

सबसे पहले ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नानादि करें. उसके बाद स्तन माता की मूर्ति या प्रतिमा के सामने बैठकर पीले रंग के कपड़े पहन कर बैठें. उसके बाद माता के आगे पीले रंग के फूल और माला अर्पित करें और माता को पीली चीज का भोग लगाएं. माता की मूर्ति के सामने ज्योत जलाकर व्रत कथा पढ़ें और मंत्रों का जाप कर आरती करें.
तारकासुर नाम का एक असुर था, उसने ब्रह्मा से कठोर व्रत करके वर प्राप्त किया कि उसका अंत केवल महादेव से उत्पन्न पुत्र के माध्यम से ही हो. तारकासुर को लगा महादेव का विवाह नहीं होगा और उनका पुत्र भी नहीं होगा इसलिए वह अमर है. जब तारकासुर ने देवलोक में अपना आतंक मचाया तो सभी देवों ने महादेव से विवाह करने का अनुरोध किया. महादेव में माता पार्वती से विवाह कर स्कंदकुमार के रूप में अपना पुत्र उत्पन्न किया, जिसने तारकासुर का अंत किया.
1 या देवी सर्वभूतेषु मातृरूपेण संस्थिता।नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम।।2 सिंहासनगता नित्यं पद्माश्रितकरद्वया।शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी।।
ब्रह्म मुहूर्त 0434 सुबह से 0520 शामविजय मुहूर्त 0230 शाम से 0320 शामगोधूलि मुहूर्त 0629 शाम से 0653 शामअमृत काल 0406 शाम से 0553 शामसर्वार्थ सिद्धि योग पूरे दिन रवि योग 0740 शाम से 0605 सुबह, अप्रैल 07
जय तेरी हो स्कंद माता, पांचवा नाम तुम्हारा आता.सब के मन की जानन हारी, जग जननी सब की महतारी.तेरी ज्योत जलाता रहूं मैं, हरदम तुम्हे ध्याता रहूं मैं.कई नामो से तुझे पुकारा, मुझे एक है तेरा सहारा.कहीं पहाड़ों पर है डेरा, कई शहरों में तेरा बसेरा.हर मंदिर में तेरे नजारे गुण गाये, तेरे भगत प्यारे भगति.अपनी मुझे दिला दो शक्ति, मेरी बिगड़ी बना दो.इन्दर आदी देवता मिल सारे, करे पुकार तुम्हारे द्वारे.दुष्ट दत्य जब चढ़ कर आये, तुम ही खंडा हाथ उठायेदासो को सदा बचाने आई, चमन की आस पुजाने आई।