भारत का बढ़ा दबदबा, मोदी-बाइडेन मुलाकात ने पाकिस्तान ही नहीं चीन को भी दे दिया संदेश

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडेन की मुलाकात चीन और पाकिस्तान दोनों के लिए स्पष्ट संदेश है। साथ ही आने वाले दिनों में भारत की हिंद प्रशांत क्षेत्र में बड़ी भूमिका का संकेत भी है। बाइडेन से मुलाकात के पहले उपराष्ट्रपति कमला हैरिस से मुलाकात में पीएम मोदी की यात्रा की दिशा और परिणाम की पटकथा लिख दी गई। विदेश सचिव ने बताया कि आतंकवाद पर उपराष्ट्रपति हैरिस ने स्वतः स्फूर्त कड़ा संदेश पाकिस्तान को दिया। यह दर्शाता है कि अफगानिस्तान के ताजा हालात और तालिबानी कब्जे के बाद पैदा हुए खतरो के प्रति भारत और अमेरिका की चिंता समान है।

चीन को लेकर चर्चा: जानकारों का कहना है कि पाकिस्तान को आतंकवाद और कट्टरपंथ पर कठोर संदेश मिला है तो अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और जापान के नेतृत्व के साथ पीएम मोदी की चीन से उपजे खतरों पर विस्तृत चर्चा हुई है। खासतौर पर हिन्द प्रशांत क्षेत्र और दक्षिण चीन सागर में चीन के मनमाने रवैये पर इन देशो की चिंता समान है। ऑकस को लेकर आशंकाओं को भी द्विपक्षीय बैठकों में दूर किया गया है। सूत्रों ने कहा, ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री ने पीएम मोदी को बताया है कि ऑकस का मकसद किस तरह से अलग है और क्वाड के उद्देश्य में ये एक तरह से पूरक का काम करेगा। गौरतलब है कि ऑकस में ऑस्ट्रेलिया,यूके और अमेरिका शामिल हैं। जबकि क्वाड में भारत,अमेरिका,ऑस्ट्रेलिया और जापान हैं। दोनो गठजोड़ से चीन बौखलाहट में है।

अफगानिस्तान का मुद्दा छाया: पीएम मोदी को द्विपक्षीय बैठकों में अफगानिस्तान का मुद्दा हावी रहा है। अफगानिस्तान में आतंकी संगठन तालिबान के कब्जे के बाद भारत की चिंता बढ़ती जा रही है। भारत ने सभी नेताओं के साथ बैठक में इस चिंता को साझा किया है। साथ ही विश्व समुदाय को आतंकवाद व कट्टरपंथ के खतरों से संजग रहकर रणनीति बनाने का अनुरोध किया है।

तालिबान को चीन-पाक की शह: सूत्रों ने कहा भारत ने ये भी बताया है कि कैसे तालिबान को चीन और पाकिस्तान का साथ मिल रहा है, उससे भारत के लिए ही नहीं दुनिया की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। अमेरिका ने भी भारत के इस रुख को स्वीकार किया है। सूत्रों ने कहा, अमेरिकी नेतृत्व ने भी चीन के खतरों की ओर इशारा किया है और भरोसा दिया कि वो इससे निपटने के लिए भूमिका निभाने के लिए तैयार हैं। आने वाले दिनों में क्वाड और ऑकस की भूमिका भी इस संदर्भ में बढ़ेगी।

सप्लाई चेन पर चर्चा: दूसरी तरफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिकी बिजनेस सीईओ से मुलाकात को भारत की सप्लाई चेन की दिशा में बढ़ते प्रयास और व्यापार व निवेश की नई संभावनाओं से जोड़कर देखा जा रहा है। भारत को सप्लाई चेन के विकल्प के रूप में क्वाड देशों का समर्थन हासिल है। भारत ने संबंधित देशो को बताया है कि वह घरेलू सुधारो के जरिये सप्लाई चेन की मजबूती के लिए उपयुक्त माहौल बना रहा है।

चीन की बढ़ती ताकत रोकने पर ध्यान: सूत्रों ने कहा, भारत और अमेरिका का पूरा ध्यान चीन की बढ़ती ताकत को रोकने पर है। अमेरिका जानता है कि ये बिना भारत के सहयोग के संभव नहीं है। ऐसे में विस्तारवाद और आतंकवाद के खिलाफ भारत-अमेरिका की साझेदारी नई ऊंचाई पर पहुंचेगी।

इन बिन्दुओं पर चर्चा:
1- भारत-अमेरिका की वैश्विक साझेदारी
2. द्विपक्षीय व्यापार और निवेश संबंधों को मजबूत करना
3. रक्षा और सुरक्षा सहयोग को मजबूत करना
4. रणनीतिक स्वच्छ ऊर्जा साझेदारी को बढ़ावा देना
5. आतंकवाद,कट्टरपंथ के खिलाफ साझा रणनीति
6. सीमा पार आतंकवाद रोकने की तरीके पर विचार
7. अफगानिस्तान संकट से निपटने की रणनीति
8. चीन के विस्तारवाद पर लगाम
9. जलवायु परिवर्तन
10. यूएन सुधार

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button