
ऑपरेशन सिन्दूर” बना आतंकवाद पर निर्णायक प्रहार का प्रतीक, सेना ने दिखाई शक्ति और साहस
पहलगाम हमले के बाद भारत की सैन्य कार्रवाई ने दिखाई निर्णायकता, ‘ऑपरेशन सिन्दूर’ बना देशभक्ति का प्रतीक
‘ऑपरेशन सिन्दूर’ बना भारत की सैन्य रणनीति का नया अध्याय
भारतीय सेना द्वारा किए गए कई ऐतिहासिक ऑपरेशनों—जैसे ऑपरेशन पोलो, ऑपरेशन विजय, ऑपरेशन मेघदूत, ऑपरेशन कैक्टस या ब्लू स्टार—की गूंज वर्षों तक सुनाई दी है। अब इन्हीं में एक नया नाम जुड़ गया है: ऑपरेशन सिन्दूर। यह कोई सामान्य सैन्य कार्रवाई नहीं, बल्कि सांस्कृतिक चेतना से प्रेरित एक निर्णायक जवाब है, जिसने न केवल देश की सुरक्षा को मज़बूती दी, बल्कि एक गहरा संदेश भी दिया।
सांस्कृतिक प्रतीक से प्रेरित ऑपरेशन का नाम
बताया जा रहा है कि ‘ऑपरेशन सिन्दूर’ नाम स्वयं प्रधानमंत्री द्वारा सुझाया गया, जो दर्शाता है कि यह केवल सैन्य नहीं, बल्कि वैचारिक प्रतिकार भी है। आतंकियों द्वारा पहलगाम में सैलानियों को धर्म पूछकर जिस क्रूरता से निशाना बनाया गया—विशेषकर पुरुषों की हत्या को उनकी माँ, बहन, पत्नी या बेटी के सामने अंजाम देना—वह अमानवीयता की पराकाष्ठा थी।
‘सिन्दूर’ – श्रद्धा, संस्कार और शक्ति का प्रतीक
आतंकवादी शायद भूल गए कि जिस धर्म को वे लक्ष्य बना रहे हैं, उस सनातन परंपरा में सिन्दूर केवल मांग भरने की सामग्री नहीं, बल्कि शक्ति, श्रद्धा और सम्मान का प्रतीक है—चाहे वह पूजा में समर्पित हो या तिलक के रूप में माथे पर शोभित।
तीन दिनों में आतंकियों की कमर तोड़ी सेना ने
सरकार द्वारा सेना और अर्धसैनिक बलों को पूर्ण छूट दिए जाने के बाद भारत की फौज ने जिस दृढ़ता और सटीकता से कार्रवाई की, वह प्रशंसनीय है। न्यूक्लियर पॉवर देश में घुसकर मात्र तीन दिनों में 26 परिवारों को न्याय दिलाना और दुश्मन को घुटनों पर लाना कोई साधारण बात नहीं थी।
स्वदेशी हथियारों की ताकत भी दिखी दुनिया को
ऑपरेशन सिन्दूर न सिर्फ आतंकवाद के खिलाफ जीत का प्रतीक बना, बल्कि भारत की स्वदेशी सैन्य तकनीक की ताकत का भी प्रमाण बन गया। बीते दस वर्षों में भारत ने न केवल आर्थिक, बल्कि सामरिक मोर्चे पर भी खुद को एक वैश्विक ताकत के रूप में स्थापित किया है।
देशभर में राष्ट्रभक्ति का ज्वार, राजनीतिक एकता की भी झलक
पूरे देश में इस ऑपरेशन को लेकर एक सकारात्मक ऊर्जा दिखी। आम जनता से लेकर अधिकतर राजनीतिक दलों तक ने एक स्वर में आतंक के खिलाफ एकता का प्रदर्शन किया। इस एकजुटता ने साबित किया कि जब बात देश की सुरक्षा की हो, तब राजनीति को पीछे छोड़ना चाहिए।
सीज़फायर पर मिली-जुली प्रतिक्रिया, पर रणनीतिक निर्णय रहा अहम
हालांकि जब दुश्मन ने सीज़फायर की मांग की, तो देश के कई नागरिकों को निराशा हुई। जीत के इतने करीब आकर युद्धविराम करना कुछ लोगों को सेना के मनोबल के खिलाफ लगा। परंतु यह रणनीतिक निर्णय था, ताकि अंतरराष्ट्रीय समुदाय में भारत की नैतिक स्थिति मजबूत बनी रहे।
भीतर और बाहर दोनों ओर मौजूद है खतरा, सतर्कता जरूरी
यह भी स्पष्ट हो गया है कि खतरा केवल सीमाओं पर नहीं, बल्कि देश के भीतर भी मौजूद है। विपक्ष की आतंकवाद के मुद्दे पर दिखी समर्थन की सतही प्रकृति ने भी जनता को सोचने पर मजबूर किया है।
समाप्ति: जब सवाल हो देश की रक्षा का, तब एकजुटता ही सबसे बड़ा अस्त्र
ऐसे समय में यह आवश्यक है कि मुद्दों पर भले मतभेद हों, लेकिन देश की अखंडता और सुरक्षा के प्रश्न पर सब एक मंच पर खड़े हों। ऑपरेशन सिन्दूर ने यह साबित कर दिया है कि भारत न केवल प्रतिकार कर सकता है, बल्कि न्याय सुनिश्चित करने में भी सक्षम है।