पंजाब नेशनल बैंक द्वारा अपने ग्राहक से छियालिस लाख रुपये से भी अधिक की धोखाधड़ी के अपराध का हुआ पर्दाफाश: अशोक कुमार-आशीष कुमार मिश्रा एडवोकेट के मार्गदर्शन में की गई कानूनी कार्यवाही के बाद बैंक ने बदला देनदारी का हिसाब
अब एफ.आई.आर. दर्ज कराने की शुरू हो गई है तैयारी
आम जनता की गाढ़ी कमाई से कारोबार चलाने वाले बैंक, की ईमानदारी पर सरकार और जनता का शुरू से ही विश्वास रहा है लेकिन अब कुछ बैंक धोखाधड़ी का ऐसा केन्द्र बन गए हैं, जिनका मकसद आम जनता को शांतिराना अन्दाज में धोखा देकर लूटना बन गया है । इस धोखाधड़ी का जबर्दस्त नमूना पेश किया है, पंजाब नेशनल बैंक ने ।
पंजाब नेशनल बैंक ने रायगढ़ की दादी पिलासन पेडी प्रोसेसिंग मिल की प्रोप्राइटर को लोन दिया था जिसकी अदायगी में चूक होने पर प्रोप्राइटर ममता गुप्ता को चार करोड़ छप्पन लाख अन्ठान्नबे हजार चार सौ चौरालीस रूपये की वसूली नोटिस जारी कर दिया एवं लगभग 10 करोड़ रूपये की राईस मिल को नीलाम करने की चेतावनी देना शुरू कर दिया लेकिन जब कर्जदार ने यह जानना चाहा कि उसे एक बार एकाउंट विवतरण दिखा दिया जाए कि उसकी लोन रकम साढ़े चार करोड़ से भी ज्यादा कैसे पहुँच गई है, तब पंजाब नेषनल बैंक ने एकाउंट विवरण देने से साफ मना कर दिया । इतना ही नहीं बल्कि इस बैंक ने देनदारी के लोन एकाउंट को आनलाइन ब्लाक भी कर दिया, ताकि कर्जदार को यह पता न चल सके कि उसका हिसाब-किताब क्या है? इसके बाद पंजाब नेषनल बैंक शाखा रायगढ़ के शाखा प्रबंधक द्वारा साम-दाम-दण्ड-भेद नीति का इस्तेमाल करते हुए कर्जदार पर दबाव बनाया जाने लगा कि वह कोरे Balance and Security confirmation letter फार्म में हस्ताक्षर कर दे लेकिन कर्जदार ने ऐसा नहीं किया एवं मिश्रा चेम्बर के सीनियर एडवोकेट अषोक कुमार-आषीष कुमार मिश्रा को अपनी दास्तान सुनाया, जिसके बाद मिश्रा चेम्बर की ओर से पंजाब नेषनल बैंक के उच्च अधिकारियों को कानूनी नोटिस जारी की गई कि वे कर्जदार को उसकी देनदारी का हिसाब-किताब उपलब्ध करावें क्योंकि कर्जदार का यह संवैधानिक अधिकार है कि वह अपनी देनदारी का हिसाब जान सके लेकिन मिश्रा चेम्बर की नोटिस पाने के बाद भी बैंक अपनी जिद पर अड़ा रहा, लिहाजा इस मामले में छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में रिट याचिका नंबर 1686/2023 पेष कराई गई, जिसमें हाईकोर्ट ने पंजाब नेशनल बैंक को निर्देष दिया कि वह अपने कर्जदार को उसकी कर्जदारी का हिसाब-किताब उपलब्ध करावें ।
हाईकोर्ट के इस आदेश के बाद पंजाब नेशनल बैंक ने कर्जदार की देनदारी में छियालिस लाख एक हजार दो सौ अठासी रूपये की कटौती कर दिया एवं देनदारी का पूरा हिसाब ही बदल दिया, तब यह स्थिति उजागर हो गई कि पंजाब नेशनल बैंक द्वारा अपने ग्राहक के साथ धोखाधड़ी करके छियालिस लाख रूपये से भी ज्यादा रकम की ठगी करने का इरादा रख ही उसके एकाउंट को आनलाइन ब्लॉक किया था एवं एकाउंट विवरण देने से इंकार कर रहा था ।
यह धोखाधड़ी उजागर होने पर कर्जदार ने पंजाब नेषनल बैंक के धोखेबाज अधिकारियों के विरुद्ध एफ.आई.आर. दर्ज कराने के लिये बैंकिंग लोकपाल सहित विभिन्न अधिकारियों के समक्ष शिकायत पेश किया है एवं मिश्रा चेम्बर के मार्फत अग्रिम कार्यवाही प्रारंभ करने की तैयारी शुरू कर दिया है।
इस समूचे प्रकरण में वरिष्ठ अधिवक्ता अशोक कुमार-आशीष कुमार मिश्रा ने अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि पंजाब नेशनल बैंक ने अपने ग्राहक के साथ जो कृत्य किया है, वह भारतीय दण्ड विधान की धारा 417, 420, 465, 466, 467, 468, 471 के तहत दण्डनीय अपराध है एवं अपराधी बैंक अधिकारियों को उनके इस अपराधों के लिये दण्डित कराने हेतु कर्जदार की ओर से पुलिस में रिपोर्ट की जा रही है, एवं यदि उसे पुलिस से न्याय न मिला, तो न्यायालय में आपराधिक प्रकरण पेश कर न्याय दिलाया जाएगा ।