साहब के ताबड़तोड़ दौरे… फिर भी बच्चों की थाली में कीड़े! इधर अधिकारियों के निरीक्षण, उधर मासूमों के खाने में गंदगी!

रायगढ़ /घरघोड़ा,, आपकी आवाज : घरघोड़ा क्षेत्र से एक सनसनीखेज़ मामला सामने आया है जिसने शासन-प्रशासन की मिड-डे मील योजना की पोल खोल दी है। लगातार शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने के नाम पर अफसरों के ताबड़तोड़ दौरे हो रहे हैं, लेकिन इसके बावजूद बच्चों की थालियों में कीड़े निकलना एक बड़ा सवाल खड़ा कर रहा है।

हमारे हाथ लगे एक नोटिस के अनुसार, विकासखंड शिक्षा अधिकारी घरघोड़ा  संतोष सिंह ने माध्यमिक शाला फगुरम के प्रधान पाठक को शोकॉज नोटिस जारी किया है। निरीक्षण के दौरान बच्चों की मध्यान्ह भोजन की थालियों में कीड़े पाए गए। इस पर प्रधान पाठक को 3 दिन के भीतर जवाब देने को कहा गया है।

लेकिन असल मसला केवल एक नोटिस तक सीमित नहीं है। यह उस व्यवस्था की सच्चाई है, जहां शासन के दिशा-निर्देश केवल कागजों में दम तोड़ते नज़र आते हैं।

गरीब बच्चों के साथ अन्याय

घरघोड़ा एक अनुसूचित क्षेत्र है, जहाँ बड़ी संख्या में आदिवासी व गरीब परिवारों के बच्चे सरकारी स्कूलों में शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। आँकड़े बताते हैं कि यहाँ तकरीबन 90% बच्चे गरीब परिवारों से आते हैं, और उनके लिए मध्यान्ह भोजन केवल पेट भरने का साधन ही नहीं, बल्कि स्कूल आने का एक प्रमुख आकर्षण भी होता है।

इन बच्चों की थाली में कीड़े निकलना केवल भोजन की गुणवत्ता का मुद्दा नहीं है, बल्कि यह उस भरोसे के साथ धोखा है जिसके सहारे लाखों अभिभावक अपने बच्चों को सरकारी स्कूल भेजते हैं। यह उन गरीब परिवारों की उम्मीदों के साथ किया गया मज़ाक है, जिनके बच्चे एक-एक दाने को तरसते हैं।

मरती इंसानियत, कीड़ों से सना सिस्टम

यह सिर्फ़ लापरवाही नहीं है, बल्कि इंसानियत पर कलंक है। इंसान तो जानवरों को भी कीड़े वाला खाना नहीं खिलाता, लेकिन यहाँ गरीब बच्चों की थालियों में कीड़े परोसे जा रहे हैं। यह स्थिति सोचने पर मजबूर करती है कि जिन मासूम बच्चों को “देवतुल्य” कहकर सम्मानित किया जाता है, उन्हीं को सबसे गंदा और घटिया भोजन दिया जा रहा है।
घरघोड़ा क्षेत्र में लगातार नव-नियुक्त एसडीएम और बीईओ का स्कूल-स्कूल दौरा जारी है। तस्वीरें खिंचवाई जाती हैं, बैठकें होती हैं, भाषण दिए जाते हैं कि शिक्षा की गुणवत्ता सुधर रही है। लेकिन असल हकीकत यह है कि इन दौरों और निर्देशों का असर सिर्फ़ फाइलों तक सीमित रह गया है। ज़मीनी हालात यह बता रहे हैं कि योजनाएँ केवल दिखावे की हैं और ज़िम्मेदारी पूरी तरह से ताक़ पर रख दी गई है।

क्या कहते हैं शिक्षा अधिकारी श्री सिंह –
इस विषय मे जानकारी लेने जब हमने विकासखण्ड शिक्षा अधिकारी  संतोष सिंह से कॉल पर बच्चों के खाने में कीड़े निकलने पर उनके द्वारा जारी नोटिस के बारे में पूछा तो उन्होंने कहा

मेरे ध्यान में नही है..अभी थोड़ा व्यस्त हूँ बाद में बात करेंगे..आप ऑफिस आइए

यह घटना सिर्फ़ एक स्कूल या एक प्रधान पाठक तक सीमित नहीं है, बल्कि पूरे सिस्टम का आईना है। बड़ा सवाल यह है कि क्या शिक्षा विभाग और ज़िम्मेदार अफसर बच्चों के हक़ और उनकी सेहत से जुड़े इस अपराध को सिर्फ़ नोटिस थमाकर खत्म कर देंगे? या फिर सच में दोषियों के ख़िलाफ़ ऐसी ठोस कार्रवाई होगी जो आने वाले समय में दूसरों के लिए मिसाल बने?

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button