
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में मनाया गया केक काटकर ‘नेशनल डॉक्टर्स डे’

जशपुर जिला अंतर्गत सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बगीचा में आज 1 जुलाई को धूमधाम से केक काटकर नेशनल डॉक्टर्स डे मनाया गया, एवं सभी डॉक्टर्स को स्टेथोस्कोप और गिफ्ट देकर सम्मानित किया गया। इस अवसर पर डॉ. सी.डी. बाखला, डॉ. श्रीमती व्ही बाखला, डॉ. सुनील लकड़ा, डॉ. सीमा, डॉ. संध्या कुजूर, डॉ. अंकिता नेहा मिंज, डॉ. आनंन्द दास, डॉ. एम ई एस तिग्गा, बीपीएम सूर्य रत्न गुप्ता एवं स्वास्थ्य विभाग के अन्य स्वास्थ्य कर्मी उपस्थित रहे।
एक मरीज के लिए उसका डॉक्टर किसी फरिश्ता से कम नहीं होता है. कोरोना काल में हमने सीखा कि हमारे समाज में डॉक्टर किसी वॉरियर से कम नहीं है. यह सिर्फ एक प्रोफेशन नहीं बल्कि एक इंसान कि लाइफ लाइन है। देश के सभी डॉक्टर्स के योगदान को ध्यान में रखते हुए हर साल 1 जुलाई के दिन ‘नेशनल डॉक्टर्स डे’ मनाया जाता है। भारत में 1 जुलाई को डॉ. बिधान चंद्र रॉय की याद में हर साल ‘नेशनल डॉक्टर्स डे’ के रूप में मनाया जाता है. आज हम अपने आर्टिकल के जरिए इस डॉक्टर्स डे को खास बनाने के लिए इसका महत्व और इतिहास आपके सामने लेकर आए हैं।
डॉक्टर्स डे का महत्व क्या है?
देश में डॉक्टर्स डे को पहली बार साल 1991 में मनाया गया था. तभी से हर साल 1 जुलाई को यह मनाया जाता है. यह बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. बीसी रॉय के सम्मान में मनाने का फैसला लिया गया. बीसी रॉय एक स्वतंत्रता सेनानी थे. बीसी रॉय को 4 फरवरी 1961 को भारत रत्न से नवाजा गया था. डॉक्टर्स डे क्योंकि बीसी रॉय के सम्मान में मनाया जाता है इसलिए यह खास दिन बीसी रॉय के जन्म तीथी के दिन मनाया जाता है. बीसी रॉय का जन्म 1 जुलाई 1882 को हुआ था. उनका निधन 1 जुलाई 1962 को हुआ था. ऐस में 1 जुलाई डॉक्टर्स डे के रूप में मनाया जाने लगा.
इस दिन को मनाने का महत्व
इस खास दिन को मनाने के पीछे एक ही कारण है कि देश के सभी डॉक्टर्स जो दिन-रात अपने मरीज की जान बचाने के लिए जुटे रहते हैं उन्हें सम्मानित करना. कोरोना काल में डॉक्टर्स ने जो अपनी भूमिका निभाई है वह किसी से छिपी नहीं है. इस खास दिन को मनाने के पीछे यही कारण यही है कि उन्हें सम्मानित करना. उन्हें दूसरे के सेवा के लिए प्रेरित करना. डॉक्टर्स के प्रति अपना सम्मान दिखाने के लिए इससे खास दिन और कोई हो नहीं सकता है.