बीएलओ को मोहरा बनाना लोकतंत्र का अपमान, चुनाव आयोग अपनी भूमिका स्पष्ट करे: गंगेश द्विवेदी

*पत्रकार अजीत अंजुम पर एफआईआर लोकतंत्र की आवाज़ को कुचलने की कोशिश – पत्रकारिता नहीं रुकेगी, सच नहीं दबेगा*
रायपुर। वरिष्ठ पत्रकार *अजीत अंजुम* पर बेगूसराय, बिहार में दर्ज की गई एफआईआर के खिलाफ *भारती श्रमजीवी पत्रकार संघ – छत्तीसगढ़ इकाई* ने कड़ा विरोध दर्ज करते हुए इसे “पत्रकारिता पर सीधा हमला” बताया है। संघ के छत्तीसगढ़ इकाई के प्रदेश अध्यक्ष *गंगेश कुमार द्विवेदी* ने इसे *लोकतंत्र और प्रेस की स्वतंत्रता के विरुद्ध* साज़िश करार दिया।

यह एफआईआर, जिसमें *सरकारी कार्य में बाधा और सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने* जैसे आरोप लगाए गए हैं, एक मुस्लिम बीएलओ की शिकायत पर आधारित है – जिसे पत्रकार अजीत अंजुम ने *SIR (Special Intensive Revision)* प्रक्रिया की रिपोर्टिंग के दौरान शामिल किया था।

*गंगेश द्विवेदी* ने कहा:

“यह बेहद चिंताजनक है कि एक निष्पक्ष, तथ्य आधारित और साहसिक पत्रकारिता करने वाले पत्रकार को सच उजागर करने की कीमत चुकानी पड़ रही है। यदि किसी बीएलओ को प्रशासन द्वारा दबाव में लाकर एफआईआर का मोहरा बनाया गया है, तो यह प्रेस की स्वतंत्रता ही नहीं, बल्कि पूरे लोकतंत्र का अपमान है।”
*चुनाव आयोग अपनी ज़िम्मेदारी से बच नहीं सकता*

*द्विवेदी* ने पूछा – “क्या SIR के अंतर्गत सभी मतदाताओं को फॉर्म-2 दिए गए? क्या पारदर्शी प्रक्रिया अपनाई गई? यदि नहीं, तो पत्रकार द्वारा रिपोर्ट की गई तथ्यात्मक जानकारी को ‘भ्रामक’ कैसे कहा जा सकता है? यह चुनाव आयोग की जवाबदेही तय करने का समय है, न कि पत्रकारों को दबाने का।”
*पत्रकारिता को दबाया नहीं जा सकता*

*अजीत अंजुम* का यह कहना कि “यह FIR मेरे लिए पत्रकारिता का सम्मान पत्र है,” आज के संदर्भ में बिल्कुल सही है। उन्होंने न केवल SIR प्रक्रिया की कमज़ोरियों को उजागर किया, बल्कि यह भी बताया कि कैसे *स्थानीय प्रशासन SDM और BDO द्वारा उन पर दबाव* बनाया गया।

*गंगेश द्विवेदी* ने कहा: “यह FIR सत्ता के डर का प्रमाण है। पत्रकार अजीत अंजुम जैसे साहसी लोग अगर न हों, तो लोकतंत्र की अंतिम आवाज़ भी दम तोड़ देगी। हमारा संगठन उनके साथ पूरी मजबूती से खड़ा है। पत्रकारों को डराने की हर कोशिश का लोकतांत्रिक तरीके से प्रतिकार किया जाएगा।”


*हमारी मांगें –*

1. *पत्रकार अजीत अंजुम पर दर्ज एफआईआर तुरंत रद्द की जाए।*
2. *चुनाव आयोग पारदर्शिता से जांच करे कि क्या बीएलओ को राजनीतिक या प्रशासनिक दबाव में एफआईआर दर्ज करने को मजबूर किया गया।*
3. *SIR प्रक्रिया की पारदर्शिता सुनिश्चित की जाए और मीडिया को स्वतंत्र रूप से कवरेज की अनुमति दी जाए।*
*संघ ने सभी पत्रकार संगठनों, प्रेस क्लबों और लोकतंत्र प्रेमी नागरिकों से अपील की है कि वे इस अन्याय के खिलाफ आवाज उठाएं।*
“पत्रकारिता अपराध नहीं है। सवाल पूछना गुनाह नहीं है। अगर प्रशासन की सच्चाई उजागर होती है, तो उसे सुधारिए – न कि रिपोर्टर को अपराधी बनाइए।” उक्त जानकारी
गंगेश कुमार द्विवेदी प्रदेश अध्यक्ष
भारती श्रमजीवी पत्रकार संघ, छत्तीसगढ़ इकाई द्वारा दी गई ।

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