शत प्रतिशत मानसिक रोगियों की पहचान और उपचार का लक्ष्य….. जशपुर में आत्महत्या का दर को कम करने का प्रयास
जशपुर, दिसम्बर 19: जिले में आत्महत्या दर को काम करने के लिए `लक्ष्य’ कार्यक्रम शुरू किया गया है जिसके अंतर्गत मानसिक रोगियों की निशुल्क जांच और उपचार किया जाएगा|
मानसिक रोग आत्महत्या की एक बड़ी वजह होती है| तनावग्रस्त व्यक्ति अक्सर तनाव से निपटने के लिए कई बार आत्महत्या की राह चुन लेता है या फिर मानसिक रोग का उपचार न होने के कारण रोगी अपनी जान लेता है| मानसिक रोगों से जुड़ी गलत धारणाओं की वजह से परिवार ऐसे रोगों को छिपाते है|
जिला कलेक्टर महादेव कवरे की अध्यक्षता में जशपुर जिले में शत प्रति मानसिक रोगियों की जांच और उपचार के लक्ष्य के साथ यह कार्यक्रम चलाया जा रहा है| आत्महत्या दर को 2022 तक 15 प्रति लाख और जिले में 42 स्पर्श क्लिनिक शुरू करवाना इस कार्यक्रम का लक्ष्य है।बीते 6 महीने में जशपुर जिले में 105 लोगों ने आत्महत्या की है और 219 लोगों ने आत्महत्या का प्रयास किया है। जिला मानसिक चिकित्सा के नोडल अधिकारी डॉ. कांशीराम खुसरो बताते हैं: “आत्महत्या के मामले में जिले की दर 24.85 व्यक्ति प्रति लाख है जो राष्ट्रीय आत्महत्या के दर से बहुत ज्यादा है।‘’
नैशनल क्राइम रेकॉर्ड्स ब्युरो की 2019 की रिपोर्ट के अनुसार भारत में आत्महत्या दर 10.4 प्रति लाख है|
डॉ. खुसरो कहते हैं आत्महत्या की दर को 2022 तक 15 व्यक्ति प्रति लाख तक करने का हमारा लक्ष्य है। इसके लिए सरकार द्वारा मानसिक रोगियों को मिलने वाली सुविधाएं देना, मानसिक विकलांक का सर्टिफिकेट देना प्राथमिकता है।निमहान्स बेंगलुरु के डॉ गोपी और उनके स्टाफ की मदद से छत्तीसगढ़ कम्युनिटी मेन्टल केअर प्रोग्राम “CHaMP” चलाया जा रहा है जिसमें 72 डॉक्टर्स और 46 आरएमए प्रशिक्षित होकर सभी मानसिक रोगियों की पहचान, जांच, उपचार और रेफर का काम करेंगे।
गेटकीपर की ट्रेनिंग शुरू कर चुके हैं गेटकीपर यानी समाज के वह लोग जो अपने आसपास ऐसे लोगों की पहचान कर सकें कि उनमें आत्मघाती कदम के लक्षण दिखे तो मानसिक स्वास्थ्य केंद्र को सूचना दें और उस व्यक्ति को मानसिक स्वास्थ्य का लाभ लेने के लिए प्रेरित करे। इन गेटकीपर्स को बकायदा स्वास्थ्य विभाग द्वारा ट्रेनिंग दी जा रही है। इसके साथ ही 17-18 दिसंबर से नैशनल इंस्टिट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ एण्ड अलीड स्कीनकेस (निम्हास- बेंगलुरू) द्वारा डॉक्टर और आऱएमए के लिए मानसिक रोगियों की पहचान करने के लिए ट्रैनिंग आयोजित की गई|
42 स्पर्श क्लिनिक खोलने का भी है लक्ष्य विभाग के कार्यकर्ता फील्ड में जाकर लोगों को मानसिक तनाव के बारे में बताते हैं| विभाग स्पर्श क्लीनिक और डि-एडीक्शन सेंटर भी चलाते हैं। पूरे जिले में 8 सीएससी 34 पीएससी हैं और सभी जगह यानी 42 जगहों पर स्पर्श क्लीनिक खोलने की योजना है। कोरोना काल में डिप्रेशन, एनजायटी टेंशन के मामले बढ़ें हैं। ड्रग इन्ड्यूसड डिप्रेशन के मामले सबसे ज्यादा आ रहे हैं, डाक्टर खुसरो ने बताया।
कोविड में ज्यादा डरे हैं लोग कोविड के दौरान ने 275 लोगों को होम आइसोलेशन के मरीजों को टेलीफोन द्वारा काउंसिलिंग की गई है। 5-6 केस रोज आ रहे हैं। कोविड पॉजिटिव होने के बाद कई लोग डरे हुए हैं और उन्हें यह लगता था कि उन्हें यह जानलेवा बीमारी हो गई है तो उनका पूरा परिवार खत्म हो जाएगा। ऐसे लोगों को अवसाद से बचाने के लिए काउंसिलिंग कारगर साबित होती है|