
लापरवाही:-मंडी प्रबंधक की लापरवाही से हज़ारों बोरी धान भीगे,रतजगा कर रहे 50 किसानों को बिना खरीदी के लौटाया..!
नरायण साहू जशपुर /कोतबा:- विवादों में रहे धान खरीदी केंद्र कोतबा में प्रबंधक की उदासीनता और लापरवाही से 10 हजार से अधिक धान की बोरियां बेमौसम हुई बारिश की भेंट चढ़ गई.इसके साथ ही रात भर ट्रेक्टरों में लाये रतजगा करने वाले किसानों को बिना बेचे धान लौटना पड़ा.
बिडंबना है कि विवादों में घिरी महिला प्रबंधक उर्मिला पैंकरा ने इसकी सुध नही ली.जबकि शासन से कवर ढकने के लिये पर्याप्त रुपये मिलने के बावजूद खरीदी किये गये बिना सिलाई के बोरे को कवर नही किया गया और न ही इकट्ठा किये बोरे के नीचे भुषे के बोरे लगाए गए है.जिससे वे धान के बोर भी पूरी तरह भीग गये हैं।लोगों का कहना है कि प्रबन्धक उर्मिला पैंकरा ने अपने दायित्वों का निर्वहन नहीं किया जिस कारण शासन से रुपये मिलने के बाद भी फड़ की सफाई और बेमौसम हुई बारिश से धान का समुचित व्यवस्था नही बनाया गया.बल्कि शासन से मिले रुपये का दुरुपयोग कर अपनी जेब गरम की हैं।
गुरुवार सुबह बेमौसम हुई बारिश की वजह से धान खरीदी पर बुरा असर पड़ा है। दूसरी ओर धान खरीदी केंद्रों में खरीदी कर खुले में रखी धान की बोरियां पूरी तरह से भीग गई हैं। प्रबंधक की लापरवाही से बड़ा नुकसान होने की बात कही जा रही है। मौसम खराब होने के कारण खरीदी बंद कर दी गई और 50 किसानों को बेरंग लौटना पड़ा।
इससे किसानों की मुश्किलें और बढ़ गई हैं।किसानों में असमंजस की स्थिति बनी हुई है कि उनका धान खरीदी होगा या नही।
जिले की सभी आदिमजाती सेवा सहकारी समिति प्रभारियो को हर तरह की व्यवस्था बनाने के निर्देश दिए गए हैं। इसके अनुरूप धान को बचाने के लिए व्यवस्था की गई है। अधिकारियों के अनुसार संग्रहण केंद्र में धान को सुरक्षित रखने की जिम्मेदारी केंद्र प्रभारियों की है। इसके बाद भी खुले में रखी धान की बोरियां भीग गई है। जो समिति प्रबंधक की घोर लापरवाही है। गुरुवार सुबह हुई अचानक बारिश ने व्यवस्थाओ की पोल खोल कर रख दी है। दो दिनों से खरीदी हो रहे धान को सुरक्षित रखने की जिम्मेदारी फड़प्रभारी व समिति प्रबंधक की होती है। कोतबा धान खरीदी केन्द्र में गुरुवार की सुबह लापरवाही का आलम देखने मिला जहाँ बिना सिले ही धान खरीदी कर हजारो बोरे धान खुले में छोड़ दिए गए थे। अचानक हुई बारिश में सारा धान भींग गया। महिला प्रबंधक उर्मिला पैंकरा ने कैप कवर कर खुले में रखी जा रही बोरियो को सुरक्षित रखने मंडी बोर्ड से भूसा बोरी नीचे लगाने प्लास्टिक तिरपाल आदी व्यवस्था के लिए पर्याप्त फंड मिलने के बावजूद इसकी सुध नही ली। लोगों की माने तो मिले राशी का दुरुपयोग किया जा रहा है।
यहाँ सुबह 9 बजे तक खुले में रखा हजारो बोरी धान भींगता रहा इससे मण्डी प्रबंधक कोई ध्यान नही दिया और न तो कोई उचित व्यवस्था की गई। और तो और मौके का निरीक्षण करना भी जरूरी नहीं समझा गया। सुबह 9:30 बजे के बाद मजदूरों ने आ कर फड़ में रखे धान को प्लास्टिक ढंक कर छोड़ दिया है। तब तक हजारो बोर धान भींग जाने से भारी नुकसान हुवा है। वही बारिश हो जाने के कारण गुरुवार को खरीदी भी नही की गई। सैकड़ो किसान ट्रैक्टरों को लोड कर रात से ही लाइन लगा कर गेट खुलने का इंतजार करते रहे 10 बजे के बाद यहाँ से 50 से अधिक ट्रेक्टरों में लोड किसानों के धान को बैरंग लौटा दिया गया। आगामी दिनों में भी 31 तारीख तक ही धान खरीदी होना है। जानकारी के अनुसार 31 तारीख तक के टोकन भी समिति ने जारी कर दिए है। जिसके बाद भी बीते 2 दिनों से किसान टोकन कटवाने के लिए मण्डी के चक्कर लगा रहे है। लेकिन जगह फूल हो गया है कह कर कम्प्यूटर ऑपरेटर टोकन नही काट रहे है। जिससे किसानों में धान नही बिकने का भय सताने लगा है। खरीदी के शुरुआती दिनों में चुनाव व घोषणा के बाद 21 क्विंटल व 31 रुपए के भुगतान पाने के आश में किसान धान नही बेच रहे थे। जिसके बाद जनवरी माह में एकाएक धान बिक्री करने लगे जिससे ऐसी स्थिति निर्मित हो गयी है। अब कई किसान धान खरीदी की तारीख बढ़ाने की मांग करने लगे है। ताकि वे अपना धान बेच सके।
फंड मिलने के बावजूद बरती गई लापरवाही
धान खरीदी केंद्रों में खरीदी की गई धान की सुरक्षा के लिए शासन की ओर से समितियों को प्रति क्विंटल पांच रुपये की दर से भुगतान किया जाता है। इसमें चौकीदार, बारिश से बचाने के लिए तिरपाल की व्यवस्था, भूसी की खरीदी, समेत अन्य कार्यों शामिल होते हैं। शासन से मिलने वाला राशि लाखों रुपये की होती है।इसके बाद पर्याप्त व्यवस्था नहीं की जा रही है। किसानों ने बताया की धान खरीदी केंद्र कोतबा में हजारों क्विंटल धान बरसते पानी में जमीन के नीचे बिना तालपतरी के रखे हुए हैं। यहां तक की ना ही धान की बोरियां के नीचे भूसी का उपयोग किया गया है। साथ ही कुछ जगह साधारण पन्नी से धान की छल्लियों को ढंकने के लिए उपयोग किया गया है। जो धान को पानी से बचाने के लिए नाकाफी है। खुले में बिना सिलाई के खरीदी किए हजारो बोर धान छोड़ दिया गया था।
इस संबंध में धान खरीदी केंद्र कोतबा के महिला प्रबंधक उर्मिला पैंकरा ने बताया कि धान को पानी से बचाने के लिए पन्नी एंव तालपतरी की व्यवस्था अब कर ली गई है।फंड के संबंध में बात की गई तो उन्होंने गोल मोल जवाब दिया.इसके साथ ही अन्य खरीदी और टोकन की बातों पर मौन साध ली।
