आंकड़ेबाजी से कम नजर आ रहे डेंगू मरीज, एलाइजा जांच में पॉजिटिव आने वालों को ही माना जा रहा पीड़ित

लखनऊ में डेंगू के मरीजों की संख्या पर आंकड़ेबाजी की जा रही है। स्वास्थ्य विभाग कार्ड टेस्ट में पॉजिटिव आने वालों को भी डेंगू का इलाज उपलब्ध करवा रहा है पर एलाइजा जांच में पॉजिटिव आने वालों के आधार पर ही हॉट स्पॉट बनाए जा रहे हैं।

राजधानी लखनऊ में डेंगू तेजी से पैर पसार रहा है, लेकिन स्वास्थ्य विभाग आंकड़ेबाजी में ही लगा है। अस्पतालों में कार्ड टेस्ट में पॉजिटिव आने वाले को डेंगू का मरीज मानकर इलाज किया जाता है, लेकिन विभाग एलाइजा जांच में पॉजिटिव आने वाले को ही अपनी सूची में शामिल कर रहा है। इतना ही नहीं इसी के आधार पर हॉट स्पॉट भी बनाए जा रहे हैं। ऐसे में डेंगू मरीज और हॉट स्पॉट दोनों कम नजर आ रहे हैं। डेंगू की शुरुआती जांच कार्ड टेस्ट से होती है।
सरकारी अस्पतालों में भी इसकी रिपोर्ट पर इलाज शुरू हो जाता है। कार्ड टेस्ट में पॉजिटिव मिलने के बाद सैंपल राज्य लैब भेजा जाता है। कुछ निजी पैथोलॉजी भी इसकी एलाइजा जांच करती हैं। इसमें पॉजिटिव आने के बाद ही मरीजों को डेंगू पीड़ितों की सूची में शामिल किया जाता है। इस वजह से राजधानी में यह आंकड़ा काफी कम दिख रहा है।

उधर, एलाइजा जांच में पॉजिटिव आने वालों के आधार पर ही विभाग हॉट स्पॉट बनाकर एंटी लार्वा का छिड़काव, फॉगिंग तथा सफाई अभियान चलाता है। लखनऊ में इस साल अब तक डेंगू के एक हजार के करीब पॉजिटिव केस मिल चुके हैं। हालांकि, एलाइजा टेस्ट में पॉजिटिव आने वालों को ही सूची में शामिल किए जाने से पिछले साल की तुलना में यह आंकड़ा अभी आधे के करीब ही पहुंचा है। पिछले साल इस समय तक डेंगू के 1800 केस मिले थे।

हर मरीज को हॉट स्पॉट मानकर कर रहे उपाय
सीएमओ डॉ. मनोज अग्रवाल का कहना है कि कार्ड टेस्ट शुरुआती जांच है, जिसमें डेंगू होने की पूरी तरह से पुष्टि नहीं हो पाती है। डेंगू की सही पहचान के लिए कार्ड टेस्ट में पॉजिटिव मिलने पर मरीज का सैंपल एलाइजा टेस्ट के लिए राज्य प्रयोगशाला भेजा जाता है। वहां पॉजिटिव आने पर मरीज को डेंगू पीड़ित माना जाता है। हर मरीज को ही हॉट स्पॉट मानकर उसके आसपास मच्छरों की रोकथाम के उपाय किए जाते हैं। अस्पताल में आने वाले सभी मरीजों का इलाज हो रहा है।

तापमान 20 डिग्री से नीचे आने पर मिलेगी राहत
केजीएमयू के इंचार्ज संक्रामक रोग डॉ. डी हिमांशु का कहना है कि इस साल आखिरी और ज्यादा बारिश अक्तूबर में हुई। बारिश में देरी से डेंगू फैलाने वाले लार्वा पनप रहे हैं। दिन और रात का तापमान 20 डिग्री से नीचे आने पर डेंगू के मामले अपने आप कम हो जाएंगे। तब तक हमें मच्छर पनपने से रोकने का प्रयास करना चाहिए। एंटी लार्वा का छिड़काव इसमें अहम भूमिका अदा कर सकता है।

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