*जल संसाधन कालोनी में बना भव्य एवम अद्भूत शिव मंदिरजल संसाधन कालोनी में बना भव्य एवम अद्भूत शिव मंदिर…*

रायगढ़ । जल संसाधन विभाग, रायगढ़ की कॉलोनी में अद्भूत शिव मंदिर का भव्य निर्माण किया गया है। दिखने में अति सुंदर भव्य शिव मंदिर कॉलोनी वासियों के लिये आस्था का केन्द्र बना हुआ है। लगभग 50 वर्ष पुरानी इस कॉलोनी में कोई भी मंदिर नही था।

कार्यपालन अभियंता सक्सेना जी ने बताया कि लगभग 10 वर्ष पहले जबलपुर प्रवास के दौरान उन्हें एक शिव लिंग पसंद आया, जब उन्होंने हाथ में लिया वह काफी वजनी लगा, ऐसा आभास हुआ कि जैसा कोई कह रहा हो मुझे ले चलो। उन्होंने वह कप कर लिया। रायगढ़ में आने पर उन्होंने एक छोटे से चबूतरे पर रख दिया, जिससे उनकी सभी पूजा कर सके। कई लोगो की मनोकामनाएं पूर्ण होने लगी, जिससे उस छोटे से शिवलिंग की नियमित पूजा होने लगी। एक दिन जब वे पूजा कर रहे थे, जैसे ही आंख बंद की, उन्हें आभास हुआ शिवलिंग से आवाज आ रही थी, मुझे घर दे दो। उन्होंने हाथ जोड़ लिया और बोला कि आपकी इच्छा भर होगी तो भी मंदिर का निर्माण हो जायेगा। अगले दिन जब वे कॉलोनी वासियो से चर्चा कर रहे थे, तभी प्रदीप मिश्रा, ठेकेदार अचानक शिवलिंग के पास आ गये, जब उन्होंने मंदिर निर्माण की बात सुनी तो वे बोले मंदिर बन जायेगा । सक्सेना जी ने कहा पैसा हम सभी मिलकर लगायेंगे और मंदिर का निर्माण होना चाहिये। भगवत प्रेरणा से उन्होंने अपने दो कर्मचारी भेज दिये। उन्हें पूर्ण आस्था थी। ये दोनों सक्सेना जी के मार्गदर्शन से मंदिर निर्माण में पूर्ण निष्ठा से जुट गये भगवत कृपा से मंदिर का निर्माण होने लगा। मंदिर निर्माण में अनुविभागीय अधिकारी तिवारी जी, करन साहू उप-अभियंता एवं सभी कॉलोनीवासियों का पूर्ण सहयोग मिला। दिन प्रतिदिन आस्था बढ़ने लगी। मौसम विभाग की रायगढ़ में बारिश की सूचना के उपरांत भी जिस दिन काकीटिंग की जानी थी। घनघोर बादल होने के उपरांत भी पानी नहीं बरसा, निर्माण में आने वाली बाधाएं स्वत दूर होती चली गई। मंदिर निर्माण पूर्ण होने पर प्रदीप मिश्रा जी के दोनों कर्मचारियों ने श्रद्धा पूर्वक मंदिर के लिये घण्टा एवं त्रिशूल दान किया।

जल संसाधन विभाग के कर्मचारी धरमवीर मैत्री, ने मंदिर के लिये कलश दान किया। श्याम लाल शर्मा, डाईवर ने देवी की मूर्ति दान किया। मंदिर प्रागंण में ही जल संसाधन विभाग के एक कर्मचारी की पुत्री का विवाह सम्पन्न हुआ। भगवत प्रेरणा से शिवरात्रि के अवसर पर महाशिवरात्रि महोत्सव का आयोजन सम्पन्न हुआ। मंदिर में सफेद टाईल्स का उपयोग किया गया, इससे मंदिर अति सुंदर लगता है। मंदिर अद्भूत इसलिये है मंदिर निर्माण से संबंधित सभी कार्य “सर्वार्थ सिद्ध योग” में ही सम्पन्न हुये। जबकि कोई पंचाग नही देखा गया था, जिसदिन शिवलिंग स्थापित किया गया। उसी दिन एक सर्प मंदिर के समीप देखा गया, जो पास की झाड़ियों में विलुप्त हो गया। जिस दिन कलश स्थापित किया गया, उसी दिन मंदिर के समीप दो कबूतर देखे गये। ऐसा लग रहा था, जैसे अमरनाथ धाम की स्थापना हो रही है। जिस दिन देवी की मूर्ति स्थापित की गई. उसी दिन से गुप्त नवरात्रि का प्रारंभ था. जबकि कोई पंचाग नही देखा गया था और न ही किसी के संज्ञान में था। ऐसा प्रतीत हुआ मानो देवी का शिव के सानिध्य के लिये आगमन हुआ है, जिसने भी श्रद्धा से पूजा की उसकी मनोकामना पूर्ण हुई है।

मंदिर निर्माण के समय सक्सेना जी ने बताया कि उनका विचार था कि इस मंदिर में शिव के बारहों ज्योति लिंग का समावेश हो जिससे जो भी मंदिर के दर्शन करें, उसे बारहो ज्योर्तिलिंगों के दर्शनों का लाभ मिले। इसके लिये आध्यात्म का समावेश किया गया। सूक्ष्म दृष्टि से शिवलिंग को देखने पर बारहों ज्योर्तिलिंग के दर्शन होते है। मंदिर की देख-रेख, साफ-सफाई सभी कॉलोनीवासी स्वतः ही करते हैं।अद्भूत शिव मंदिर का दर्शन एक बार जरूर करना चाहिये।

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