विश्वकर्मा जयंती पे खदान क्षेत्र में सैलानियों के जाने पऱ प्रतिबंध का विरोध

*अपने निर्णय पर पुनर्विचार करें एनएमडीसी प्रबंधन,- बबलू सिद्दीकी*

किरँडुल / हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी विश्वकर्मा जयंती का कार्यक्रम एनमडीसी के खदान क्षेत्रो में उत्साह पूर्वक मनाया जाना है, और वर्ष के इस एक दिन एनमडीसी की सभी खदाने पूर्ण रुप से बंद रहती है, इसी एक दिन आसपास रहने वालों के साथ छत्तीसगढ़ के विभिन्न क्षेत्रों से भी सैलानी बैलाडीला पहुंचते है, साथ साथ सीमांत राज्यों जैसे ओड़िसा आंध्रा एवं तेलंगाना से भी लोग बैलाडीला की खूबसूरत पहाड़ियों में स्थित एनएमडीसी द्वारा संचालित लोहे की खदानों के साथ साथ बैल की डील के आकर के पहाड़ो एवं सरपीले रास्तो को निहारने आते है, पिछले 2 वर्षों से सुरक्षा का हवाला देकर या अति वर्षा एवं भुसखलन की बात करके सैलानियों की आवाजही पे पाबंदी लगाई जा रही है, जिससे लोगों में रोश व्याप्त है,
बबलू सिद्दीकी ने बताया कि साल में एक ही दिन मिलता है जब लोग बैलाडीला के पहाड़ियों को निहारने दूर-दूर से आते हैं इससे शहर का माहौल भी बदलता है शहर की आर्थिक व्यवस्था भी कई गुना ज्यादा हो जाती है छोटे व्यापारी होटल चलाने वाले लॉज चलाने वाले टैक्सी वाले आदि सभी को रोजगार के नए अवसर मिलते हैं सैलानियों पर प्रतिबंध लगाने से शहर को बड़ा आर्थिक नुकसान हो सकता है, ज्ञात होकी छत्तीसगढ़ के विभिन्न जिलों से एवं उड़ीसा आंध्र एवं तेलंगाना के सीमावर्ती क्षेत्र से आने वाले सैलानी यहां से जाकर मुफ्त में एनएमडीसी की खदानों का एवं बैलाडीला की पहाड़ियों का साथ ही साथ दंतेवाड़ा जिले का प्रचार करते हैं।
एक तरफ जिला प्रशासन दंतेवाड़ा जिला को एक पर्यटक जिला के रूप में विकसित करने का हर संभव प्रयास कर रहा है इसके लिए करोड़ों रुपए भी खर्च किए जा रहे हैं दूसरी ओर एनएमडीसी का यह प्रतिबंधात्मक रवैया समझ से परे है।
एक तरफ छत्तीसगढ़ शासन एवं केंद्र सरकार जिला को नक्सली मुक्त घोषित कर पर्यटकों को जिले में आमंत्रित कर रही है वहीं एनएमडीसी प्रबंधन सैलानियों के ऊपर प्रतिबंध लगा रहा है।
नगर पालिका परिषद केरंदुल के उपाध्यक्ष श्री बबलू सिद्दीकी ने एनएमडीसी प्रबंधन से पत्र के माध्यम से निवेदन किया है की 17 सितंबर विश्वकर्मा जयंती के दिन बाहर से आए हुए सैलनियों पर लगाए गए प्रतिबंध के निर्णय पर पुनर्विचार किया जाए और सैलानियों को बैलाडीला की खदानें एवं खूबसूरत पहाड़ियों को निहारने की अनुमति दी जाए।

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