमान के नीचे धान पड़ा हुआ है। समिति प्रभारियों ने बताया कि बेमौसम बारिश से धान खराब हो रही है तो दूसरी ओर चूहे बोरी को कुतरने एवं दीमक से धान खराब हो रही है। बेमौसम बारिश से किसी तरह त्रिपाल ढंककर धान को बचा लेते है, लेकिन चूहे बोरी को कुतरकर एवं दीमक से धान को ज्यादा नुकसान पहुंचा रहे है। ऐसे में समिति प्रभारियों के लिए एक बड़ी चुनौती बनी हुई है।