
जयगुरुदेव संगत रायगढ़ जीव जागरण धर्म यात्रा का दूसरा चरण सराईपाली में सम्पन्न…
अशोक सारथी, आपकी आवाज न्यूज- रायगढ़ जिले के जयगुरुदेव संगत द्वारा उज्जैन वाले वक्त के कामिल मुर्शिद दु:खहर्ता बाबा उमाकांत जी महाराज के आदेशानुसार जीव जागरण धर्म यात्रा पूरे देश-विदेश काफिला निकाला गया था। जिसका दूसरा चरण महाशिवरात्रि पर्व के दिन से सभी शहर नगर, कस्बे, एवं गावों में निकाला गया। इसी तारतम्य में जयगुरुदेव संगत रायगढ़ का जीव जागरण धर्म यात्रा काफिले का दूसरे चरण का विराम सराईपाली गांव में किया गया। जीव जागरण धर्म यात्रा में रायगढ़ जिले के जयगुरुदेव प्रेमियों ने अपने निजी दोपहिया, चार पहिया वाहनों में झंडा, बेनर पोस्टर बांध कर जिले के सभी गांवों में लगभग 300 लोग शामिल हुए थे, दूसरे चरण में जिले के सभी गुरू भाई-बहनें 10बजे तमनार के बगल में कसडोल गांव पहुंचे, सबसे पहले जयगुरुदेव नामध्वनी एवं प्रार्थना बोला गया फिर यात्रा रवाना किया गया।
यह काफिला प्रचार प्रसार करते हुए गेरवानी गांव पहुंचा, वहां से गेरवानी क्षेत्र के गांव में प्रचार प्रसार करते हुए 12बजे सराईपाली पहुंचा, सराईपाली में काफिले का भव्य स्वागत सत्कार किया गया। तत्पश्चात 1घंटे का लघु सतसंग आयोजित किया गया। सतसंग उपरांत काफिला यात्रियों को भोजन प्रसाद खिलाया गया।
भोजन के उपरांत जयगुरुदेव प्रार्थना बोल कर सभी जीव जागरण धर्म यात्री गण वहां से प्रचार प्रसार करते हुए अपने-अपने घरों को शाम तक वापस लौटे।
यह आदेश जारी करते हुए उज्जैन वाले जयगुरुदेव दु:खहर्ता बाबा उमाकांत जी ने बताया कि धीरे-धीरे लोगों का सन्तों के यहां आना जाना कम हुआ तो उनके खान-पान और कर्मों में गिरावट आने लगी, जिससे उनके जीवन में चारों तरफ बीमारी परेशानियां बढ़ने लग गई। आज सही जानकारी व मार्गदर्शन नहीं मिलने के चलते उनकी दुःख तकलीफें दूर होने की बजाय और बढ़ती चली जा रही हैं। गृहस्थ धर्म को लोग भूलते चले जा रहे हैं। परिवार में पिता-पुत्र, पति-पत्नी और भाई-भाई एक दूसरे के प्रति अपने फर्ज को समझ नहीं पा रहे हैं। इसके चलते झोंपड़ी से लेकर राजमहल तक, घर-घर में आपसी विश्वास व तालमेल की कमी से अशाति, कलह और टेंशन बढ़ा है। गंदे खान-पान और गन्दी विचार भावनाओं से यह अनमोल मनुष्य शरीर, जिसे सच्चे प्रभु का चेतन हरि मंदिर कहा गया है, अनेक बीमारियों का घर बनकर खंडहर हुआ जा रहा है। गंदे तन मन से की जा रही पूजा उपासना मालिक द्वारा स्वीकार नहीं की जा रही।
इतिहास गवाह है कि जब भी समाज, देश व बुनिया में इंसान के सामने ऐसी स्थिति आई है, तब-तब उस प्रभु की कोई न कोई शक्ति इस धर्म भूमि भारत में अवतार या सन्त रूप में अवतरित हुई है। समय परिस्थिति के अनुसार ऐसी शक्तियों ने हमेशा से इंसान को धर्म-कर्म के रास्ते पर लाकर, उसकी दुःख तकलीफें दूर कर उसके लोक-परलोक को सुधारा है।
भारत के साथ ही विश्व के अन्य पंद्रह देशों में खुद जाकर बाबाजी ने लोगों के जीवन को खुशहाल बनाते हुए उन्हें पांच नाम का अनमोल नामदान (जीते जी प्रभु प्राप्ति का सनातन भेद) दिया है। जिससे अपने बाल-बच्चों, परिवार वालों के ही बीच रहते हुए चौबीस घंटे में से कुछ समय अपनी जीवात्मा के उद्धार के लिए निकाल कर सुमिरन, ध्यान-भजन करने से अंतर में स्वर्ग, बैकुंठ सहित ऊपर के अन्य दिव्या लोकों की यात्रा इसी मनुष्य शरीर में रहकर की जा सकती है
आज उन्हीं बाबा उमाकान्त जी महाराज के आदेश से उनके प्रेमी भक्तजन आपका दर्शन करने, आपके व आपके घर-परिवार की भलाई के लिए बाबा जी द्वारा भेजे गये मानवता और धर्म-कर्म के संदेश के साथ आपके बीच जीव जागरण धाम यात्रा लेकर आए हुए हैं अतः अपनी कीमती समय में से थोड़ा समय निकाल कर दर्शन जरूर दीजिएगा। जो भी इस जयगुरुदेव जीव जागरण धर्म यात्रा काफिले का दर्शन करेंगे उनको अपने-अपने श्रद्धा भक्ति अनुसार लाभ होगा।
23, 24, 25 मार्च तक बाबा जयगुरुदेव आश्रम उज्जैन में होली कार्यक्रम आयोजित किया जावेगा, जिसमें वक्त संत सदगुरू दुखहर्ता बाबा उमाकांत जी महाराज के द्वारा समय अनुकूल रहने पर आध्यात्मिक सतसंग एवं नामदान, प्रभु प्राप्ति का रास्ता बताया जावेगा। जिसको देखने, सुनने के लिए पूरे भारत के सभी प्रांतों के साथ-साथ विदेशों से गुरु प्रेमी कई लाखों की संख्या में शामिल होंगे। जीव जागरण धर्म यात्रा का समापन बाबा जयगुरुदेव आश्रम उज्जैन म.प्र. में 25 मार्च को किया जावेगा।