
रायगढ़ जिले के पंचायत सचिवों ने शासकीय करण की मांग को लेकर खोला मोर्चा,निकाली रैली व कलेक्टर को सौंपा ज्ञापन
रायगढ़:- शासकीय करण की मांग को लेकर पंचायत सचिव संघ द्वारा लगातार आवाज उठाई जा रही है। इसी तारतम्य में रायगढ़ जिले के पंचायत सचिवों द्वारा आज विशाल रैली निकालकर लक्ष्मी नारायण साव के अगुवाई में रायगढ़ कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा गया। आपको बता दें कि ब्लॉक इकाई से लेकर जिला स्तर व राजधानी में भी सचिव संघ द्वारा हड़ताल करते हुए बहरी हो चुकी सरकार के कानों में शासकीय करण की आवाज डालने की कोशिश बरकरार है,परंतु सरकार के कानों में जूं तक नहीं रेंग रही है।
घोषणा वादा तक ही सीमित सरकार
कांग्रेस सरकार द्वारा पंचायत सचिवों का शासकीय करण करने की घोषणा की गई थी। लेकिन आज दिनांक तक सरकार द्वारा की गई घोषणा अमल में नहीं आई। राज्य शासन एवं केंद्र शासन के समस्त योजनाओं को लोकतंत्र के अंतिम व्यक्ति तक पहुंचाने का अति महत्वपूर्ण कार्य को अंजाम देने वाले पंचायत सचिव आज भी शासकीय कर्मचारी नहीं बन पाए हैं। जबकि उनके द्वारा 29 विभागों के 200 प्रकार के कार्य को जमीनी स्तर तक पूर्ण जिम्मेदारी के साथ ईमानदारी पूर्वक निर्वहन किया जाता है। शासन द्वारा शासकीय करण की मांग पूर्ण नहीं होने के कारण पंचायत सचिवों के द्वारा पिछले 26 दिनों से काम बंद कलम बंद कर हड़ताल किया जा रहा है। शासन का ध्यान आकर्षित करने के लिए आज छत्तीसगढ़ प्रदेश सचिव संघ द्वारा बाइक रैली निकालकर मुख्यमंत्री के नाम कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा गया है।
मुख्यमंत्री के नाम कलेक्टर को सौपा ज्ञापन


मुख्यमंत्री के नाम कलेक्टर को दिए गए ज्ञापन में सचिव संघ जिला इकाई रायगढ़ द्वारा बताया गया है कि 29 मार्च 2022 को प्रदेश के मुख्या भूपेश बघेल द्वारा इंदौर स्टेडियम रायपुर में पंचायत सचिव/ शिक्षक सम्मान समारोह कार्यक्रम में पंचायत सचिवों का शासकीय करण करने की घोषणा की गई थी। लेकिन आज तक पंचायत सचिवों का शासकीय करण नहीं हो पाया है। पंचायत सचिवों का कहना है कि शासन द्वारा अगर पंचायत सचिवों का शासकीय करण किया जाता है तो शासन प्रशासन को वार्षिक वित्तीय भार लगभग 75 करोड आएगा जो कि नहीं के बराबर है।
पंचायत सचिवों को कार्य करते हुए 28 वर्ष से अधिक का समय बीत चुका है वही पंचायत सचिवों के साथ नियुक्त हुए अन्य विभाग के कर्मचारी जैसे शिक्षाकर्मी, वन कर्मी, लोक निर्माण विभाग के कर्मी को शासकीय करण किया जा चुका है। लेकिन पंचायत सचिव आज भी शासकीय करण के लिए अछूते हैं।