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भाजपा प्रत्यासी सुनीति राठिया के सामने कांग्रेस प्रत्यासी विद्यावती सिदार कमजोर होते नजर आ रही है,वही अनुभव का मिल रहा लाभ

रायगढ़ – प्रदेश होने जा रहे चुनाव को लेकर मतदान की तारीख पास आ रही है प्रदेश के 90 सिंटो पर दो चरणों में विधानसभा चुनाव होने हैं पहले चरण में 20 विधानसभा सीटों पर वोटिंग होंगी तो वहीं दूसरे चरण में 70 सीटों पर मतदान किया जायेगा, चुनाव को मद्देनजर रख भाजपा और कांग्रेस सहित अन्य दलों ने अपने – अपने प्रत्यासी भी घोषित कर दिए हैं जहां अब प्रचार प्रसार में जोर दिया जा रहा है रायगढ़ जिला में चुनावी सरगर्मी तेज हो गई है इस जिले की एक सीट लैलूंगा विधानसभा है जहां भाजपा ने सुनीति सत्यानंद राठिया को प्रत्यासी बनाया है. तो वहीं कांग्रेस की ओर से विद्यावती सिदार पर भरोसा जताया है. चुनाव को लेकर दोनों ही नेत्री अपने – अपने कार्यकर्ताओ को लेकर गांव- गांव में प्रचार कर रही है एक तरफ भाजपा प्रत्यासी सुनीति सत्यानंद राठिया कांग्रेस सरकार की नाकामी और पूर्व में किए गए वायदे को पूरा न करने का आरोप कांग्रेस पर लगा रही है भाजपा प्रत्यासी क्षेत्र में दौरा के दौरान मुख्य रूप से पूर्व में कांग्रेस द्वारा किए गए शराब बंदी को पूरा नहीं करने को लेकर कांग्रेस पर आरोप लगा रही है इसके अलावा भाजपा कई अन्य मुद्दे को लेकर कांग्रेस के खिलाफ आवाज उठा रही हैं. वहीं कांग्रेस प्रत्यासी विद्यावती सिदार ओवर कॉन्फिडेंस में देखी जा रही है
हाल ही में रायगढ़ में हुए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की सभा में लैलूंगा विधानसभा की प्रत्यासी विद्यावती सिदार ने अपने कार्यकर्ताओ का मनोबल बढ़ाने की बजाए उन्होंने स्वयं की प्रशंसा कर दी इससे भी कार्यकर्ताओ में नाराजगी देखी जा रही है. कहा जा रहा है उन्होंने अभी तक अपने विधानसभा क्षेत्र के कार्यकर्ताओ को एकजुट भी नही कर पाया है सामने चुनाव है और मतदान की तारीख भी करीब आती जा रही है. यह एक बड़ा कारण है कि कांग्रेस प्रत्यासी विद्यावती सिदार भाजपा के सामने कमजोर साबित हो रही है. राजनीतिक जानकारों की मानी जाय तो लैलूंगा विधानसभा में कांग्रेस को नुकशान होने की बात कही जा रही है वो इसलिए भी है क्योंकि वहां कांग्रेस अपने कार्यकर्ताओ को एकजुट नहीं कर पा रही है. यह भी कहा जा रहा है कांग्रेस प्रत्यासी भाजपा के सवालों का कोई ठोस जवाब नही दे पा रही हैं. कार्यकर्ताओ की अनदेखी के कारण वे एकबार जिला पंचायत चुनाव भी हार चुकी है. अब उन्हें कांग्रेस पार्टी ने विधानसभा का प्रत्यासी बनाया है कांग्रेस के जन संपर्क में उनके साथ लोगों की उपस्थिति भी बेहद कम देखी जा रही है. इससे भी लैलूंगा विधानसभा में कांग्रेस को हार होने की संभावना बता रहे हैं. चुनाव में माहौल महत्वपूर्ण होता है कोई भी प्रत्यासी चुनाव प्रचार में अपने पक्ष को मजबूत साबित नही कर पाता है तो उसे जीत नहीं मिल पाती है. ऐसा ही हाल लैलूंगा विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस का है इसबार लैलूंगा में कांग्रेस अपने पक्ष में माहौल नही बना पा रही है यही कारण है कि जनता का झुकाव इसबार भाजपा की ओर जाता हुआ दिख रहा है. कुछ लोग यह भी कह रहे हैं कि भूपेश बघेल सरकार की योजनाओं का लाभ प्रत्यासी को मिलेगा लेकिन उन्हे व्यक्तिगत लाभ की कोई संभावना नहीं है क्योंकि उनके साथ जन संपर्क में क्षेत्र का कोई बड़ा नेता दिखाई ही नही दे रहे है. ऐसे में कांग्रेस को लैलूंगा विधानसभा सीट गवानी पड़ सकती है अब देखना यह होगा कि यहां कांग्रेस कितनी मजबूती के साथ चुनाव लड़ेंगी और कार्यकर्ताओ को कितना एकजुट कर पाएंगी. वहीं भाजपा प्रत्यासी सुनीति सत्यानंद राठिया गांव- गांव में जाकर लोगों से भेंट मुलाकात कर अपने कार्यकर्ताओ को एकजुट कर रही है जिसमें उन्हें सफलता मिलती हुई दिख रही है. अब देखना यह होगा कि लैलूंगा विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस अपने पक्ष में कितना माहौल बना पाती है क्योंकि चुनाव में जीत और हार का फैसला केवल प्रचार प्रसार और कार्यकर्ताओ के एकता से ही होती है फिलहाल लैलूंगा विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस कमजोर साबित हो रही है।

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