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विश्लेषण.. भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के रायगढ़ आगमन पर रायगढ़ की जनता ने क्या पाया क्या खोया

रायगढ़ : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दौरे को लेकर भाजपाई तो भाजपाई रायगढ़ के आम जनता भी काफी उत्साहित थी काम धाम छोड़कर उनकी एक झलक पाने और रायगढ़ के लिए क्या दे रहे हैं और उनके समस्या का समाधान कैसे करते हैं पडाल में अव्यवस्था के बावजूद भी जहां पानी तक पूछने के लिए कोई नहीं था छोटे-छोटे बच्चे दूर दराज के गांव से भूखे प्यासे बड़ी संख्या में उपस्थित रहे लेकिन उनकी समस्या जज की तस बनी रही क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उसके विषय में कोई बात ही नहीं की तो पडाल में अवस्था के बावजूद देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के रायगढ़ के विषय में और उनकी समस्याओं के निजात के लिए कोई ठोस बात नहीं करने पर मायूस होकर वापस लौटे।
क्या है सबसे प्रमुख समस्या:

जो रायगढ़ की सबसे बड़ी समस्या नेशनल हाईवे,प्रदूषण की समस्या, विस्थापन की समस्या, स्थानीय उद्योगों में कोयला,कोयला खदानों में स्थानीय रोजगार के मुद्दे में, कोयला प्रभावित क्षेत्रों में बुनियादी सुविधाओं की कमी, कोयला क्षेत्र में उद्योगों द्वारा जबरदस्ती जमीन पर कब्जा कर लेना, देखा यह गया उन मुद्दों में प्रधानमंत्री के द्वारा आम जनता के लिए किसी भी प्रकार की सौगात ना देते हुए केवल रेलवे लाइन के उद्घाटन की बात कही रायगढ़ के वन संपदा का दोहन हो रहा है आदिवासी बहुमूल्य क्षेत्र में प्राथमिक संसाधनों के अधिकतर दोहन को किया जा रहा है जिससे निजी एवं सरकारी कंपनियों को इसका लाभ मिल सके। जिला खनिक न्याय के तहत जो राशि कोयला प्रभावित क्षेत्र के स्थानीय लोगों की बुनियादी समस्याओं की तहत के लिए खर्च की जानी चाहिए इस मुद्दे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चुपी रही रायगढ़ की प्राकृतिक संसाधन के दोहन के दौरान स्थानीय खासतौर से रायगढ़ धरमजयगढ़ तमनार के कोयला प्रभावित क्षेत्र के लोग प्रभावित हैं साथ ही वहां के पानी पीने से कई गांव रोगों से प्रभावित है इन प्रकार के मुद्दों में कोई भी प्रकार का बात नहीं हुआ इसलिए हम कह सकते हैं कि प्रधानमंत्री के आगमन से रायगढ़ के निजी उद्योग और शासकीय उद्योगों के अलावा जनता ने क्या पाया अब आम जनता को ही समझाना पड़ेगा की आने वाले समय में एक विधानसभा का दूसरा लोकसभा चुनाव होने हैं।

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