
विश्वसनीयता और कांग्रेस ज़ब अपने ही सवाल उठा रहा हो तब
मनेद्रगढ़ से रईस अहमद की लेख
विश्वशनियता का कांग्रेस पार्टी से बहुत ही गहरा रिश्ता है। कांग्रेस पार्टी देश की सबसे पुरानी पार्टी है, 2014 से पहले कांग्रेस पार्टी पर आम जनता और पार्टी कार्यकर्ताओं का अटूट विश्वास हुआ करता था। लेकिन 2014 के बाद ऐसा क्या हुआ कि धीरे-धीरे कांग्रेस पार्टी की विश्वसनीयता पर ही गंभीर सवाल खड़े होने लगे।और जनता तो जनता पार्टी कार्यकर्ता व पदाधिकारी भी धीरे-धीरे कॉन्ग्रेस पार्टी से मुंह मोड़ दूसरे पार्टियों की तरफ रुख करना उचित समझ रहें हैं , आइए इसी मुद्दे पर छत्तीसगढ़ में हुए भारतीय यूथ कांग्रेस चुनाव में परिणाम को लेकर क्या कुछ चल रहा है जानने की कोशिश करते हैं।
वेंकटेश सिंह के समर्थको ने भारतीय यूथ कांग्रेस चुनाव प्रबंधन पर खड़े किए सवाल।
MCB जिला में हुए यूथ कांग्रेस के जिला अध्यक्ष पद के लिए 4 प्रत्याशी मैदान में उतरते हैं । मनेंद्रगढ़ से वेंकटेश सिंह,हफीज मेमन चिरमिरी से नूर आलम और राहुल भाई पटेल जो यूथ जिलाध्यक्ष कांग्रेस के रेस में थे।जब चुनाव में मनेन्द्रगढ़ से उतरे प्रत्याशियों के कार्यकर्ताओं से पूछा गया कि आप के प्रत्याशी को लगभग कितने वोट मिले हैं तो पता चला कि वेंकटेश सिंह को लगभग 17000 और हफीज मेमन को 12500 के करीब वोट मिले हैं। लेकिन जैसे ही निर्णय की घोषणा हुई तो आश्चर्यचकित परिणाम आऐ। हफीज मेमन 31 वोट से चुनाव जीते तो जिससे व्यंकटेश सिंह के समर्थक काफी नाराज हो गए और चुनाव प्रबन्धन पर ही सवाल खड़े करने लगे क्योंकि वोटों पर अंतर साफ देखे जा सकते हैं।
बड़ी संख्या मे वोटों का अमान्य घोषित होना कांग्रेस पार्टी या प्रत्याशियों की विश्वसनीयता पर सवाल खड़ा करता है।
इन्हीं सब कड़ी को हमने थोड़ा समझने की कोशिश की तो यह पाया कि जिस प्रत्याशी को लगभग 17000 वोट मिले हो उसके 7145 वोट को ही मान्य किया गया और लगभग 10,000 से ज्यादा वोट को अमान्य घोषित कर दिया गया। वही लगभग 12500 वोट मिलने वाले प्रत्याशी के 7176 वोट को मान्य किया गया, और लगभग 5000 वोट को अमान्य करार कर दिया गया।हमने पाया कि चुनाव आयोग जब लोकसभा,विधानसभा और नगर पालिका चुनाव कराती है तो उसमें भी किसी प्रत्याशी के इतनी बड़ी संख्या मे वोट अमान्य नहीं होते। बड़ा सवाल यह उठता है कि इतनी बड़ी संख्या में जो वोट अमान्य हुए वह किस वजह से हुए इसकी जानकारी किसी को भी नहीं है ? क्या प्रत्याशियों ने फाल्स वोटिंग करवाई या वजह कुछ और है ? अगर प्रत्याशियों ने फाल्स वोटिंग करवाई है तो प्रत्याशियों के विश्वसनीयता पर गंभीर सवाल खड़ा होता है। अगर वोटिंग के आंकड़ों,परिणाम के आंकड़ों और समर्थकों के विरोध को देखा जाए तो कांग्रेस पार्टी की विश्वसनीयता पर गंभीर सवाल खड़ा होता है। जो पार्टी अपने ही संगठन का चुनाव निष्पक्ष रुप से नहीं करा सकती हो वह विधानसभा और लोकसभा में किस तरह चुनाव जीतेगी। उससे भी बड़ा सवाल यह कि कांग्रेस पार्टी अपने ही कार्यकर्ताओं में किस तरह से विश्वसनीयता बरकरार रखेगी। अगर पार्टी मे कार्यकर्ताओ का विश्वास नही रहेगा तो कार्यकर्त्ता पार्टी के लिए आम जनता के बीच किस विश्वास से वोट मांगने जायेंगे और जनता में पार्टी की विश्वसनीयता किस तरह बढ़ाएंगे।
