
पत्रकार उमेश राजपूत हत्याकां बना पहेली, सालों जांच के बाद भी सीबीआई के हाथ खाली
भूपेंद्र गोस्वामी आपकी आवाज
पत्रकार उमेश राजपूत हत्याकांड का खुलासा कब होगा। जांच में अब तक क्या हुआ। क्या परिजनों को न्याय मिल पाएगा। घटना के 11 साल बाद ये तमाम अनसुलझे सवाल जांच एजेंसियों को संदेह के घेरे में लाकर खड़ा कर देते हैं।
गरियाबंद। वरिष्ठ पत्रकार उमेश राजपूत हत्याकांड एक पहेली बनकर रह गया है। पुलिस और सीबीआई जांच के बाद भी उमेश राजपूत के हत्यारों का अबतक कोई सुराग हाथ नही लगा है। 23 जनवरी 2011 को उमेश की अज्ञात हमलावरों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी। तकरीबन 4 साल पुलिस जांच और 7 साल सीबीआई जांच के बाद भी कानून के हाथ आरोपियों के गिरेबान तक नही पहुंच पाए।
पत्रकार उमेश राजपूत हत्याकांड की जांच शुरू से ही सवालों के घेरे में रही है। पहले पुलिस की जांच पर कई सवाल उठते रहे और फिर सीबीआई जांच भी सवालों के घेरे में रही। परिजन शुरू से ही मामले की निष्पक्ष जांच और दोषियों पर कार्रवाई की मांग कर रहे है। लेकिन 11 साल बीत जाने के बाद भी उमेश के परिजनों को न्याय नही मिल पाया। परिजनों ने एक बार न्याय की गुहार लगाई है।
उमेश हत्याकांड मामले में सबसे हैरान कर देने वाली बात ये है कि उनकी हत्या शहर के बीचोबीच स्थित उनके निवास पर की गई। पुलिस स्टेशन से नजदीक ओर भीड़भाड़ वाला इलाका होंने के बाद भी हत्यारे भाग निकलने में कामयाब हो गए। घटना के समय घर पर तकरीबन 5 सदस्य मौजूद थे लेकिन कोई भी हत्यारों को नही देख नही पाया। उमेश की हत्या इसलिए भी हैरान करने वाली घटना है कि छूरा शहर में उससे पहले या उसके बाद भी इस तरह की घटना कभी सामने नही आयी। फिर शांतिप्रिय शहर में एक पत्रकार की दर्दनाक हत्या के पीछे आखिर क्या वजह हो सकती है।
उमेश राजपूत की गिनती छूरा क्षेत्र के वरिष्ठ एवं तेजतर्रार पत्रकारों में होती थी। उन्होंने पत्रकारिता की शुरुवात अपने गृहनगर छूरा से की, उसके बाद रायपुर और महासमुंद में भी अपनी काबलियत का लोहा मनवाया। उन्होंने कम समय मे ही पत्रकार जगत में अच्छा मुकाम हासिल किया। ऐसे में एक काबिल पत्रकार की हत्या क्षेत्रवासियों के लिए भी किसी बड़ी क्षति से कम नही है। क्या उनकी काबलियत ही उनकी मौत का कारण बनी या फिर कोई और वजह से उनकी जान गई। ये तमाम सवाल है जिनके जवाब क्षेत्र की जनता भी जाननी चाहती है।
शहर के पत्रकारों, नेताओ, समाजसेवियों, गणमान्य नागरिकों, व्यपारियो एवं आम नागरिकों द्वारा प्रतिवर्ष 23 जनवरी को कार्यक्रम आयोजित कर उमेश राजपूत को श्रद्धांजलि दी जाती है। इस बार भी उन्हें भावभीनी श्रद्धाजलि देने के लिए कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है। इस मौके पर पत्रकार उमेश राजपूत के शुभचिन्तको ने एक बार फिर उनकी हत्या के आरोपियो का जल्द से जल्द खुलासा कर
शहर के पत्रकारों, नेताओं, समाजसेवियों, नागरिकों, व्यापारियों एवं आम नागरिकों द्वारा प्रतिवर्ष 23 जनवरी को कार्यक्रम आयोजित कर उमेश राजपूत को श्रद्धांजलि दी जाती है। इस बार भी उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि देने के लिए कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है। इस मौके पर पत्रकार उमेश राजपूत के शुभचिंतको ने एक बार फिर उनकी हत्या के आरोपियों का जल्द से जल्द खुलासा करने की मांग की है।