
मणिपुर में असम राइफल्स के काफिले पर हुए हमले में शामिल समूहों की पहचान की कोशिश की जा रही है। लेकिन शुरुआती पड़ताल में इस वारदात के पीछे मणिपुर में सक्रिय आतंकी संगठन पीपुल्स लिबरेशन आर्मी का हाथ बताया जा रहा है। इस समय मणिपुर में आधा दर्जन से ज्यादा उग्रवादी गुट सक्रिय हैं। इनके कुछ नेताओं ने म्यांमार में भी अपने अड्डे बना रखे हैं। इनका संबंध चीन से भी रहा है। फिलहाल वास्तविक वजहों की पड़ताल करने में एजेंसियां जुटी हुई हैं।
1978 में अस्तित्व में आई पीपुल्स लिबरेशन आर्मी पहले भी ऐसे हमले कर चुकी है। लेकिन शनिवार को हुए हमले को अब तक का सबसे घातक हमला माना जा रहा है। मणिपुर के चार क्षेत्रों में सक्रिय इस आतंकी संगठन में करीब 4000 लड़ाके हैं। मणिपुर को एक अलग देश बनाने की इसकी प्रमुख मांग है।
राजनीतिक फ्रंट भी बनाया
यह संगठन अपनी स्थापना के वक्त से ही भारतीय सेना, अर्धसैनिक बलों और राज्य की पुलिस को निशाना बनाता आया है। 1990 के दशक में इसने राज्य पुलिस के जवानों पर हमला नहीं करने की घोषणा की थी। 1982 में पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के प्रमुख थॉडम कुंजबेहारी की मौत और 1981 में एन. बिशेश्वर सिंह की गिरफ्तारी के बाद यह संगठन थोड़ा कमजोर पड़ गया था। लेकिन 1989 में संगठन ने अपना एक राजनीतिक फ्रंट बनाया, जिसका नाम रिवोल्यूशनरी पीपुल्स फ्रंट (आरपीएफ) रखा।
सभी जनजातियों की लड़ाई लड़ने का दावा
संगठन का दावा है कि यह राज्य की सभी जनजातियों की लड़ाई लड़ रहा है, लेकिन राज्य के नागा, कुकिस और अन्य जनजाति समूह इसके साथ नहीं हैं। इसके लड़ाके मेइतेई और पंगल जाति से हैं। मणिपुर की आबादी में करीब 53 फीसदी लोग मेइतेई समुदाय से हैं। असम, त्रिपुरा, नागालैंड, मेघालय और मिजोरम के अलावा ये पड़ोसी देश बांग्लादेश और म्यामांर में भी बसे हैं। अमूमन इस समुदाय के लोग चीनी-तिब्बती भाषा बोलते हैं।
शहीद कर्नल का स्थानीय लोगों से था विशेष जुड़ाव
असम राइफल्स ने शनिवार को कहा कि शहीद कर्नल विप्लव त्रिपाठी ने इस साल जुलाई में मणिपुर स्थानांतरित होने तक मिजोरम में अपनी सेवाएं दी। समाज के लिए उनकी सद्भावना अनंत काल तक चलेगी। एक अधिकारी ने बताया कि मिजोरम में कर्नल त्रिपाठी के सक्षम और ऊर्जावान नेतृत्व में बटालियन भीतरी इलाकों में अवैध तस्करी को विफल करने और सीमा प्रबंधन में सबसे आगे रही। अलग-अलग कार्रवाई में बटालियन ने कई हथियार भी बरामद किए, जो देश विरोधी ताकतों के हाथों में जा सकते थे। मिजोरम के स्थानीय लोगों के साथ कर्नल विप्लव का जुड़ाव उनके उल्लेखनीय प्रयासों में एक था। जनवरी 2021 में उनकी बटालियन द्वारा नशीली दवाओं के विरोध में चलाए गए अभियान को कई प्रशंसा और पुरस्कार मिले।