
Raigarh News: रायगढ़ । सारडा एनर्जी तमनार का दस्तावेज संदेहास्पद प्रतीत हो रही है अब तक कंपनियां आईआईए रिपोर्ट में झोलझाल करते चली आ रहीं थी अब तो दूसरे दस्तावेजों में गोलमोल उल्लेख कर उद्योगपति के रास्ते आसान किया जा रहा है। और उद्योगपति उद्योग स्थापित कर सकें या विस्तार कर सकें आम जनता की समस्याओं को कौन इतनी बारीकी से देखता है।
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जहां तक एनजीटी के आदेश का सवाल है तो नए उद्योग की स्थापना नहीं की जा सकती और न ही विस्तार की अनुमति दी जा सकती है। किंतु दोनों आदेशों का पालन नहीं हो रहा है। साराडा एनर्जी की कहानी बड़ी दिलचस्प है। इनके जन सुनवाई के लिए जारी दस्तावेज गोलमोल तरीके से तैयार किए गए हैं। जिसमे ऐसा प्रतीत होता है कि उच्चाधिकारी इन उद्योगपतियों की गोद में बैठकर आम जनता को धोखा देने की मंशा से इस तरह दस्तावेज तैयार किया गया है जिसके जन सुनवाई में विरोध के स्वर दब जाए और आसानी से जन सुनवाई संपन्न हो जाए। उद्योगपतियों और अधिकारियों की मंशा सिर्फ अपनी कमाई से है वे आज यहां कल कहीं और चले जायेंगे। जहां तक बात विरोध की है तो विरोध तो होते रहते है और विरोध के बीच जन सुनवाई तमाम कवायद के बाद भी आसानी से जन सुनवाई सफल भी हो जाती है। इसी जन सुनवाई के रास्ते को आसान बनाना भी उन्हीं अधिकारियों के हाथों में है और यही वजह है कि नए स्थापना को भी विस्तार बता दिया गया है। उद्योग स्थापना का प्रपोजल है उसे भी विस्तार की श्रेणी में ला खड़ा कर दिया गया है ताकि उद्योगपतियों की राह आसान हो सके।
दस्तावेजों को गौर से देखा जाए तो सारडा एनर्जी एंड मिनरल्स के दस्तावेजों में स्थापना दिखाया जा रहा है एक तरफ कहा जा रहा है की सारडा एनर्जी एंड मिनरल्स बजरमुडा और ढोलनारा के द्वारा स्थापना हेतु पर्यावरणीय स्वीकृति बाबत लोक सुनवाई हेतु आवेदन दिया गया है। दूसरी ओर यह भी उल्लेख किया गया है की क्षमता विस्तार हेतु आवेदन में गोलमोल उल्लेख किया गया है। एक तरफ स्थापना हेतु आवेदन का उल्लेख है तो वहीं आगे विस्तार करने का उल्लेख किया गया।
आपको बता दें की सारडा एनर्जी के दस्तावेजों में बड़ा झोलझाल किया गया है स्थापना और विस्तार दो अलग अलग विषय है, जानकार बताते हैं की ऐसा इसलिए ताकि जनसुनवाई को आसान बनाया जा सके।
Raigarh News : इस मुद्दे को लेकर समाजिक कार्यकर्ता राजेश त्रिपाठी से चर्चा किया तो उन्होंने कहा कि ऐसा ही कुछ सारडा एनर्जी के डॉक्यूमेंट में देखा गया है। दरअसल पर्यावरणीय स्वीकृति के लिए होने वाली जनसुनवाई को आसान बनाने सारा खेल खेला गया है। राजेश त्रिपाठी ने कहा कि जितनी भी उद्योगों की जन सुनवाई होनी है सभी में कई तरह की तकनीकी खामियां हैं इन्हें तत्काल प्रभाव से निरस्त किया जाना ही लोक हित में होगा। दस्तावेजों में खामियों की वजह से सभी उद्योगों की जन सुनवाई रोक दी जानी चाहिए जिनकी हो गई है उसकी भी दस्तावेजों की जांच उपरांत विस्तार की अनुमति दी जानी चाहिए तब तक के लिए जन सुनवाई शून्य घोषित किया जाना ही जनहित में होगा।