स्वाभिमानी बनें अभिमानी नहीं=रामरूप दास महात्यागी
*स्वाभिमानी बनें अभिमानी नहीं=रामरूप दास
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*स्वाभिमान का अर्थ अपनी बात पर अड़े रहना नहीं अपितु सत्य का साथ ना छोड़ना है। दूसरों को नीचा दिखाते हुए अपनी बात को सही सिद्ध करने का प्रयास करना यह स्वाभिमानी का लक्षण नहीं अपितु दूसरों की बात को यथायोग्य सम्मान देते हुए किसी भी दबाव में ना आकर सत्य पर अडिग रहना यह स्वाभिमान है।*
*अभिमानी वह है जो अपने अहंकार के पोषण के लिए दूसरों को कष्ट देना पसंद करता है। स्वाभिमानी वह है जो सत्य के रक्षण के लिए स्वयं कष्टों का वरण कर लेता है। अभिमान झुकना पसंद नहीं करता मगर स्वाभिमान गलत के आगे झुकने नहीं देता।*
*मैं जो कह रहा हूँ वही सत्य है, यह अभिमानी का लक्षण है और जो सत्य होगा मैं उसे स्वीकार कर लूँगा यह स्वाभिमानी का लक्षण है। अपने आत्म गौरव की प्रतिष्ठा जरुर बनी रहनी चाहिए मगर किसी को अकारण, अनावश्यक झुकाकर, गिराकर अथवा रुलाकर नहीं।*