
इलाज में लापरवाही.जाँच के नाम पर निजी संस्था को किया जा रहा लाभवान्वित
बिलासपुर – सिविल सर्जन अनिल गुप्ता के प्रभार क्षेत्र जिला अस्पताल एवं मातृ शिशु हॉस्पिटल बिलासपुर में मरीजों के साथ इन दिनों दुर्व्यवहार एवं इलाज में लापरवाही की जानकारीयां मिल रही है.मातृ शिशु हॉस्पिटल में आगाहेँ बगाहेँ मरीज की अनदेखी की जाती है परसुता को बार बार तारिक देकर परेशान भी किया जाता है ऐसा ही एक मामला सामने आया है जिस पर प्रार्थी द्वारा किए गए शिकायत के बाद जांच एवं कार्यवाही को लेकर मीडिया द्वारा सवाल पूछने पर सिविल सर्जन अनिल गुप्ता तिलमिला उठते हैं. उनके व्यवहार से ऐसा प्रतीत होता है कि पिछले कुछ समय पूर्व स्वास्थ्य विभाग द्वारा क्षणिक समय के लिए जारी किए गए मीडिया प्रतिबंध का आदेश उनके लिए अभी मान्य है. शायद उन्हें याद नहीं अस्पतालों में कवरेज के लिए जारी किया गया प्रतिबंध के आदेश के खिलाफ पत्रकारो द्वारा विरोध किया गया जिसके बाद आनन फानन में उक्त आदेश को वापस लिया गया था. लेकिन श्री गुप्ता के व्यवहार से ऐसा लगता है कि वह अस्पताल के अंदर की कमियों को छुपाने के लिए अपने कर्मचारियों को संरक्षण दे रहे हैं. इसीलिए जांच के नाम पर मामले को दबाया जा रहा है.
जिला अस्पताल डॉ उपासना देवांगन के खिलाफ लिखि शिकायत किया गया है. शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया है कि वह अपनी धर्मपत्नी का ईलाज कराने विगत दिनो जिला अस्पताल गया था. जिसमे पंजीयन तारिख दिनॉक 28.07.2025 से सूचारू रूप से बताए गए दिवस मे अपनी पत्नि का ईलाज कराने आता रहा हैं, जिसमे डॉक्टर के कहने पर दिनाँक 01.08. 2025 को जिला अस्पताल के अंदर ही सोनोग्राफी जाँच किया गया . जिसके बाद उक्त सोनोग्राफी रिर्पोट को डॉक्टर उपासना देवांगन ने देख कर कहा कि यह रिर्पोट स्पष्ट नही है. तुम लोग निजी सोनोग्राफी अप्पू डायग्नोस्टिक्स सेंटर राजीव प्लाजा जिला अस्पताल के सामने से करा लो। बताए गए जगह पर अपनी पत्नी को दिनाँक 04.08.2025 को सोनोग्राफी का शुल्क 1200 रूपए अदा किया गया
जिसके बाद प्राप्त रिर्पोट को डॉ उपासना देवांगन ने देखने के बाद डी.एन.सी कराने कि सलाह देते हुए 05.08.2025 को आने के लिए कहा। बताए गए समय अवधि पर अस्पताल पहुँचने के बाद डॉ उपासना देवांगन से संपर्क किया तब उन्हाने अपनी व्यस्तता बताते हुए कहा कि आप लोग किसी निजी अस्पताल से डी एन सी करावा लो. उक्त मरीज ने बताया कि निजी अस्पताल का फिस देने में सक्षम नही हैं और आप हमारा काम यही कर दीजिए. जिसके बाद उन्होने नाराज होते हुए कहा कि ठिक है तुम्हारा काम करती हूँ, फिर उनके द्वारा प्रसुता कक्ष के अंदर उनकी पत्नी का डी एन सी करना शुरू किया. कुछ देरे बाद मरीज के पति को बुला कर कहा गया कि तुम्हारी पत्नी बेहोस हो गई है जिसका परिजनों द्वारा विरोध करने पर आनफान मे सीनियर डॉक्टर को बुलाया गया तब जाकर उनके पत्नी का ईलाज संभव हो पाया.
मामले को लेकर शिकायतकर्ता ने सिविल सर्जन से मिलकर पूरी घटनाक्रम की जानकारी दी औऱ सिविल सर्जन ने आस्वस्थ किया की आप लिखित शिकायत करो हम जाँच करके शक्त कार्यवाही करेंगे मरीज के पति ने लिखित शिकायत दी है किन्तु आज परियन्त तक कोई कार्यवाही नहीं हुई कार्यवाही के संबंध में मिडिया ने जानकारी लेने का प्रयास किया जाता है तब सिविल सर्जन अनिल गुप्ता के द्वारा अस्पष्टता एवं टालमटोल का रवैया दिखाया गया
शिकायते जिसकी जाँच होनी चाहिए
(1) जिला अस्पताल में मौजूद सोनोग्राफी मशीन अगर सही है तो डॉक्टर उपासना देवांगन के द्वारा सोनोग्राफी के लिए निजी सेंटर जाने हेतु क्यों दबाव बनाया गया….
(2) डॉ. उपासना देवांगन के द्वारा निजी अस्पताल से
ईलाज (डी एन सी) केलिए क्यों दबाव बनाया गया….
(3) मरीज द्वारा निजी अस्पताल में इलाज करने में सक्षम नहीं होने की जानकारी देने के बाद जिला अस्पताल में इलाज प्रारंभ किया गया किन्तु डॉक्टर उपासना देवांगन के द्वारा इलाज के नाम पर यातनाएं दी गई जिसके कारण मरीज कुछ समय केलिए बेहोस हो गयी थी?
(4) सिविल सर्जन अनिल गुप्ता को शिकायत के सारे अहम बिंदु को सबूत के साथ देने के बाउजूद निष्पक्ष जांच करेंगे या फिर डॉक्टर को अभय दान देंगे?
जल्द होगा खुलासा--::मातृ शिशु जिला हॉस्पिटल के स्टॉफ की मिलीभगत से कैसे निजी संस्थानों को हो रहा लाभ