महंगाई ने बिगाड़ा खेल, अधिकांश घरों में अब नहीं जल रहा उज्जवला योजना की गैस

उज्जवला योजना के लाभार्थी लकड़ी व कंडे से बना रही भोजन

बलौदाबाजार,
फागुलाल रात्रे, लवन।

डीजल पेट्रोल के साथ-साथ रसोई गैस के दामो में भी लगातार हो रही बढ़ोतरी से गरीब तबका उज्जवला योजना का लाभ नहीं उठा पा रहा है। पिछले छह महिनों में रसोई गैस के दाम में 100 रूपये तक की बढ़ोतरी हुई है। इससे परेशान होकर फिर से उज्जवला के लाभार्थी लकड़ी, कंडे से चुल्हा फुंकने मजबूर हो रहे है। योजना के तहत जिन महिलाओं को सिलेंडर दिए गए उनमें से 60 फीसदी ने गैस चूल्हे उठाकर रख दिए और चूल्हे पर ही खाना बना रहे है। जो लोग पहले तीन महीने में एक बार रिफील करा रहे थे, अब वह मंहगाई के चलते 5-6 माह में सिलेंडर भरवा रहे है।

वर्तमान में योजना के फ्लाप होने से अब लाभार्थियो को चूल्हा जलाना पड़ रहा है और उनके घर से धुंआ निकल रहा है। दो साल पहले गैस सिलेंडर की रिफलिंग 600 रूपए में हो जाता था। कोरोना काल की वजह से मंहगाई बढ़ी और वर्तमान समय में लगभग 60 फीसदी हितग्राही उज्जवला योजना से नाता तोड़ चूके है। अभी वर्तमान में गैस सिलेंडर के दाम 1040 रूपए तक पहुंच गए है। रसोई गैस की जगह गरीब तबके के लोगों को फिर से चूल्हे पर खाना बनाने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। क्योंकि बढ़ती मंहगाई के चलते गैस सिंलेडर रिफलिंग के लिए हजार रूपए खर्च करना मुश्किल हो रहा है।

योजना का मकसद हुआ फ्लाप

1 मई 2016 को प्रधानमंत्री उज्जवला योजना की शुरूआत करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा था कि वे गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन कर रही महिलाओं को चूल्हे के धुंए से होने वाली बीमारियो से बचाने के लिए योजना की शुरूआत । चूल्हे पर खाना बनाने से महिलाओं की आंखो पर तो असर पड़ता ही है साथ ही दमा व अन्य बीमारियां भी हो जाती है, लेकिन सरकार द्वारा रसोई गैस के दामों में निरंतर वृद्वि से सरकार का मकसद पूरा नहीं हो पा रहा है। वर्तमान में 1040 रूपए सिलेंडर की कीमत पहुंच चूकी है। गरीबों के घर में रखा गैसे सिलेंडर केवल अब शोपीस बनकर रह गया है। उनके घर की महिलाएं दोबारा से चूल्हा फूंकने पर मजबूर हो गई है। विशेष तौर पर ग्रामीण इलाकों में यही हाल है।

मुंडा के गृहणी गंगा बाई फेकर ने कहा कि वर्तमान में 1040 रूपए सिलेंडर हो गए है। मंहगे होने की वजह से भरवा पाना मुश्किल है। योजना के तहत फ्री में चूल्हा और गैस सिलेंडर मिले थे। पहले कीमत कम था, अब काफी महंगा हो गया है। इस वजह से कुछ माह से चूल्हा पर ही खाना बना रहे है।

दूसरी गृहणी सरोजनी रजक ने कहा कि मंहगाई अधिक होने की वजह से गैस सिलेंडर नहीं भरवा पा रहे है। पहले सब्सिडी मिलती थी। लेकिन अब सब्सिडी नहीं के बराबर मिलती है इसलिए चूल्हा बंद पड़ा है। लकड़ी व कंडे से खाना बना रहे है लकड़ी गैस सिलेंडर से कम कीमत पर उपलब्ध हो जा रही है। पिछले डेढ़ साल से सिलेंडर नहीं भरवा पा रही हॅू।

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