पेट्रोल-डीजल में फुंकेगी कमाई, खर्च में कटौती के लिए मजबूर करेगी महंगाई

कीमतों में लगातार वृद्धि के कारण भारतीय परिवारों को परिवहन और पेट्रोल-डीजल पर ज्यादा खर्च करना पड़ेगा। इसको देखते हुए भारतीय अपने पारिवारिक खर्च में कटौती कर सकते हैं। पारिवारिक खर्च में कटौती करके ही परिवहन और पेट्रोल-डीजल की महंगाई को समायोजित किया जा सकेगा। विशेषज्ञों ने यह बात कही है।

एचडीएफसी बैंक की ताजा रिपोर्ट में अनुमान जताया गया है कि वित्त वर्ष 2023 में भारतीय परिवारों को पेट्रोल-डीजल और परिवहन पर खर्च 2.5 फीसद बढ़ सकता है। इस बढ़ोतरी को समायोजित करने के लिए परिवारों पर खर्च में कटौती का दबाव बढ़ सकता है।

रिपोर्ट के मुताबिक, कच्चे माल और परिवहन की लागत बढ़ रही है। कंपनियां इस बोझ को ग्राहकों पर डाल रही हैं। इससे वस्तुएं महंगी हो रही हैं, जिससे मांग प्रभावित हो सकती है।

आठ फीसदी से कम रह सकती है विकास दर

रिपोर्ट के मुताबिक, इस साल खुदरा महंगाई 5.1 से 6.2 फीसदी से बीच रहने का अनुमान जताया गया है। इससे गैर-तेल और परिवहन खपत में इस साल 1.7 फीसदी की गिरावट हो सकती है। इन सब कारणों के परिवारों पर संयुक्त असर के कारण वित्त वर्ष 2023 में निजी खपत की विकास दर आठ फीसदी से कम रह सकती है। आंकड़ों के अनुसार, वित्त वर्ष 2022 में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में निजी खपत की हिस्सेदारी 56.6 फीसदी थी। यह कोविड से पहले के वित्त वर्ष 2020 के 56.9 फीसदी से कम थी।

आरबीआई ने बढ़ाया महंगाई अनुमान

आरबीआई ने शुक्रवार को समाप्त हुई मौद्रिक नीति समिति की बैठक में वित्त वर्ष 2023 के लिए महंगाई के अनुमान को बढ़ाकर 5.7 फीसदी कर दिया है। फरवरी में आरबीआई ने महंगाई दर 4.5 फीसदी रहने का अनुमान जताया था। इसके अलावा आरबीआई ने विकास दर के अनुमान को 7.8 फीसदी से घटाकर 7.2 फीसदी कर दिया है।

महंगा कच्चा तेल उड़ा रहा होश

रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध के कारण अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें लंबे समय से 100 डॉलर प्रति बैरल से ज्यादा चल रही हैं। इसका असर घरेलू बाजार में दिख रहा है। 22 मार्च से अब तक पेट्रोल-डीजल की कीमत में 14 बार बढ़ोतरी की जा चुकी है। इससे पेट्रोल-डीजल कुल 10 रुपये या दस फीसदी से अधिक महंगे हो चुके हैं। राजधानी दिल्ली में पेट्रोल 105.41 रुपये और डीजल 96.67 रुपये प्रति लीटर मिल रहा है। हालांकि, बीते चार दिनों से पेट्रोल-डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी नहीं हुई है।

इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री, अदिति नायर कहती हैं, “महंगे पेट्रोल-डीजल और खाद्य तेल के कारण मध्यम से निम्न आय वर्ग वालों की खर्च करने योग्य आय में कमी आएगी। इससे अगले वित्त वर्ष में मांग की सुधार में बाधा पैदा होगी।”

महंगे हो सकते हैं होम लोन, जमा पर बढ़ रहा ब्याज

आने वाले महीनों में होम लोन महंगे हो सकते हैं। इसका कारण यह है कि बैंक लगातार जमा पर ब्याज दरों में बढ़ोतरी कर रहे हैं। बैंकर्स का कहना है कि जब बेंचमार्क यील्ड सात फीसदी पर पहुंचेगा तब होम लोन की दरें 6.4 से 6.5 फीसदी से बीच रह सकता है। हालांकि, होम लोन की ब्याज दरें रेपो दर से जुड़ी होती हैं और आरबीआई ने अप्रैल की द्विमासिक मौद्रिक नीति समिति की बैठक में रेपो दरों को यथावत रखने का फैसला किया है। कुछ अर्थशास्त्रियों का अनुमान है कि आरबीआई जून की बैठक में रेपो दरों में बढ़ोतरी कर सकता है।

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