
रायगढ़ : बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान में श्रेष्ठ प्रदर्शन, बेटियों की गुमशुदगी के बढ़ते ग्राफ़ ने बढ़ाई चिंता…
रायगढ़. बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ अभियान में श्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले रायगढ़ जिले में महिलाओं और बालिकाओं की गुमशुदगी के बढ़ते मामले बेहद चिंताजनक है। जिले में साल दर साल बालिकाओं और महिलाओं के गुमशुदगी के मामले बढ़ते ही जा रहे हैं। बीते वर्षों के आंकड़ों पर गौर करें तो बालक और पुरुषों के मुकाबले बालिकाओं और महिलाओं से जुड़े मामले दोगुना से भी अधिक हैं। हालांकि पुलिस का कहना है कि गुमशुदगी के ज्यादातर मामलों में पतासाजी कर गुमशुदा लोगों को बरामद भी किया जाता है। इसके अलावा पुलिस ऐसे मामलों को रोकने के लिए किसी के बहकावे में ना आने के लिए जागरुकता अभियान भी चलाती है, लेकिन फिलहाल इस पर अंकुश लगता नहीं दिख रहा।
दरअसल रायगढ़ जिले में गुमशुदगी के मामलों का ग्राफ तेजी से बढ़ता जा रहा है। छत्तीसगढ़ राज्य गठन के बाद की बात करें तो अब तक की स्थिति में रायगढ़ जिले में बालिकाओं की गुमशुदगी के 2060 मामले दर्ज हो चुके हैं। जबकि की महिलाओं के गुमशुदगी के 4636 मामले हैं। जिसमे बालिकाओं के 1982 और महिलाओं के 1964 मामले में पुलिस ने बारामद किया है। पुरुषों और बालकों के गुमशुदगी के मामले हालांकि बालिकाओं और महिलाओं के आंकड़ों से कुछ कम है। वर्ष 2001 से 2022 अप्रैल की स्थिति में बालकों के गुमशुदगी के 836 मामले सामने आए हैं। साथ ही पुरुषों के गुमशुदगी के 2596 मामले दर्ज हैं। जिसमें बालकों के 813 और पुरुषों के 1964 गुमशुदगी में बरामद किया जा चुका है। चिंताजनक बात यह है कि बीते तीन सालों में गुमशुदगी के मामले काफी बढ़े हैं। बालिकाओं के गुमशुदगी के मामले वर्ष 2019 में 176,मामले 2020 में 131,मामले 2021 में 136 मामले वही 2022 अप्रैल तक 66 मामले सामने आए। जबकि महिलाओं के 2019 में 560,मामले 2020 में 395,मामले 2021 में 494 मामले वही 2022 में 196 मामले सामने आए हैं। पुलिस का कहना है कि गुमशुदगी के मामलों में महिलाओं और बालिकाओं से जुड़े मामले पुरुषों और बालकों के मामलों से अधिक हैं। कई बार ऐसा होता है कि बालिका किसी के बहकावे में घर से चली जाती है, बाहरी तड़क भड़क देखकर बाहर के राज्य और बड़े शहरों में जाती हैं। महिलाएं ईंट भट्ठे में काम करने जातीय हैं। बरामद होने पर वे सही जवाब नहीं देतीं। इसे रोकने के लिए पुलिस जन चौपाल लगाकर लोगों को जागरूक किया जा रहा है। पुलिस ऐसे मामलों को हतोत्साहित करने निरंतर प्रयासरत है। गुमशुदगी के मामले पेंडिंग हैं , जिनमें बरामद नहीं हो पाया है। आज भी परिवार वाले उनके लौटने की राह तकते हैं।