हार्वेस्टर से धान की कटाई-मिंजाई जोरों पर 

पुरानी पद्वति को छोड़कर किसान आधुनिक पद्वति में ले रहे है रूचि
बलौदाबाजार,
फागुलाल रात्रे, लवन।
अंचल में इन दिनों धान की कटाई-मिंजाई जोरों पर चल रहीं है। ग्रामीण क्षेत्रों में मजदूरी दर बढ़ने से क्षेत्र के किसान आधुुनिक पद्वति अपनाकर धान की कटाई-मिंजाई करवा रहे है। इससे किसानों का समय व रूपये बच रहा है। लवन से 02 किमी उत्तर दिशा की ओर स्थित ग्राम कोरदा में इन दिनों हार्वेस्टर से धान की कटाई-मिंजाई जोरो पर चल रही है। गांव के किसान जोगेंद्र वर्मा, नरेन्द्र वर्मा, मृत्युजंय वर्मा, रोमलाल वर्मा सहित अन्य किसान भी हार्वेस्टर के माध्यम से ही धान की कटाई करवा रहे है। हार्वेस्टर में प्रति एकड़ 2200 से 2400 रुपए चल रहा है।  जिसमें धान अलग व पैरा अलग हो जाता है। कोरदा के ही किसान मृत्युजंय वर्मा का कहना है कि इस वर्ष धान की फसल तो जल्दी तैयार हो गया था लेकिन जमीन में नमी होने के चलते खेत तक हार्वेस्टर नहीं पहुंच पाया। हार्वेस्टर नहीं पहुंच पाने की वजह से मजदुरों के माध्यम से प्रति एकड़ 3000रू. व 3300रू. के हिसाब से ठेका देकर धान की फसल कटवा रहे थे। अब जमीन सुख जाने से हार्वेस्टर से कटाई मिंजाईं करा रहे हैं। वही, अधिक कीमत में कटाई करवाने की वजह से लागत भी बढ़ रहीं है, और किसान को उसकी लागत के हिसाब से पर्याप्त राशि नहीं मिल पाता।  लेकिन छत्तीसगढ़ की भूपेश बघेल की सरकार ने किसानों की समस्याओं व बढ़ते लागत राशि को देखते हुए कांग्रेस सरकार बनते ही 2500 रूपये समर्थन मूल्य देने की घोषणा कर किसानों का धान अब 2640 रूपये के हिसाब से खरीद रहे है। एक नवम्बर 2022 से सभी धान खरीदी केन्द्रों में किसानों का धान समर्थन मूल्य पर धान की खरीदी की जा रही है।  वर्मा ने बताया कि हार्वेस्टर मालिक एक जगह ज्यादा एकड़ होने पर ही पहुंच पाता है, एक एकड़ तक के खेत में नहीं पहुंच पाता है, इसलिए अधिकतर मजदूरों से धान की कटाई करा रहे है। सभी किसानों का खेती कार्य एक साथ चलने की वजह से मजदुर नहीं मिल पा रहा है। कोरदा के किसान जोगेन्द्र वर्मा ने बताया कि पुराने तरीके से समय के साथ-साथ रूपये अधिक लग जाता है। फसल को एक साथ कटाई करने के लिए हार्वेस्टर का ही सहारा ले रहे है तो वही जिन किसानों ने मजदूरों से फसल की कटाई करवाये है उनको थ्रेसर मशीन से कटाई-मिंजाई की जा रही है। पुरानी पद्वति में लोग सुबह 5 बजे से ही उठकर परिवार के साथ बैलों को फांदकर मिंजाई करते थे जिसे रात हो जाती थी। किसानों का मानना है ऐसे पद्वति से समय बर्बाद होता है। वही 2-3 एकड़ से कम जमीन में फसल लेने वाले किसान मजदूरों के माध्यम से ही फसलों की कटाई करा रहे है, वही कुछ किसान फसल को खलिहान में मिंजाई करेंगे।  वही अधिकांश किसान थ्रेसर मशीन से धान की मिंजाई करा रहे है।

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