खैरागढ़ संगीत विश्वविद्यालय में भारत रत्न दिवंगत लता मंगेशकर को श्रद्धांजलि

खैरागढ़: इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय एशिया के उन कुछ चुनिंदा संस्थानों में से है, जो संगीत और कला को पूरी तरह समर्पित है। यह एशिया का पहला ऐसा संस्थान है, जो कला और संगीत में उच्च शिक्षा देने हेतु स्थापित किया गया। देश और दुनिया में स्वर कोकिला के नाम से सुविख्यात, भारतरत्न दिवंगत लता मंगेशकर का छत्तीसगढ़ के खैरागढ़ स्थित इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय से पुराना और गहरा नाता रहा। वह इस विश्वविद्यालय को कला और संगीत के लिए गुरुकुल की दृष्टि से देखती थीं। खैरागढ़ इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय में बसंत पंचमी के अवसर पर सांस्कृतिक कार्यक्रम शुरू होने के दौरान आई दुखद ख़बर पे श्रद्धांजलि व्यक्त करते हुए विश्वविद्यालय की कुलपति पद्मश्री ममता चंद्राकर ने कहा है कि – ‘भारतरत्न लता जी हमेशा मेरी आदर्श रहीं। उनका इस दुनिया से जाना मेरे लिए व्यक्तिगत और अपूरणीय क्षति है। वे यहां 2 फरवरी 1980 को आयीं थीं। उन्हें इस विश्वविद्यालय से डी.लिट्ट की मानद उपाधि से विभूषित किया गया था। वर्तमान में इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय की कुलपति, प्रख्यात लोक गायिका पद्मश्री ममता चंद्राकर उन दिनों इस विश्वविद्यालय में शास्त्रीय संगीत (गायन) विषय से एमए की छात्रा थीं। उस प्रवास के दौरान अतिथियों को छात्र-छात्राओं ने भोजन परोसा था। भोजन परोसने वालों में ममता चंद्राकर भी शामिल थीं। ममता चंद्राकर ने लता जी को कढ़ी परोसा था। स्वरकोकिला ने चाव के साथ कढ़ी का आनंद लिया था। जाहिर है, भारत रत्न दिवंगत लता मंगेशकर जी का देहावसान देश और पूरी दुनिया के साथ इस विश्वविद्यालय के लिए भी गहरे शोक का विषय है।

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