रायगढ़।32% आरक्षण की मांग को लेकर मंगलवार को सर्व आदिवासी समाज ने प्रदेश व्यापी आर्थिक नाकेबंदी की। नाकेबंदी के दौरान रायगढ़ में नेशनल हाईवे 49 सहित स्टेट हाईवे पर भी गाडियां रोकी गई है। प्रशासन की टीम आंदोलनकारियों को मनाने में जुटा है। जाम शाम 5 बजे तक होना है। कई जगहों पर राहगीरों के साथ हुज्जातबाजी होने की खबरें भी सामने आ रही है।
जाम सुबह 10 बजे से शुरू हुआ। रायगढ़ में छातामुड़ा चौक एनएच 490, उर्दाना तिरहा और इंदिराविहार में आर्थिक नाकेबंदी की गई। सर्व आदिवासी समाज की ओर से लगभग हजारों की संख्या में लोगों की भीड़ इकट्ठा हुई। 32% आरक्षण की मांग को लेकर लगातार नारेबाजी हुई। छत्तीसगढ़ सरकार को जल्द से जल्द आरक्षण पुनः वापस करने के लिए मांग की गई। आंदोलन के दौरान भारी या मालवाहक गाड़ियों को रोकना था। लेकिन उत्साह में समाज के लोगों ने पूर्ण नाकेबंदी ही कर दी। इस कारण आम राहगीरों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा। स्कूल बस, बाइक सवार, चार पहिए में निजी काम से की रहे लोगों को भी रोक दिया गया। कई राहगीरों की शिकायत है की उनके साथ बुरा बरताव भी किया गया। फिलहाल चक्का जाम का कार्यक्रम जारी है। शाम 5 बजे तक जाम समाप्त कर लिया जाएगा।
छातामुड़ा में जवान के साथ विवाद
छातामुड़ा में जाम के दौरान कई लोगों के साथ हुज्जातबाजी किए जाने की खबरें आ रही है। जाम के दौरान आंदोलनकारी अपनी सीमा भूल गए और राहगीरों से ही उलझ पड़े। अपनी ड्यूटी के लिए जा रहे एक पुलिस जवान के साथ भी आंदोलनकारियों की काफी हुज्जातबाजी हुई। जवान का आरोप था की उसका रास्ता रोककर उसे गालियां दी जा रही थी। अंत में मौके पर तैनात जवानों ने उसे जाम से निकलने में मदद की।
बाइक और छोटी गाडियां भी रोकी
आर्थिक नाकेबंदी के रूप में शुरू किए गए आंदोलन में पूरे मार्ग को ही जाम कर दिया गया। भारी वाहनों के साथ छोटी गाड़ियों और बाइक तक को रोक दिया गया। इसके बाद रायगढ़ एसडीएम गगन शर्मा ने मौके पर जाकर लोगों से अपील की वे छोटी गाड़ियों या एंबुलेंस जैसी गाड़ियों को जाने दे। लेकिन लोग मानने को तैयार नहीं थे।
यहां से शुरू हुआ था विवाद
2 महीने पहले ही हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने अपने महत्वपूर्ण फैसले में प्रदेश के इंजीनियरिंग और मेडिकल कॉलेजों में 58% आरक्षण को असंवैधानिक करार दिया था। चीफ जस्टिस अरूप कुमार गोस्वामी और जस्टिस पीपी साहू की बेंच ने याचिकाकर्ताओं की दलीलों को स्वीकार करते हुए कहा था कि किसी भी स्थिति में आरक्षण 50% से ज्यादा नहीं होना चाहिए। हाईकोर्ट में राज्य शासन के साल 2012 में बनाए गए आरक्षण नियम को चुनौती देते हुए अलग-अलग 21 याचिकाएं दायर की गई थी, जिस पर कोर्ट का निर्णय आया था। दरअसल राज्य शासन ने वर्ष 2012 में आरक्षण नियमों में संशोधन करते हुए अनुसूचित जाति वर्ग का आरक्षण प्रतिशत चार प्रतिशत घटाते हुए 16 से 12 प्रतिशत कर दिया था। वहीं, अनुसूचित जनजाति का आरक्षण 20 से बढ़ाते हुए 32 प्रतिशत कर दिया। इसके साथ ही अन्य पिछड़ा वर्ग के आरक्षण को 14 प्रतिशत यथावत रखा गया। अजजा वर्ग के आरक्षण प्रतिशत में 12 फीसदी की बढ़ोतरी और अनुसूचित जाति वर्ग के आरक्षण में चार प्रतिशत की कटौती को लेकर हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई थी।